बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसकी तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं. बिहार की सियासत से जुड़े किस्से भी लोगों के जुबां पर रहते हैं. ऐसा ही एक किस्सा रामविलास पासवान का है. ये किस्सा ऐतिहासिक मंडल कमीशन की रिपोर्ट संसद में पेश करने से जुड़ा है. तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को संसद में पेश करने के लिए रामविलास पासवान को कहा था. लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया. इस किस्से का जिक्र सीनियर जर्नलिस्ट संतोष यादव ने अपनी किताब 'कितना राज, कितना काज' में किया है.
वीपी सिंह ने ओबीसी आरक्षण पर पासवान से की थी बात-
किताब के मुताबिक रामविलास पासवान ने बताया कि बीपी मंडल आयोग की रिपोर्ट पर काफी समय से धूल जम रही थी. प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने इसको लागू करने को लेकर सबसे पहले देवीलाल और रामविलास पासवान से चर्ची की थी. रामविलास पासवान बताते हैं कि पीएम वीपी सिंह ने देवीलाल को मिनिस्टर ग्रुप का प्रमुख बनाया था और 3 महीने में इसे लागू करने के तरीके पर रिपोर्ट देने को कहा था.
पासवान को दी गई थी जिम्मेदारी-
बीपी मंडल की रिपोर्ट लागू करने के लिए देवीलाल की कमेटी को 3 महीने में रिपोर्ट देने को कहा गया था. हालांकि देवीलाल ने मिनिस्टर्स ग्रुप के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद पीएम वीपी सिंह ने इस मिनिस्टर्स ग्रुप की जिम्मेदारी रामविलास पासवान को दी और रिपोर्ट जमा करने को कहा. रामविलास पासवान ने समय पर कमेटी की रिपोर्ट पीएम को सौंप दी.
पासवान ने आरक्षण बिल पेश करने से कर दिया था इनकार-
किताब के मुताबिक रामविलास पासवान ने बताया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने बतौर विभाग के मंत्री इस रिपोर्ट को संसद में पेश करने को कहा था. लेकिन रामविलास पासवान ने संसद में मंडल आयोग की रिपोर्ट पेश करने से इनकार कर दिया. किताब के मुताबिक पासवान ने बताया कि कुछ मंत्री और उन्होंने पीएम को सुझाव दिया कि सवर्ण जाति से होने की वजह से अगर पीएम खुद इसकी घोषणा करेंगे तो ज्यादा बड़ा संदेश जाएगा. इसके बाद पीएम वीपी सिंह ने 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण की रिपोर्ट संसद में पेश की.
ओबीसी को मिला था 27 फीसदी आरक्षण-
6 अगस्त 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशों के आधार पर पिछड़े वर्गों के लिए 27 फीसदी आरक्षण लागू करने का ऐतिहासिक फैसला लया था. इसका ऐलान 7 अगस्त को प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने संसद में किया था. इस आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को बरकरार रखा.
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