13 जून को दोपहर 1:38 बजे एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 ने अहमदाबाद एयरपोर्ट के रनवे नंबर 23 से उड़ान भरी. लेकिन कुछ ही सेकंड बाद पायलट सुमित सुब्बरवाल ने “मे-डे” यानी इमरजेंसी कॉल दी. टेकऑफ के दो मिनट के अंदर, 1:40 बजे, विमान एयरपोर्ट से सटे एक रिहायशी इलाके में गिर गया और जोरदार धमाके के साथ आग की लपटों में घिर गया. हादसे के वक्त विमान में 242 लोग सवार थे.
फ्लाइट टेकऑफ के तुरंत बाद क्यों क्रैश हुई?
हालांकि, दुर्घटना की असली वजह अब तक सामने नहीं आई है, लेकिन एविएशन एक्सपर्ट्स और उपलब्ध वीडियो व डेटा के आधार पर तीन प्रमुख संभावनाएं बताई जा रही हैं:
1. दोनों इंजन का फेल होना
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, टेकऑफ और लैंडिंग के समय विमान सबसे ज्यादा जोखिम में होते हैं. रिटायर्ड एयर कोमोडोर एस. पी. सिंह का मानना है कि पायलट ने मे-डे कॉल तो दी, लेकिन तब तक विमान कंट्रोल से बाहर हो चुका था. अगर सिर्फ एक इंजन खराब होता, तो दूसरा इंजन विमान को संभाल सकता था. लेकिन ऐसा लगता है कि दोनों इंजन फेल हो गए थे. वीडियो से भी साफ है कि पायलट ने विमान ऊपर खींचने की कोशिश की, लेकिन नाक नीचे की ओर झुकी रही और विमान गिर गया.
2. रनवे का पूरा इस्तेमाल न करना
बोइंग 787 ड्रीमलाइनर जैसे बड़े विमान को उड़ने के लिए लंबा रनवे और पर्याप्त स्पीड चाहिए होती है. एक्सपर्ट अनंत सेठी ने दैनिक भास्कर को बताया कि हो सकता है कि पायलट ने पूरा रनवे इस्तेमाल नहीं किया और विमान को ज़रूरी रफ्तार नहीं मिल पाई. लेकिन फ्लाइट डेटा से पता चलता है कि विमान ने रनवे नंबर 23 से बैकट्रैक कर पूरा रनवे इस्तेमाल किया था और 625 फीट की ऊंचाई भी पा ली थी. इसलिए यह संभावना कम मानी जा रही है.
3. गर्मी की वजह से इंजन को पूरी ताकत नहीं मिली
टेकऑफ के समय अहमदाबाद का तापमान करीब 43°C था. गर्मियों में हवा की घनता (density) कम हो जाती है, जिससे इंजन को हवा और फ्यूल का सही मिश्रण नहीं मिल पाता. इससे इंजन की पावर आउटपुट घट जाती है, और विमान ऊपर उठने के बजाय गिरने लगता है. कुछ एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि पायलट्स ने फ्लैप्स को गलत स्थिति (शायद 0° पर) पर सेट किया था, जिससे लिफ्ट कम बनी और विमान ऊंचाई नहीं ले सका.
अब आगे क्या होगा?
भारतीय वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पायलट्स के पास रिकवरी का कोई मौका नहीं था. अब यह जानने के लिए कि यह हादसा तकनीकी खराबी थी या मानव त्रुटि, या कोई और वजह, ब्लैक बॉक्स यानी कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर की जांच का इंतजार है.