'ई-सिम' का चक्कर डॉक्टर को पड़ा भारी.. साइबर ठगों ने ओढ़ा टेलिकॉम रिप्रेजेंटेटिव का लिबास, और किया 10 लाख पर हाथ साफ

डॉक्टर को एक व्यक्ति का फोन आया, जिसने बताया कि कंपनी फिलहाल फिजिकल सिम को e-SIM में अपग्रेड कर रही है और वह इस प्रक्रिया में डॉक्टर की मदद करेगा.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 9:17 AM IST

मुंबई में एक डॉक्टर हाल ही में ऑनलाइन ठगी का शिकार हो गया, जिसमें उन्हें करीब 11 लाख रुपये का नुकसान हुआ. यह मामला एक फर्जी e-SIM अपग्रेड प्रक्रिया से जुड़ा है, जिसमें डॉक्टर ने अनजाने में अपनी निजी जानकारी ठगों के साथ साझा कर दी.

फर्जी कॉल से शुरू हुई कहानी
घटना सितंबर महीने की है. मुंबई के इस डॉक्टर को एक व्यक्ति का फोन आया, जिसने खुद को उनके मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर का रिप्रेजेंटेटिव बताया. उसने कहा कि कंपनी फिलहाल फिजिकल सिम को e-SIM में अपग्रेड कर रही है और वह इस प्रक्रिया में डॉक्टर की मदद करेगा. डॉक्टर ने इसे रीयल स्टोरी मानकर अपने टेलीकॉम ऑपरेटर का ऑफिशियल ऐप खोला और फोन पर बताई गई सभी प्रक्रिया को फॉलो किया.

OTP शेयर करने के बाद शुरू हुई मुश्किलें
कुछ समय बाद डॉक्टर को एक वन-टाइम पासवर्ड (OTP) प्राप्त हुआ. ठग ने उसे OTP साझा करने के लिए कहा, यह कहते हुए कि 24 घंटे में उनका फिजिकल सिम निष्क्रिय होकर e-SIM में बदल जाएगा.


दो दिन बाद जब डॉक्टर ने अपना ईमेल चेक किया, तो पता चला कि उसका पासवर्ड बदल दिया गया है. जांच करने पर पता चला कि उनके बैंक खाते से 10.5 लाख रुपये से अधिक की राशि कई खातों में ट्रांसफर हो चुकी है.

साइबर सेल की जांच और गिरफ्तारी
डॉक्टर की शिकायत पर मुंबई पुलिस की साइबर सेल ने जांच शुरू की और मनी ट्रेल (Money Trail) को ट्रेस किया. पुलिस ने बाद में पुणे के एक अस्पताल के ऑफिस बॉय को गिरफ्तार किया, जिसके खाते का उपयोग चोरी के पैसों के ट्रांसफर में किया गया था. पुलिस के अनुसार, वह युवक मुख्य आरोपियों का मिडलमैन था, जबकि असली अपराधियों की तलाश अभी जारी है.

क्या है e-SIM और कैसे होता है e-SIM फ्रॉड
e-SIM असल में एक डिजिटल सिम कार्ड होती है जो मोबाइल या स्मार्टवॉच में इनबिल्ट होती है. इससे बिना फिजिकल सिम डाले मोबाइल प्लान को सक्रिय किया जा सकता है. e-SIM फ्रॉड में ठग खुद को टेलीकॉम कंपनी का कर्मचारी बताकर यूजर्स को यह कहते हैं कि उनका सिम अपग्रेड किया जा रहा है. इसके बाद वे OTP या फेक लिंक के जरिए यूजर की निजी जानकारी चुरा लेते हैं. एक बार OTP मिलने के बाद वे अपने डिवाइस पर डुप्लीकेट e-SIM एक्टिवेट कर लेते हैं और पीड़ित के फोन नंबर, मैसेज और बैंकिंग जानकारी तक पहुंच बना लेते हैं.

 

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