एशिया के लिए 2024 इतिहास के सबसे गर्म सालों में से एक रहा. यह उपमहाद्वीप ऐसी पर्यावरणीय चुनौतियों से गुज़र रहा है जो पहले कभी नहीं देखी गईं. और इस महाद्वीप का तापमान बाकी दुनिया की तुलना में दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है. यह कहना है वर्ल्ड मीटियोरोलॉजिकल ऑर्गेनाइज़ेशन (World Meteorological Organisation) की हालिया रिपोर्ट का.
एशिया में जलवायु का हाल 2024 (State of Climate in Asia 2024) नाम की रिपोर्ट में पूरे महाद्वीप को लेकर चिंताजनक बातें कही गई हैं. रिपोर्ट बताती है कि एशिया का औसत तापमान 1991-2020 की तुलना में 1.04 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है. इस वजह से हिमालय और तियान शान (मध्य एशिया) जैसे पहाड़ों के ग्लेशियर भी पिघलने लगे हैं और साफ पानी के स्रोतों के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं. इस रिपोर्ट में किन बातों पर ज़ोर दिया गया है और भारत को लेकर क्या कहा गया है, आइए जानते हैं.
खतरे में है तटीय इलाकों के लोगों का जीवन
रिपोर्ट बताती है कि इस क्षेत्र में समंदर की सतह का तापमान भी अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. एशिया से सटे प्रशांत और हिंद महासागर का स्तर बाकी दुनिया की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ा है. बढ़ते हुआ पानी का स्तर बाढ़ और तूफान का खतरा भी बढ़ा रहा है. इसकी वजह से भारत सहित एशिया के तटीय इलाकों में रहने वाले लाखों लोगों का जीवन खतरे में आ गया है. रिपोर्ट में कहा गया कि समुद्री तूफान यागी इस साल का सबसे शक्तिशाली तूफान बनकर उभरा, जिसने पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में तबाही मचाई.
मध्य एशिया ने 70 सालों में सबसे खराब बाढ़ का सामना किया, जबकि संयुक्त अरब अमीरात में अभूतपूर्व बारिश हुई. इससे बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान पहुंचा. नेपाल ने सितंबर में विनाशकारी बाढ़ का सामना किया. इसके परिणामस्वरूप कम से कम 246 मौतें हुईं. हालांकि समय पर प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और समन्वित प्रतिक्रिया प्रयासों ने हजारों और लोगों की जान बचाने में मदद की.
खतरनाक होती जा रही है एशिया की लू
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि महाद्वीप की हीटवेव ज्यादा खतरनाक होती जा रही है. रिपोर्ट में इस बात का ज़िक्र किया गया कि एशिया के कई हिस्सों में हीटवेव का प्रकोप देखा गया. इस वजह से जापान और भारत में कई लोगों की गर्मी से मौत भी हुई. समंदर में भी लू का प्रकोप 1.5 करोड़ स्क्वेयर किलोमीटर तक फैला जिससे समुद्री जैव विविधता पर गहरा असर पड़ा.
रिपोर्ट में क्लाइमेट चेंज को रोकने की रणनीतियों की जरूरत पर जोर दिया गया है. यह रिपोर्ट बढ़ते जलवायु जोखिमों के दौर में जीवन और आजीविका की रक्षा के लिए तैयारियों को बेहतर बनाने में राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सेवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देती है. चूंकि एशिया की जलवायु तेजी से गर्म हो रही है, इसलिए इन बदलावों के मानवीय और आर्थिक नुकसान को कम करने के लिए कुछ उपाय करना बहुत ज़रूरी हो गया है.