रामनगरी अयोध्या में बन रहे अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय का निर्माण कार्य अब तेज़ गति पकड़ चुका है. डॉ. संजीव कुमार सिंह निदेशक ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय में क्या होगा कुछ खास होगा. उनका कहना है कि सिविल निर्माण लगभग पूर्ण हो चुका है, और अब गैलरियों के निर्माण की तैयारी की जा रही है. मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने दो सप्ताह पूर्व परियोजना की समीक्षा करते निर्माण कार्य पूर्ण करने की समय सीमा तय कर दी है.
यह संग्रहालय सरयू तट पर स्थित है. मौजूदा परिसर लगभग 2.8 एकड़ में फैला है. संग्रहालय तीन मंज़िला होगा और 26 खंडों में विभाजित होगा. निर्माण कार्य की ज़िम्मेदारी उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (UPRNN) और इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (EIL) को दी गई है, जिन्हें कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं. निर्देशक डॉ. संजीव कुमार सिंह ने बताया कि संग्रहालय को जनता के लिए जल्द से जल्द खोलने का प्रयास किया जा रहा है.
कैसा दिखेगा संग्रहालय
संग्रहालय में 20 गैलरियां होंगी, जिसमें हर एक गैलरी का भव्य नाम भी होगा. जैसे मेरे राम, वो राम से जुड़े नाम होंगे. जिनमें से 5 पूरी तरह डिजिटल और 4 गैलरियां भगवान श्रीराम व 1 गैलरी हनुमान जी को समर्पित होंगी.
इन वीथिकाओं में रामायण, श्रीराम के जीवन प्रसंग, राम मंदिर से जुड़े ऐतिहासिक व कानूनी पहलू, खुदाई से प्राप्त अवशेष, और रामलीला से संबंधित कला वस्तुएं दिखाई जाएंगी. संग्रहालय में 1000 से अधिक मूर्तियां, पुरावशेष, शिलालेख, ताम्रपत्र, और गुप्त व शुंग कालीन कलाकृतियां प्रदर्शित होंगी. राम जन्मभूमि की खुदाई से प्राप्त प्राचीन वस्तुएं भी विशेष आकर्षण होंगी.
आधुनिक तकनीक से लैस होगा संग्रहालय
यह संग्रहालय पूरी तरह डिजिटल और इंटरएक्टिव तकनीकों से सुसज्जित होगा. 3D मैपिंग, डिजिटल फिल्में, श्रव्य-दृश्य माध्यम और इंटरएक्टिव डिस्प्ले के ज़रिए रामकथा को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया जाएगा.
सुविधाएं भी होंगी विश्वस्तरीय
परिसर में स्वागत कक्ष, अमानती सामान गृह, शौचालय, कैफेटेरिया, और सोविनियर शॉप भी विकसित की जा रही हैं. सोविनियर शॉप में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की दुर्लभ वस्तुएं, उपहार सामग्री, और धार्मिक साहित्य उपलब्ध होंगे.
शोध और अध्ययन का केंद्र भी बनेगा संग्रहालय
यह संग्रहालय न सिर्फ श्रद्धालुओं के लिए आस्था और ज्ञान का केंद्र होगा, बल्कि शोधकर्ताओं और इतिहासकारों के लिए भी उपयोगी होगा. यहां प्राचीन पांडुलिपियां शिलालेख ताम्रपत्र, और अन्य ऐतिहासिक दस्तावेज अध्ययन के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे.
-मयंक शुक्ला की रिपोर्ट