हादसे में हाथ गंवाने वाले 2 युवकों का हुआ हैंड ट्रांसप्लांट, मुंबई के हॉस्पिटल में हुआ चमत्कार

जनवरी 2020 में राजस्थान के रहने वाले 22 साल के कबड्डी खिलाड़ी जगदेव सिंह को बिजली का झटका लगा था, और इस झटके में उनके दोनों हाथ और पैर काटने की नौबत आ गई. ये दिन उनके लिए एक अभिषाप था क्योंकि जगदेव को उसी साल कबड्डी अकादमी में शामिल होना था.

हैंड ट्रांसप्लांट सर्जरी
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 18 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 6:39 PM IST
  • कबड्डी खिलाड़ी जगदेव सिंह और प्रकाश शेलार का हुआ हैंड ट्रांसप्लांट
  • बिजली के झटके में हुआ था हादसा

राजस्थान के कबड्डी खिलाड़ी जगदेव सिंह और पुणे के रहने वाले प्रकाश शेलार की जिंदगी में मेडिकल सांइस आज भगवान बन गया है. इन दोनों की जिंदगी में एक हादसा पेश आया और दोनों को अपने हाथ-पैर गंवाने पड़ गए.  लेकिन आज मुंबई के परेल स्थित ग्लोबल हॉस्पिटल में दोनों को हैंड ट्रांसप्लांट के जरिए नया हाथ मिला है. इन दोनों ने अलग-अलग इलक्ट्रिक करेंट हादसे में अपने दोनों हाथ और दोनों पैर गंवा दिए थे. 

जगदेव सिंह ने दुबारा पाए अपने हाथ, मेडिकल साइंस का कमाल

जनवरी 2020 में राजस्थान के रहने वाले 22 साल के कबड्डी खिलाड़ी जगदेव सिंह को बिजली का झटका लगा था, और इस झटके में उनके दोनों हाथ और पैर काटने की नौबत आ गई. ये दिन उनके लिए एक अभिषाप था क्योंकि जगदेव को उसी साल कबड्डी अकादमी में शामिल होना था. 15 अक्टूबर 2021 का दिन जगदेव की जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन बना जब उन्हें  परेल के ग्लोबल हॉस्पिटल से हैंड ट्रांसप्लांट के लिए फोन आया. 

ऑपरेशन के बाद सुचारू रूप से ठीक होने के लिए गहन देखभाल करने वाले चिकित्सकों, इम्यूनोलॉजिस्ट और नर्सों की एक टीम द्वारा जगदेव की बारीकी से निगरानी की गई. फिजियोथेरेपिस्ट की टीम ने उन्हें फिर से अपने कृत्रिम पैरों पर खड़ा करने के लिए कड़ी मेहनत की, क्योंकि सिंह को अपने वजन को संतुलित करने और अपने नए प्रत्यारोपित हाथों को समायोजित करते हुए अपने कृत्रिम पैरों पर चलने की कला सीखनी पड़ी. डॉक्टरों की एक बड़ी टीम और प्लास्टिक, हाथ और माइक्रोवैस्कुलर सर्जन, ऑर्थोपेडिक सर्जन और एनेस्थेसियोलॉजिस्ट ने जटिल सर्जरी में भाग लिया, जो 13-15 घंटे तक चली.

पुणे के 33 वर्षीय प्रकाश शेलार की सर्जरी 

पुणे के 33 वर्षीय प्रकाश शेलार की कहानी भी जगदेव की तरह ही है. दो साल पहले पुणे के प्रकाश शेलार को भी 2019 में दिवाली के दौरान बिजली का झटका लगा, नतिजतन सभी 4 अंगों का गैंग्रीन हो गया, जिससे प्रकाश के दोनों हाथ और पैर काटने पड़े.  प्रकाश शेलार पेशे से एक एकाउंटेंट हैं, वह अपने माता-पिता, पत्नी और 2 वाले  अपने परिवार के लिए एकमात्र कमाने वाले इंसान थे. इस दर्दनाक घटना के बाद उनकी नौकरी चली गई. 

बच्चों को पालने और पढ़ाने के लिए मां और पत्नी ने की नौकरी

उनकी पत्नी और मां ने अपने परिवार और बच्चों की शिक्षा के लिए छोटी-छोटी नौकरियां की. प्रकाश ने 9 महीने पहले ग्लोबल हॉस्पिटल के डॉक्टर डॉ. नीलेश सतभाई से मुलाकात की और हाथ प्रत्यारोपण के लिए प्राप्तकर्ता प्रतीक्षा सूची में पंजीकृत किया गया. 30 अक्टूबर 2021 को यानी इस साल दिवाली से ठीक पहले सूरत से हाथ दान के लिए एक अलर्ट प्राप्त हुआ प्रकाश का ग्लोबल हॉस्पिटल, परेल में दोनो हाथ का प्रत्यारोपण किया गया.

सर्जरी टीम का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर नीलेश सतभाई

दोनों सर्जरी करने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर नीलेश सतभाई ने कहा, "हाथ प्रत्यारोपण जटिल सर्जरी है और जटिलताएं प्राप्तकर्ताओं के विच्छेदन के स्तर के साथ बदलती हैं. बिना हाथों और पैरों वाले व्यक्ति में द्विपक्षीय हाथ प्रत्यारोपण कुछ विशेष और कठिन चुनौतियों का सामना करता है. इन रोगियों में अक्सर एक समझौता शारीरिक क्षमता होती है और हाथ प्रत्यारोपण के बाद शरीर के बदलते शरीर विज्ञान के साथ सामना करना मुश्किल हो सकता है."

2020 में डॉ नीलेश सतभाई के नेतृत्व में ही हुई थी मोनिका मोरे का  हाथ प्रत्यारोपण

उन्होंने बताया,  "हमारी टीम इन रोगियों की एक आसान पोस्टऑपरेटिव रिक्वरी सुनिश्चित करने में कामयाब रही है. द्विपक्षीय हाथ प्रत्यारोपण सर्जरी एक लंबी और बेहद ही मुश्ल प्रक्रिया है. इसमें मुख्य धमनियों, हड्डियों, कई नसों, और मांसपेशियों और टेंडन को जोड़ना शामिल है. डॉक्टर नीलेश सतभाई ने बताया कि हमारी टीम ने प्राप्तकर्ता और दाता के दोनों हाथों को तैयार करने के लिए एक साथ 4 स्टेशनों पर एक साथ काम किया और फिर उन्हें बेहतर तरीके से अंजाम दिया. आपको बता दें कि  ग्लोबल हॉस्पिटल, परेल, मुंबई ने भी डॉ नीलेश सतभाई के नेतृत्व की  एक टीम ने मोनिका मोरे पर अगस्त 2020 में पश्चिमी भारत में पहला सफल द्विपक्षीय हाथ प्रत्यारोपण किया था.

नीलेश सतभाई हाथ दान के बारे में जागरूकता की कमी पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि "हाथ दान के बारे में जागरूकता अभी भी कम है, ऐसे में ये जरूरी है कि चिकित्सा बिरादरी केलोग लोगों में इसकी जागरूकता फैलाएँ. हाथ प्रत्यारोपण अक्सर होते  रहते हैं  इसे चिकित्सा चमत्कार  का नाम भी दिया जाता है, क्योंकि ये विकलांगों की जिंदगी पूरी तरह से बदल देता है.


 

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