History of Acts related to Waqf: कभी मुस्लिमों के हक की रक्षा, तो कभी विवादों का केंद्र! 2013 में आया था सबसे बड़ा संशोधन, जानें वक्फ कानून की पूरी गाथा

भारत में वक्फ की अवधारणा मुगल शासन के दौरान प्रमुखता से आई. मुगलों ने धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए बड़े पैमाने पर भूमि और संपत्तियों को वक्फ किया. अकबर, शाहजहां और औरंगजेब ने कई महत्वपूर्ण वक्फ संपत्तियां स्थापित कीं. लेकिन अंग्रेजों के शासनकाल में वक्फ संपत्तियों को लेकर विवाद बढ़ने लगे, और ब्रिटिश सरकार ने इनका नियमन करने के लिए कानून बनाने शुरू किए.

Waqf Amendments (Photo/PTI)
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 03 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 12:55 PM IST
  • वक्फ दो प्रकार के होते हैं
  • विवादों में रहा वक्फ

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लोकसभा में 288-232 के मतों से पारित कर दिया गया है. अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा, और अगर वहां भी यह पारित हो जाता है, तो राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इसे कानून बना दिया जाएगा.  

हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब ऐसा हो रहा है. भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन को लेकर समय-समय पर कई कानूनी बदलाव किए गए हैं. वक्फ अधिनियमों का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की रक्षा करना, उनके प्रशासन को अधिक पारदर्शी बनाना और इन संपत्तियों को मुस्लिम समुदाय के धार्मिक, सामाजिक और परोपकारी कार्यों के लिए सुरक्षित रखना रहा है.

भारत में वक्फ से जुड़े कानूनों की जड़ें मुगल शासन काल से जुड़ी हुई हैं. मुगलों ने बड़ी संख्या में जमीनों को धार्मिक और परोपकारी कार्यों के लिए वक्फ किया था. लेकिन ब्रिटिश शासन के दौरान वक्फ संपत्तियों पर विवाद बढ़ने लगे, और इन संपत्तियों के प्रशासन को लेकर पहली बार कानूनी रूपरेखा तैयार की गई.

1947 में भारत की आजादी के बाद, सरकार ने वक्फ संपत्तियों की देखरेख और प्रशासन के लिए नए कानूनों की आवश्यकता महसूस की, जिसके परिणामस्वरूप 1954, 1995, 2013 और 2022 में महत्वपूर्ण कानूनी संशोधन किए गए.

वक्फ क्या है? 
वक्फ एक इस्लामिक परंपरा है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को धार्मिक, परोपकारी या समाजसेवा के कार्यों के लिए स्थायी रूप से समर्पित कर देता है. एक बार वक्फ घोषित की गई संपत्ति को बेचा, दान किया या किसी व्यक्ति को ट्रंसफर नहीं किया जा सकता. यह संपत्ति आमतौर पर मस्जिदों, मदरसों, अनाथालयों, कब्रिस्तानों, धर्मशालाओं और दूसरी जनकल्याणकारी संस्थानों के लिए इस्तेमाल की जाती है.

वक्फ दो प्रकार के होते हैं:

  • खालिस वक्फ (Pure Waqf): केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए.
  • मिश्रित वक्फ (Mixed Waqf): धार्मिक और परोपकारी दोनों उद्देश्यों के लिए.
(Photo/PTI)

भारत में वक्फ की शुरुआत
भारत में वक्फ की अवधारणा मुगल शासन के दौरान प्रमुखता से आई. मुगलों ने धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए बड़े पैमाने पर भूमि और संपत्तियों को वक्फ किया. अकबर, शाहजहां और औरंगजेब ने कई महत्वपूर्ण वक्फ संपत्तियां स्थापित कीं. लेकिन अंग्रेजों के शासनकाल में वक्फ संपत्तियों को लेकर विवाद बढ़ने लगे, और ब्रिटिश सरकार ने इनका नियमन करने के लिए कानून बनाने शुरू किए. 

वक्फ से जुड़े प्रमुख कानूनी बदलाव (1800 - 2024)
भारत में वक्फ से जुड़े कानूनों को समझने के लिए हमें तीन महत्वपूर्ण चरणों में इसे बांटना होगा:

  • ब्रिटिश काल (1800 - 1947)
  • आजाद भारत में वक्फ कानून (1947 - 2013)
  • वर्तमान में वक्फ कानून (2013 - 2025)

ब्रिटिश काल (1800 - 1947): वक्फ के लिए शुरुआती कानून
ब्रिटिश शासन के दौरान वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण रखने के लिए कई कानून बनाए गए. ब्रिटिश न्यायपालिका ने कई मामलों में वक्फ संपत्तियों को "निजी संपत्ति" मानकर विवाद पैदा किए, जिससे वक्फ को कानूनी सुरक्षा देने की आवश्यकता महसूस हुई.

1. 1874: बंगाल वक्फ ऐक्ट (Bengal Waqf Act, 1874)

  • यह भारत में वक्फ से जुड़ा पहला कानून था.
  • इस कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का प्रशासन करना था, लेकिन यह केवल बंगाल तक सीमित था.

2. 1913: मुस्लिम वक्फ वैधता अधिनियम (Mussalman Wakf Validating Act, 1913)

  • यह ब्रिटिश सरकार द्वारा पारित एक महत्वपूर्ण कानून था.
  • इसने स्पष्ट किया कि वक्फ केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि परोपकारी उद्देश्यों के लिए भी हो सकता है.
  • इससे पहले ब्रिटिश न्यायपालिका कई मामलों में वक्फ को निजी संपत्ति मानकर फैसले दे रही थी, जिससे इस कानून की आवश्यकता पड़ी.

3. 1923: मुस्लिम वक्फ वैधता (संशोधन) अधिनियम

  • इस अधिनियम में यह प्रावधान किया गया कि वक्फ संपत्तियों को कानूनी रूप से चुनौती नहीं दी जा सकती.
  • इससे वक्फ संपत्तियों को ज्यादा कानूनी सुरक्षा मिली.

4. 1934: वक्फ अधिनियम (Waqf Act, 1934)

  • यह पहला व्यापक कानून था जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन के लिए लाया गया.
  • वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और उनकी देखरेख के लिए नियम बनाए गए.
  • हालांकि, यह कानून सीमित था और इसे और अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता थी.
(Photo/PTI)

स्वतंत्र भारत में वक्फ कानून (1947 - 2013)

स्वतंत्रता के बाद सरकार ने वक्फ संपत्तियों के सही प्रबंधन के लिए कई कानून बनाए.

1. 1954: वक्फ अधिनियम (Waqf Act, 1954)
ये वक्फ संपत्तियों के केंद्रीकृत प्रबंधन की दिशा में पहला कदम था. इसका मुख्य उद्देश्य भारत में वक्फ संपत्तियों का प्रशासनिक नियंत्रण स्थापित करना था. साथ ही राज्य स्तर पर वक्फ बोर्डों की स्थापना और एक केंद्रीय वक्फ परिषद (Central Waqf Council) का गठन करना था.

  • यह आजादी के बाद भारत में पहला बड़ा वक्फ कानून था.
  • इसके चलते इस अधिनियम के तहत राज्यों में वक्फ बोर्डों की स्थापना की गई.
  • वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उनके उपयोग की निगरानी के लिए नियम बनाए गए.

2. 1964: वक्फ अधिनियम में संशोधन

  • इस संशोधन में वक्फ संपत्तियों की जांच के लिए विशेष प्रावधान किए गए.
  • सभी राज्यों में वक्फ बोर्डों के कार्यों को और अधिक स्पष्ट किया गया.

3. 1984: वक्फ अधिनियम में संशोधन

  • वक्फ संपत्तियों के उचित दस्तावेजीकरण और निगरानी के लिए सख्त नियम बनाए गए.
  • यह संशोधन वक्फ बोर्डों को अधिक अधिकार देने के लिए किया गया था.

हालांकि, इसमें कई कमियां थीं. वक्फ संपत्तियों के अतिक्रमण को रोकने के लिए इस अधिनियम में पर्याप्त प्रावधान नहीं थे. वक्फ बोर्डों के पास सीमित अधिकार थे. यह कानून वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता को सुनिश्चित करने में विफल रहा.

4. 1995: वक्फ अधिनियम (Waqf Act, 1995)
इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रशासन को और अधिक प्रभावी बनाना था. इसके अलावा, वक्फ ट्रिब्यूनल की स्थापना करना. वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए सख्त प्रावधान लागू करना.

इसके चलते कई बदलाव हुए

  • राज्यों में वक्फ बोर्डों को अधिक शक्तियां दी गईं. 
  • वक्फ ट्रिब्यूनल की स्थापना की गई ताकि वक्फ से जुड़े कानूनी विवादों का तेजी से निपटारा किया जा सके. 
  • मुतवल्ली (Waqf caretakers) की जवाबदेही तय की गई ताकि वे वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग न कर सकें.
  • धारा 40: वक्फ बोर्ड को यह अधिकार दिया गया कि वह किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित कर सकता है, जिससे कई विवाद उत्पन्न हुए.
  • धारा 83: वक्फ ट्रिब्यूनल को यह अधिकार दिया गया कि उसके द्वारा दिया गया निर्णय अंतिम होगा, और इसे किसी भी अन्य अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती.

लेकिन इसमें भी कई कमियां रहीं. वक्फ ट्रिब्यूनल की प्रक्रिया धीमी रही. क्योंकि वक्फ संपत्तियों का अतिक्रमण रोकने के लिए कठोर दंड प्रावधान नहीं थे. वक्फ बोर्डों पर भ्रष्टाचार और संपत्तियों के गलत उपयोग के आरोप लगते रहे.

(Photo/PTI)

5. 2013: वक्फ (संशोधन) अधिनियम (Waqf Amendment Act, 2013)
यह वक्फ कानून में अब तक का सबसे महत्वपूर्ण संशोधन था. इसका मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के अतिक्रमण को रोकने के लिए सख्त प्रावधान लाना था. साथ ही वक्फ बोर्डों को अधिक शक्तियां प्रदान करना. इसके अलावा, भ्रष्टाचार को रोकने के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करना.

  • धारा 51: वक्फ संपत्तियों को किराए पर देने और लीज़ पर देने के लिए कड़े नियम बनाए गए.
  • धारा 52A: अतिक्रमण हटाने के लिए वक्फ ट्रिब्यूनल को अधिक शक्तियां दी गईं.
  • धारा 104A: वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जा करने वालों के लिए 1 से 5 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया.
  • वक्फ संपत्तियों की डिजिटलीकरण (Digitalization) की प्रक्रिया शुरू की गई.
  • राज्य सरकारों को निर्देश दिए गए कि वे वक्फ संपत्तियों की एक ऑनलाइन सूची तैयार करें.

इसकी कमियों की बात करें, तो वक्फ संपत्तियों की सही निगरानी के लिए कोई सीधा सिस्टम नहीं बनाया गया. डिजिटल रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया बहुत धीमी रही.

हाल के कुछ सालों में वक्फ संपत्तियों के अतिक्रमण और भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर विवाद बढ़े हैं. जिसे लेकर संसद में वक्फ अधिनियम को संशोधित करने की चर्चाएं पिछले एक साल से तेज हुई. इस दौरान भाजपा समेत कई दल वक्फ कानूनों की समीक्षा की मांग की. इसी को देखते हुए 2 अप्रैल को वक्फ पर संसद में एक लंबी बहस चली और वक्फ संशोधन बिल पास हुआ. 

 

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