एयर इंडिया के हालिया विमान हादसे ने एक बार फिर बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस विमान से जुड़ी चिंताओं पर सबसे पहले 2017 में बोइंग के पूर्व कर्मचारी और व्हिसलब्लोअर जॉन बार्नेट ने सवाल उठाया था. उनका आरोप था कि कंपनी ने नॉर्थ कैरोलिना स्थित फैक्ट्री में क्वालिटी स्टैंडर्ड की बार-बार अनदेखी की. यहां पर 700 से ज्यादा जेट बनाए गए थे. हालांकि, जो विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ, वह किसी अन्य फैक्ट्री में बना था.
बोइंग पर लगे थे गंभीर आरोप
2024 में बार्नेट मृत पाए गए और पुलिस ने इसे आत्महत्या बताया. लेकिन उनके आरोप गंभीर थे. उन्होंने दावा किया था कि बोइंग ने सुरक्षा से जुड़े कानूनों का उल्लंघन किया, जिससे भविष्य में यात्रियों की जान जोखिम में पड़ सकती थी. उनके अनुसार, कंपनी मैनेजमेंट कर्मचारियों पर दबाव बनाता था कि वे गड़बड़ियों की सही जानकारी न दें और उत्पादन में तेजी लाएं. यहां तक कि कुछ मामलों में नकली जांच रिपोर्ट तैयार करवाई गईं. उन्होंने यह भी बताया था कि कुछ खराब ऑक्सीजन ट्यूबों को स्क्रैप से निकालकर दोबारा इस्तेमाल किया गया. हालांकि, बोइंग ने हमेशा अपने विमानों को उच्चतम सुरक्षा मानकों वाला बताया और बार्नेट के दावों को खारिज कर दिया गया.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
दैनिक भास्कर से बात करते हुए स्वतंत्र विमान विश्लेषक एलेक्स मचेरास ने बताया कि एयर इंडिया का सुरक्षा रिकॉर्ड अच्छा रहा है और बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर दुनियाभर में यात्रियों का पसंदीदा विमान है. अब तक 1100 से ज्यादा ड्रीमलाइनर सेवा में हैं और रोजाना करीब 4 लाख यात्री इनसे यात्रा करते हैं. इस मॉडल की अब तक कोई बड़ी घातक दुर्घटना नहीं हुई थी. यह चिंताजनक जरूर है कि हालिया दुर्घटना में विमान टेक-ऑफ के वक्त ऊंचाई क्यों नहीं पकड़ पाया. इसकी जांच एयरलाइन, बोइंग और अन्य एजेंसियां मिलकर करेंगी, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि क्या विमान में कोई तकनीकी कमी थी.
बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर की खासियतें
बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर एक आधुनिक, मिड-साइज, ट्विन-इंजन और वाइड-बॉडी जेट है. यह विमान करीब 250 यात्रियों को 14,000 किलोमीटर तक ले जा सकता है, जिससे यह दिल्ली से न्यूयॉर्क या टोक्यो जैसे लंबे रूट के लिए उपयुक्त है. यह विमान बोइंग 767 की तुलना में 20-25% कम ईंधन खर्च करता है. इसका आधा स्ट्रक्चर कार्बन फाइबर जैसे हल्के और मजबूत मटेरियल से बना है. इसके केबिन का प्रेशर 1,900 मीटर की ऊंचाई के बराबर रखा जाता है, जिससे ऑक्सीजन की मात्रा 8% अधिक होती है और यात्रियों को कम थकान महसूस होती है.
हालांकि, बोइंग 787-8 की सुरक्षा छवि अब तक बेहतरीन रही है, हालिया दुर्घटना के बाद जांच जरूरी हो गई है कि कहीं इसमें छिपी कोई तकनीकी खामी तो नहीं, जिसे नजरअंदाज किया गया हो. इससे यह तय हो सकेगा कि भविष्य की उड़ानों में यात्रियों की सुरक्षा को और बेहतर कैसे बनाया जाए.