Mock Drill: ऑपरेशन सिंदूर के बाद सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल क्यों हैं जरूरी? क्यों इसे गंभीरता से लेना है चाहिए, जानें

अब पाकिस्तान पर भारत की एयरस्ट्राइक के बाद यह मॉक ड्रिल और भी ज्यादा जरूरी हो गई है. नागरिकों के लिए बहुत जरूरी है कि वे इसे गंभीरता से लें.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 मई 2025,
  • अपडेटेड 10:19 AM IST

देशभर में आज यानी 7 मई 2025 को सबसे बड़े नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल (अभ्यास) किया जा रहा है. पिछले कई दिनों से इसकी तैयारी चल रही है. इसका उद्देश्य आपातकालीन स्थितियों में देश की तैयारी और प्रतिक्रिया क्षमता का मूल्यांकन करना है. हालांकि, अब पाकिस्तान पर भारत की एयरस्ट्राइक के बाद यह मॉक ड्रिल और भी ज्यादा जरूरी हो गई है. ऐसे में, नागरिकों के लिए बहुत जरूरी है कि वे इसे गंभीरता से लें.  

ड्रिल के दौरान क्या-क्या होगा?
यह व्यापक अभ्यास पूरे देश के सिविल डिफेंस जिलों से लेकर गांवों तक आयोजित किया जाएगा. आपको बता दें कि प्रशासन देश के 244 संवेदनशील जिलों में मॉक ड्रिल करने जा रहे है. अधिकारियों ने जनता से अपील की है कि मॉक ड्रिल के दौरान शांत और संयमित रहें और स्थानीय प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें. नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे जरूरी वस्तुएं जैसे पानी, दवाइयां और टॉर्च अपने पास रखें.

चयनित जिलों में नागरिक इन मॉक ड्रिल गतिविधियों में भाग लेंगे:

  • पब्लिक वार्निंग सिस्टेम की जांच: एयर रेड साइरनों के माध्यम से जनता को सतर्क करने की प्रणाली का परीक्षण.
  • टेलीफोन और रेडियो संचार की जांच: भारतीय वायुसेना (IAF) के साथ संपर्क की हॉटलाइन और रेडियो लिंक की कार्यक्षमता का परीक्षण.
  • ऑपरेटिव चेक: आपातकालीन नियंत्रण कक्ष और छाया नियंत्रण कक्ष (शैडो रूम्स) की समन्वय व्यवस्था का परीक्षण.
  • नागरिकों का प्रशिक्षण: छात्रों और स्वयंसेवकों को नियंत्रित परिस्थिति में आत्मरक्षा और सुरक्षा प्रशिक्षण.
  • ब्लैकआउट तकनीक: आपात स्थितियों में बिजली बंद करने (क्रैश ब्लैकआउट) की प्रक्रिया को अंजाम देना.
  • कैमोफ्लॉज: संभावित खतरों से बचाने के लिए महत्वपूर्ण ठिकानों को छिपाने की शुरुआती तैयारी.
  • नागरिक सेवाओं की रिस्पॉन्स एक्सरसाइज: वार्डन सर्विसेज, इंस्टेंट फायर ब्रिगेड यूनिट्स, बचाव दल और मरम्मत कार्यों की निगरानी.
  • निकासी योजनाएं: यह मूल्यांकन कि संकट की स्थिति में लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने की रणनीति कितनी प्रभावी है. 

ड्रिल के दौरान हो सकती हैं ये परेशानी:

  • अस्थायी बिजली कटौती
  • मोबाइल सेवा में बाधा
  • सिग्नल ब्लैकआउट
  • यातायात के मार्ग में पुलिस बदलाव करा सकती है

कुछ क्षेत्रों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा युद्ध-परिस्थिति के सिमुलेशन भी किए जा सकते हैं. 

कौन-कौन इसमें शामिल है?
जिला नियंत्रण अधिकारी, होम गार्ड्स, एनसीसी कैडेट्स, एनएसएस और एनवाईकेएस के स्वयंसेवक, कॉलेज और स्कूल छात्र, विभिन्न नागरिक एजेंसियां, और स्थानीय पुलिस और सशस्त्र बलों के साथ समन्वय. पिछली बार ऐसा बड़ा अभ्यास कारगिल युद्ध और 2008 मुंबई हमलों के बाद हुआ था. 

साथ ही, सोशल मीडिया पर गलत जानकारी के तेजी से प्रसार को देखते हुए, लोगों से अपील की गई है कि वे अफवाहें न फैलाएं, क्योंकि इससे घबराहट और भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है. ड्रिल के दौरान अगर बिजली या संचार सेवाएं अस्थायी रूप से बाधित होती हैं, तो नागरिकों को सरकारी घोषणाएं रेडियो या अन्य आधिकारिक माध्यमों से सुनते रहना चाहिए. इन प्रसारणों की सक्रिय निगरानी जरूरी मानी जा रही है. 

मॉक ड्रिल को गंभीरता से लेने की जरूरत 
पाकिस्तान पर भारतीय एयरस्ट्राइक के बाद यह मॉक ड्रिल अब पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण मानी जा रही है. बताया जा रहा है कि भारत की एयरस्ट्राइक के जवाब में पाकिस्तान कुछ न कुछ कार्यवाही कर सकता है और ऐसे में, जरूरी है कि नागरिक भी इसके लिए तैयार रहें. अगर पाकिस्तान किसी भी तरह का अटैक करता है तो मॉक ड्रिल के दौरान हुई नागरिकों की तैयारी उनके काम आ सकती है. खासतौर पर उन इलाकों में ज्यादा खतरा है जो पाकिस्तान की सीमा के नजदीक हैं. इसलिए नागरिकों के लिए जरूरी है कि आप मॉक ड्रिल को गंभीरता से लें और इसका हिस्सा बनें. 

 

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