Electricity: आज़ादी के बाद पहली बार 17 गांवों में पहुंची बिजली, बच्चों की पढ़ाई और खेती-किसानी को मिलेगी नई रोशनी

इस योजना से चांवरगांव, मुंदेली, बोदरा, कातुलझोरा, कट्टापार, पिटेमेटा, बुकमरका सहित 17 गांवों को फायदा मिला है.

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gnttv.com
  • राजनंदगांव ,
  • 12 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:02 AM IST

छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले के 17 दुर्गम वनग्रामों में आज़ादी के बाद पहली बार बिजली पहुंची है. अब तक यहां के लोग लालटेन और चिमनी के सहारे जीवनयापन कर रहे थे.

3 करोड़ की आई लागत
मुख्यमंत्री मजरा टोला विद्युतीकरण योजना के तहत करीब 3 करोड़ रुपये की लागत से यहां 25 KVA का सब स्टेशन ट्रांसफॉर्मर स्थापित किया गया है. इसके जरिए 540 परिवारों के जीवन में उजियारा आया है. इस योजना से चांवरगांव, मुंदेली, बोदरा, कातुलझोरा, कट्टापार, पिटेमेटा, बुकमरका सहित 17 गांवों को फायदा मिला है.

आसान नहीं था यह काम
इन इलाकों में बिजली पहुंचाना आसान नहीं था. घने जंगल, दुर्गम पहाड़ियां और नक्सली खतरे हमेशा मौजूद रहे. इसके अलावा जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता था. लेकिन बिजली विभाग ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद यह कार्य पूरा किया.

जिले की कलेक्टर सुश्री तुलिका प्रजापति ने कहा कि पहली बार बिजली पहुंचने से ग्रामीणों के बीच खुशी की लहर है. उन्होंने बताया कि विद्युत विभाग के सहयोग से यह कार्य पूरा हुआ और अब घर-घर कनेक्शन देने का काम जारी है.

ग्रामीण भी अपनी खुशी जाहिर कर रहे हैं. जगून मेरिया (ग्रामीण) ने कहा, “बिजली आने से बच्चों को पढ़ाई में सुविधा मिल रही है.” नरेंद्र कुरैटी (कट्टापार निवासी) ने कहा, “अब खेती-किसानी आसान होगी, लोग बोर खनन करा रहे हैं जिससे सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा.”

रमोला बाई और राजो बाई (ग्रामीण) ने कहा, “बिजली आने से जीवन में उजियारा आया है, अब हम अंधेरे में नहीं बल्कि रोशनी में रहते हैं और टीवी भी देख पा रहे हैं.”

बेहतर भविष्य की ओर कदम
इन 17 गांवों के ग्रामीणों को अब लालटेन और चिमनी के सहारे जीवन नहीं बिताना पड़ेगा. बिजली ने न केवल अंधेरे से छुटकारा दिलाया है, बल्कि बच्चों की शिक्षा, खेती-किसानी और जीवन स्तर सुधारने के नए रास्ते खोल दिए हैं.

(परंमानंद रजक की रिपोर्ट)

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