Bihar Politics: बीपी मंडल को पहले बनाया एमएलसी... फिर इस नेता के लिए छोड़ दी थी सीएम की कुर्सी... जानिए बिहार के सिर्फ पांच दिन के मुख्यमंत्री बने सतीश प्रसाद सिंह की कहानी 

Story of Former Bihar CM Satish Prasad Singh: हम आपको बिहार के एक ऐसे मु्ख्यमंत्री की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने बीपी मंडल को सीएम बनाने के लिए अपने पद से सिर्फ पांच दिन में इस्तीफा दे दिया था. जी हां, हम बात कर रहे हैं सतीश प्रसाद सिंह की. आइए पूरी कहानी जानते हैं.

Former Chief Minister of Bihar Satish Prasad Singh (File Photo)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 05 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 11:59 PM IST
  • सतीश प्रसाद सिंह 28 जनवरी 1968 से 1 फरवरी 1968 तक रहे बिहार के मुख्यमंत्री
  • बिहार के पहले ओबीसी सीएम थे सतीश प्रसाद सिंह

Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. सरकार बनाने और सीएम की कुर्सी को लेकर अभी से जोड़-तोड़ जारी है. आज हम आपको बिहार के एक ऐसे मु्ख्यमंत्री की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने बीपी मंडल (BP Mandal) को सीएम बनाने के लिए अपने पद से सिर्फ पांच दिन में इस्तीफा दे दिया था. जी हां, हम बात कर रहे हैं सतीश प्रसाद सिंह (Satish Prasad Singh) की. आइए पूरी कहानी जानते हैं.

कौन थे सतीश प्रसाद सिंह
1. सतीश प्रसाद सिंह का जन्म 1 जनवरी 1936 को बिहार के खगड़िया जिले स्थित कुरचक्का गांव में हुआ था.
2. सतीश प्रसाद सिंह के पिता गांव के बडे़ काश्तकार थे. सतीश ने कॉलेज की फ्रेंड ज्ञानकला से प्रेम विवाह किया था.
3. सतीश प्रसाद सिंह ने पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव 1962 में स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर परबत्ता विधानसभा से चुनाव लड़ा था. वह चुनाव हार गए थे. 
4. सतीश प्रसाद सिंह साल 1967 में परबत्ता विधानसभा सीट से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार चुनाव जीते थे. 
5. साल 1980 में सतीश प्रसाद सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर खगड़िया लोकसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की थी.
6. सतीश प्रसाद सिंह 28 जनवरी 1968 से 1 फरवरी 1968 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे. वह बिहार के छठवें मुख्यमंत्री थे.
7. सतीश प्रसाद सिंह ने जोगी और जवानी नामक फिल्म का निर्माण और निर्देशन भी किया था. इसमें उन्होंने अभिनय भी किया था. हालांकि यह फिल्म कभी रिलीज नहीं हुई.
8. सतीश प्रसाद सिंह का कोरोना के कारण 3 नवंबर 2020 को दिल्ली में निधन हो गया.

बिहार में पहली बार 1967 में बनी थी गैर-कांग्रेसी सरकार 
बिहार विधानसभा चुनाव 1967 में  कांग्रेस को हार मिली थी. बिहार में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनी थी. डॉक्टर राममनोहर लोहिया ने विपक्षी दलों को साथ लाकर संविद सरकार बनवाई. इस सरकार में संसोपा सबसे बड़ी पार्टी थी. इसके बावजूद 68 विधायकों के नेता कर्पूरी ठाकुर को डिप्टी सीएम बनना पड़ा था और सीएम बने थे जन क्रांति दल के 28 विधायकों के नेता महामाया प्रसाद सिन्हा. इसके कारण संसोपा के कुछ नेता काफी नराज थे. इन नेताओं में सतीश प्रसाद सिंह भी थे. 

लोहिया से झगड़ के चलते विधायक न बन पाए और इसी के चलते हेल्थ मिनिस्टरी छोड़ने को मजबूर हुए बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल (बीपी मंडल) ने उस समय सतीश प्रसाद सिंह को अपने गुट में शामिल कर लिया. बीपी मंडल ने सतीश प्रसाद सिंह को आगे किया और 16 विधायक मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा के घर पहुंच गए. विधायक सतीश प्रसाद सिंह ने सीएम से साफ पूछ लिया, क्या ये सरकार पिछड़ा विरोधी है. इतने विधायकों की सरकार से नाराजगी की खबर जब कांग्रेस को लगी तो हाल में सत्ता गंवाए पूर्व मुख्‍यमंत्री कृष्णबल्लभ सहाय ने सतीश प्रसाद सिंह से मुलाकात की. केबी सहाय ने सतीश प्रसाद सिंह से बातचीत में कहा कि यदि आप 36 विधायक की व्‍यवस्‍था कर लें तो सरकार आपकी बन सकती है. इसके बाद सतीश प्रसाद ने बीपी मंडल से मुलाकात की. 

और गिर गई महामाया प्रसाद सिन्हा की सरकार 
बीपी मंडल पहले से ही लोहिया, महामाया प्रसाद सिन्हा और संसोपा के नेताओं से नाराज चल रहे थे. दरअसल, लोहिया की पार्टी संसोपा के संविधान के मुताबिक कोई सांसद, प्रदेश अध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य राज्य सरकार में पद नहीं ले सकता था. फिर भी मधेपुरा के सांसद बीपी मंडिल महामाया सरकार में स्वास्थ मंत्री बने थे. इस पर लोहिया भड़क गए. उन्होंने सार्वजनिक रूप से इस कदम की आलोचना की और पार्टी को साफ कह दिया कि इस सांसद जी के लिए विधायकी का रास्ता नहीं खोला जाएगा. 

इसके चलते 6 महीने बाद मंडल को संवैधानिक विवशता के चलते इस्तीफा देना पड़ा. बीपी मंडल लगातार कांग्रेस के दिग्गज नेता केबी सहाय से बातीचत कर रहे थे. फिर महामाया सरकार गिराने के लिए जनवरी 1968 में एक बैठक बुलाई गई. सतीश प्रसाद सिंह, बीपी मंडल और भोला प्रसाद सिंह सहित इसमें 25 विधायक शामिल हुए. इसके बाद इन विधायकों ने शोषित दल बना लिया. फिर कांग्रेस विधायक दल के नेता महेश प्रसाद सिन्हा ने महामाया सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया. जनवरी के अंतिम सप्ताह में विधानसभा के पटल पर अविश्वास प्रस्ताव रखा गया और महामाया प्रसाद सिन्हा की सरकार गिर गई. महामाया प्रसाद की सरकार कुल 10 महीने 20 दिन चली थी.

ऐसे सतीश प्रसाद सिंह के नाम पर बनी सहमित 
कांग्रेस ने बीपी मंडल को सीएम बनाने के लिए आगे किया. तकनीकी परेशानी थी कि मंडल 6 महीना पूरा होने पर इस्तीफा देकर फिर तो मंत्रिमंडल में आ जाते, लेकिन सीएम बनने पर ज्यादा बड़ा बवाल हो जाता. कांग्रेस नेता परमानंद प्रसाद ने रास्ता सुझाया कि कोई दूसरा नेता कुछ समय के लिए सीएम बन जाए और वह राज्यपाल के पास विधान परिषद के लिए बीपी मंडल के नाम की अनुशंसा कर दे तो काम हो जाएगा. अब ऐसा विश्वासी नाम खोजा जाने लगा. दो नामों पर बात बनी एक जगदेव प्रसाद और दूसरा सतीश प्रसाद सिंह. जगदेव प्रसाद सीएम बनने के बाद कुर्सी वापस करेंगे कि नहीं, इसपर यकीन नहीं हुआ तो बीपी मंडल ने सतीश प्रसाद सिंह के नाम पर सहमति जताई. 

सतीश प्रसाद सिंह ऐसे बने थे बिहार के सीएम
सतीश प्रसाद सिंह ने अपने को सीएम बनने को लेकर बताया था कि 28 जनवरी 1968 को मेरे आवास पर कांग्रेस विधायक दल के नेता महेश प्रसाद सिन्हा, रामलखन सिंह यादव के साथ आए. उन्होंने मुझे अपने साथ चलने के लिए कहा. दोनों ने यह भी नहीं बताया कि चलना कहां है. इसके बाद वे दोनों मुझे लेकर सीधे राजभवन चले गए और मेरे नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया. उसी शाम साढ़े सात बजे राज्यपाल नित्यानंद कानूनगो ने मुझे दो मंत्रियों शत्रुमर्दन शाही और एन ई होरो के साथ शपथ दिलाई. 28 जनवरी 1968 को ही सतीश सिंह सरकार ने कामकाज संभाल लिया. कांग्रेस के तीनों प्रमुख नेता केबी सहाय, एमपी सिंह और रामलखन सिंह यादव को भरोसा था कि बीपी मंडल को एमएलसी मनोनीत करने के बाद सतीश प्रसाद इस्‍तीफा दे देंगे. 

इस बीच केबी सहाय के विश्‍वस्‍त परमानंद सहाय ने विधान परिषद से इस्‍तीफा दिया और उनकी जगह पर बीपी मंडल के मनोनयन की सिफारिश सतीश प्रसाद सिंह की मंत्रिमंडल ने भेजा और उसी आधार बीपी मंडल को विधान परिषद की शपथ दिलाई गई. इस तरह से सतीश प्रसाद सिंह ने अपने पांच दिनों के कार्यकाल में बीपी मंडल को पहले एमएलसी मनोनीत किया और फिर उनके लिए सीएम की कुर्सी छोड़ दी. सीएम सतीश प्रसाद सिंह ने 1 फरवरी 1968 को राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इसके बाद बीपी मंडल बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. हालांकि बीपी मंडल 31 दिन ही सीएम की कुर्सी पर रह सके. बीपी मंडल के बारे में सतीश प्रसाद सिंह कहते थे कि हम दोनों में भाई-भाई का रिश्‍ता था. 

 

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