Cloudburst Damage Compensation: उत्तरकाशी के धराली गांव में बादल फटने से कुछ लोगों की जान चली गई है. पहाड़ी का मलबा गांव में घुस गया है. दर्जनों घर मलबे में बह गए हैं. इससे घर-मकान को काफी नुकसान हुआ है. आपको मालूम हो कि बादल फटने, बाढ़ आने और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं में जान-माल की क्षति होने पर केंद्र और राज्य सरकार मुआवजा देती है. यदि आप भी पीड़ित हैं तो इसका लाभ उठा सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे?
प्राकृतिक आपदाओं में नुकसान होने पर कौन देता है मुआवजा
बादल फटने, बाढ़ आने और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर पीड़ितों को राहत देने के लिए मुआवजा देती हैं. यह मुआवजा भारत सरकार के राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) और राज्य सरकारों के राज्य आपदा राहत कोष (SDRF) के तहत दिया जाता है.
कितना मुलता है मुआवजा
1. यदि प्राकृतिक आपदा में किसी की जान चली जाती है तो केंद्र सरकार मृतक के परिजनों को 2 लाख रुपए तक की सहायता देती है.
2. प्राकृतिक आपदा में जान जाने पर राज्य सरकारें भी अतिरिक्त राहत देती हैं, जो 2 लाख से लेकर 4 लाख रुपए तक हो सकती है.
3. प्राकृतिक आपदा में यदि कोई व्यक्ति घायल हो गया है तो उसके इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाती है.
4. प्राकृतिक आपदा में मकान, दुकान या खेत को हुए नुकसान की भरपाई भी की जाती है, लेकिन इसके लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा नुकसान का सर्वे किया जाता है. सर्वे के आधार पर तय होता है कि किसे कितनी राशि मिलेगी.
मुआवजे के लिए ऐसे करें आवेदन
1. यदि आप बादल फटने, बाढ़ आने और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हुए हैं, तो सबसे पहले ग्राम पंचायत, नगर पालिका या ब्लॉक कार्यालय में जाकर इसकी लिखित सूचना दें.
2. ऐसा करने के बाद सरकारी अधिकारी मौके पर पहुंचकर नुकसान का आकलन करते हैं.
3. इसके बाद ये अधिकारी फोटो और वीडियो के साथ एक रिपोर्ट तैयार करते हैं, जिसे जिला प्रशासन राज्य सरकार को भेजता है.
4. पीड़ित को राहत राशि की घोषणा इसी सर्वे रिपोर्ट के आधार पर होती है.
इन डॉक्यूमेंट्स की पड़ती है जरूरत
आपदा राशि को लेने के लिए आपको आवेदन करना होगा. इसके लिए पहचान पत्र जैसे आधार, वोटर कार्ड, घर या दुकान के दस्तावेज, आपदा में नुकसान हुई चीजों की तस्वीरें, यदि किसी की मृत्यु हुई है तो मृत्यु प्रमाण पत्र व पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट जरूरी होते हैं. आपको मालूम हो कि आपदा के तुरंत बाद नुकसान की सूचना देना जरूरी होता है ताकि सर्वे में आपका मामला शामिल हो सके.