सोशल मीडिया की दुनिया में यूट्यूब एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिसके जरिए ज्ञान से लेकर कॉमेडी तक हर किस्म का कंटेंट लोगों को परोसा जाता है. साथ ही यह कोई बहुत ज्यादा पेंचीदा प्लेटफॉर्म भी नहीं है. साल दर साल इसपर बढ़ते कंटेंट क्रिएटर्स को देख समझा जा सकता है लोगों के बीच इसकी लोकाप्रियता कितनी बढ़ रही है. यूट्यूब केवल फेमस होने का एक प्लेटफॉर्म मात्र नहीं है, ब्लकि इसके जरिए लोग पैसा भी कमा रहे हैं.
भारत का कॉन्ट्रिब्यूशन
मुंबई में आयोजित हुए वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट में यूट्यूब ने सीईओ ने भारत की भागीदारी पर बात की. उन्होंने बताया कि किस प्रकार भारत में कंटेंट क्रिएटर्स की संख्या बढ़ती जा रही है. सीईओ नील मोहन ने बताया कि पिछले एक साल में करीब 100 मिलियन कंटेंट क्रिएटर्स ने यूट्यूब पर अपनी भागीदारी दिखाई है.
उम्मीद से आगे निकला भारत
नील कहते हैं कि भारत को यूट्यूब की दुनिया में एक क्रिएटर नेशन के रूप में देखा जाना चाहिए. उनका इस बात पर भी जोर दिया कि भारत में पिछले एक साल में करीब 15000 ऐसे चैनल हैं, जिनका सब्सक्राइबर काउंस 10 लाख से ऊपर गया है.
कितना पड़ा इकोनॉमी पर असर
नील बताते हैं कि पिछले तीन साल में यूट्यूब पर मौजूद कंटेंट क्रिएटर्स को करीब 21000 करोड़ से ज्यादा पैसा बांटा गया है. यानी यूट्यूब भारतीय कंटेंट क्रिएटर्स को अच्छा खासा पैसा दे रहा है, साथ ही पहचान मिल रही है वो अलग.
कई लोगों ने तो यूट्यूब का इस्तेमाल अपने बिजनस का प्रचार करने के लिए भी इस्तेमाल किया है. इससे उनका प्रचार पर खर्च होने वाला पैसा तो बचा ही है. साथ ही वह अलग तरीके और कम पैसे से बिजनस का प्रचार कर पाए हैं.
यूट्यूब करेगा पैसा इनवेस्ट
नील ने इस बात को भी बताया कि यूट्यूब इस बात पर विचार कर रहा है कि वह अगले दो सालों में भारत में करीब 850 करोड़ रुपए का निवेश करेगा. ऐसा करने का मकसद केवल क्रिएटर्स को और ज्यादा मौके देना है.
भारत के कंटेंट को विदेश में भी काफी देखा जा रहा है. आंकड़ो की बात करें तो पिछले एक साल में ही करीब 45 बिलियन घंटों का वॉच टाइम भारतीय कंटेंट को विदेश से मिला है.