गुजरात में वडोदरा शहर के मकरपुरा में रहने वाले निवृत विवेक सोनार को साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट करके 64.41 लाख रुपए की धोखाधड़ी की. जिसके बाद बुजुर्ग ने वडोदरा साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में साइबर फ्रॉड की शिकायत दर्ज करवाई. पुलिस ने बीएनएस की धारा 318(4), 336(2), 336(3), 338, 340(2), 54, 61(2) और आईटी एक्ट 66(d) के तहत मामला दर्ज करके जांच शुरू की गई है.
कैसे लिया झांसे में?
67 साल के बुजुर्ग द्वारा वडोदरा साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत के मुताबिक उन्हें 23 मई से 9 जून तक साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट करके डराया धमकाया और इस दौरान RTGS करवाकर उनके साथ 64,41,500 रुपये की धोखाधड़ी की गई है. बुजुर्ग के मुताबिक 23 मई के दिन साइबर ठगों ने उन्हें पहली बार कॉल किया और उन्हें बताया गया था कि, उनके आधार कार्ड के जरिए कुछ सिमकार्ड एक्टिव है, जिनका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में किया जा रहा है. इस समस्या से बचने के लिए उन्हें मुंबई साइबर क्राइम से ऑनलाइन इंक्वारी करवानी होगी.
मनी लाउंड्रिंग के नाम पर पैदा किया डर
मनी लाउंड्रिंग जैसा शब्द सुनकर परेशान बुजुर्ग ने अज्ञात साइबर ठगों द्वारा किए जा रहे वीडियो कॉल रिसीव करना शुरू किया. अज्ञात शख्स ने इंक्वायरी के लिए विशाल ठाकुर नाम के फर्जी मुंबई साइबर क्राइम के इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर से बुजुर्ग का संपर्क करवाया था. जिसके बाद बुजुर्ग का आधारकार्ड व्हाट्सएप के जरिए मांगा था. बुजुर्ग को बताया गया था कि उनके आधार कार्ड से तमिलनाडु, हरियाणा, पंजाब जैसे अलग-अलग राज्यों में बैंक अकाउंट भी खुलवाए गए हैं. बुजुर्ग ने कहा था कि इनमें से किसी राज्य में वह कभी गए तक नहीं है, ना ही कोई अकाउंट ओपन करवाया है.
साइबर ठगों ने बुजुर्ग को डराने के लिए व्हाट्सएप पर सीबीआई के लेटरपैड और सिग्नेचर वाला एक लेटर भेजा. जिसके बाद इंक्वारी के दौरान बुजुर्ग ने अपने बैंक की डिटेल्स, म्युचुअल फंड, फिक्स डिपाजिट समेत अपने फ्लैट की जानकारी दी थी. बुजुर्ग के साथ अज्ञात साइबर ठग वीडियो कॉल के माध्यम से कनेक्ट थे, बुजुर्ग को कॉल कट नहीं करने, कोई और काम नहीं करने और घर से बाहर नहीं जाने तक की चेतावनी बुजुर्ग को दी थी.
क्लीन चिट के नाम पर पैसों की डिमांड
बुजुर्ग को 24 - 25 मई को पूरा दिन अज्ञात शख्स ने वीडियो कॉल किया, इस दौरान किसी अन्य का कॉल आता तो इसकी जानकारी भी अज्ञात शख्स को देनी रहती थी. 26 मई के दिन साइबर ठगों द्वारा बुजुर्ग से वीडियो कॉल में कहा गया की, 14,98,700 रुपए आरटीजीएस करने होंगे. जैसे ही मामले से क्लीन चिट मिलेगी तो यह रुपए वापस दिए जाएंगे. बुजुर्ग ने रुपये RTGS से भेजकर रिसीप्ट साइबर ठगों को व्हाट्सएप की थी.
27 मई के दिन भी दिनभर वीडियो कॉल के जरिए अज्ञात शख्स ने बुजुर्ग का संपर्क जारी रखा. 28 मई के दिन वीडियो कॉल दोबारा आया इस दौरान बुजुर्ग को आरबीआई के नाम वाला लेटरपैड पर लेटर भेजा और 20,65,800 रुपये का आरटीजीएस करने के लिए कहा गया. मामले से क्लीन चिट मिलने पर यह रुपए वापस दिए जाएंगे, ऐसा लेटर में लिखा था. बुजुर्ग ने पैसे RTGS किए. इसके बाद 29 मई के दिन एक बार फिर दिनभर वीडियो कॉल के जरिए बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट रखा गया. 30 मई के दिन एक बार फिर आरबीआई के लेटरपैड वाला लेटर भेजकर बुजुर्ग को 14.38 लाख रुपए आरटीजीएस करने को कहा गया, मामले से क्लीन चिट मिलने पर पैसे वापस मिलेंगे ऐसा इस पत्र में भी लिखा था.
23 मई से 9 जून रहे डिजिटल अरेस्ट
बुजुर्ग से तीन बार लाखों रुपये RTGS करवाने के बाद 31 मई से 2 जून के बीच साइबर ठगों ने बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट रखा. 5 जून के दिन विशाल ठाकुर नाम के शख्स ने बुजुर्ग से सिग्नल नाम की एप्लीकेशन डाउनलोड करवाई. जिसपर से मैसेज आया और वीडियो कॉल चालू करने के लिए कहा गया था. एक बार दोबारा बुजुर्ग को आरबीआई के नामवाले लेटर के साथ 14.38 लाख रुपए आरटीजीएस करने के लिए कहा गया, बुजुर्ग ने आरटीजीएस के जरिए पैसे ट्रांसफर करके रिसिप्ट की फोटो शेयर की थी.
इसके बाद 7 जून और 8 जून के दिन भी अज्ञात शख्सों ने बुजुर्ग को वीडियो कॉल के जरिए डिजिटल अरेस्ट रखा. 9 जून के दिन बुजुर्ग ने अज्ञात शख्स से अब तक जमा कराए हुए पैसों के बारे में अपडेट मांगा. बुजुर्ग अब तक चार बार पैसों का ट्रांजैक्शन कर चुके थे. अज्ञात शख्स ने बुजुर्ग से कहा कि आपको आपके पैसे वापस मिल जाएंगे. रिफंड के लिए हम आपकी रिक्वेस्ट ले रहे हैं लेकिन इसके लिए एक बार फिर 14,38,500 रुपये RTGS करने होंगे. इसके बाद बुजुर्ग को उनके साथ हो रहे साइबर फ्रॉड की भनक लगी और अब 15 अक्टूबर को मामला वडोदरा साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाया गया.