काजू फल में दो हिस्से होते हैं. यह सेब जैसा होता है और इसके नीचे शैल में काजू लगते हैं. काजू को निकालने के बाद यह फल ज्यादातर बेकार जाता है. लेकिन अब इसका बेहतर उपयोग करने के लिए पुत्तूर स्थित काजू अनुसंधान निदेशालय (Directorate of Cashew Research) ने इससे एक अनोखा उत्पाद तैयार किया है. इसे ‘जोनी’ (तरल) गुड़ नाम दिया गया है, जिसका स्वाद शहद जैसा बताया जा रहा है.
आमतौर पर काजू की खेती से किसान केवल काजू गिरी का ही उपयोग करते हैं, जबकि काजू फल का ज्यादातर हिस्सा बेकार चला जाता था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ लोग इसे मवेशियों को खिलाते थे, थोड़े बहुत सेब से शराब बनाई जाती थी. लेकिन ज्यादातर फल बर्बाद हो जाते थे.
डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद
काजू सेब से बने इस गुड़ का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम है. यही कारण है कि यह डायबिटीज रोगियों के लिए भी सुरक्षित और उपयुक्त माना जा रहा है.
जोनी गुड़ को बनाने की प्रक्रिया में काजू फल से रस निकाला जाता है, फिर उसके पौष्टिक तत्वों को सुरक्षित रखते हुए गाढ़ा कर तैयार किया जाता है. इसमें प्रोटीन और फाइबर की भरपूर मात्रा है. यह इम्यूनिटी बूस्ट करने में सहायक है.
पेटेंट और तकनीकी सहयोग
काजू अनुसंधान निदेशालय को इस उत्पाद पर पेटेंट मिल चुका है. पेटेंट को सेल्फ-हेल्प ग्रुप्स और उद्यमियों को लाइसेंस के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा. उत्पादन के लिए आवश्यक तकनीक निदेशालय की ओर से दी जाएगी इस शोध कार्य का नेतृत्व वैज्ञानिक डॉ. ज्योति निशाद ने किया है.
काजू फल में पहले से ही कई मूल्यवर्धित उत्पादों पर काम किया गया है. जोनी गुड़ इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन बनेगा बल्कि गुड़ उद्योग में नए अवसर भी खोलेगा.
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