बागपत में आवारा कुत्तों की सुरक्षा और पहचान के लिए एक अनोखा और विशेष अभियान शुरू होने जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नगर पालिका प्रशासन ने इसकी तैयारियां पूरी कर ली हैं. 18 अगस्त से नगर पालिका का पशुपालन विभाग एक विशेष रेबीज वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू करेगा, जिसके तहत शहर के गली-मोहल्लों में जाकर स्ट्रीट डॉग्स का टीकाकरण किया जाएगा.
लेकिन इस अभियान की सबसे खास बात यह होगी कि टीकाकरण के बाद हर कुत्ते को एक ‘खास पहचान’ मिलेगी. सफेद रंग के डॉग्स पर काले रंग का मार्क और काले रंग के डॉग्स पर सफेद रंग का मार्क लगाया जाएगा. इसका मकसद है कि दूर से ही लोग पहचान सकें कि यह कुत्ता सुरक्षित है और इसका वैक्सीनेशन हो चुका है.
कुत्तों की पहचान और सुरक्षा में मददगार होगा ‘ब्लैक-व्हाइट’ मार्किंग सिस्टम
नगर पालिका बागपत के ईओ के.के. भड़ाना के मुताबिक, अब तक लगभग 500 स्ट्रीट डॉग्स की गणना की जा चुकी है. इन सभी का इम्यूनाइजेशन (टीकाकरण) और स्टेरिलाइजेशन (बांझकरण) किया जाएगा, ताकि उनकी संख्या भी नियंत्रित रहे.
मार्किंग सिस्टम से शहरवासियों को फायदा होगा- लोग दूर से ही समझ पाएंगे कि कौन सा डॉग वैक्सीनेटेड है और रेबीज का खतरा नहीं है. इससे न सिर्फ कुत्तों के अनावश्यक डर को कम किया जा सकेगा, बल्कि इंसान और जानवर के बीच होने वाले टकराव भी घटेंगे.
रेबीज के खतरे पर लगेगी रोक
रेबीज एक जानलेवा बीमारी है, जो कुत्तों के काटने से फैल सकती है. बिना वैक्सीनेशन वाले डॉग्स से यह खतरा ज्यादा होता है. ऐसे में यह अभियान न केवल शहर के लोगों को सुरक्षित करेगा, बल्कि कुत्तों की सेहत के लिए भी जरूरी है. वैक्सीनेशन के साथ-साथ स्टेरिलाइजेशन से उनकी आबादी पर भी नियंत्रण मिलेगा.
डॉग शेल्टर हाउस की भी तैयारी
ईओ के.के. भड़ाना ने बताया कि शहर में डॉग शेल्टर हाउस बनाने के लिए टेंडर प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी. यहां बीमार, घायल या बेसहारा डॉग्स को रखा जाएगा और उनका इलाज व देखभाल की जाएगी. इससे सड़कों पर घायल जानवरों के भटकने की समस्या भी कम होगी.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आदेश दिया था कि स्ट्रीट डॉग्स की सुरक्षा और लोगों की सुरक्षा दोनों को ध्यान में रखते हुए उचित कदम उठाए जाएं. इसी आदेश के तहत बागपत नगर पालिका ने यह ‘ब्लैक-व्हाइट’ मिशन तैयार किया है.
नगर पालिका को उम्मीद है कि इस अभियान से शहर में इंसान और जानवर के बीच सामंजस्य बढ़ेगा और सड़कों पर रहने वाले कुत्तों का जीवन भी सुरक्षित होगा.
(मनुदेव की रिपोर्ट)