22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए खौफनाक आतंकी हमले ने भारत को हिलाकर रख दिया. 26 मासूमों की मौत और दर्जनों घायलों के बाद भारत ने चुप्पी तोड़ी और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई! 7-8 मई 2025 की रात पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की और भारत के 15 शहरों में सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के लिए ड्रोन और मिसाइलें दागीं. लेकिन भारत की शक्तिशाली वायु रक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) ने इन हमलों को नाकाम कर दिया.
रूस से खरीदा गया S-400 ‘सुदर्शन चक्र’ और भारत की स्वदेशी प्रणालियों ने पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही उड़ा दिया. लेकिन सवाल ये है ये एयर डिफेंस सिस्टम काम कैसे करता है? क्या ये सचमुच ड्रोन और मिसाइल को हवा में ब्लास्ट कर देती है? क्या ये पूरी तरह ऑटोमैटिक है, या इसके पीछे कोई इंसानी दिमाग भी होता है?
वायु रक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम) किसी देश की सुरक्षा का वो ढाल है, जो दुश्मन के हवाई हमलों- जैसे ड्रोन, मिसाइल, लड़ाकू विमान या क्रूज मिसाइल को नाकाम करती है. भारत के पास S-400, आकाश, बराक-8 और स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) जैसे सिस्टम हैं, जो आसमान में दुश्मन की हर चाल को भांप लेती हैं. लेकिन ये काम कैसे करती हैं?
आइए, इसे स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं.
स्टेप 1: खतरे को भांपना (डिटेक्शन)
वायु रक्षा प्रणाली का पहला काम है दुश्मन के हवाई खतरे को पकड़ना. इसके लिए रडार सिस्टम का इस्तेमाल होता है, जो सैकड़ों किलोमीटर दूर से मिसाइल, ड्रोन या विमान की गतिविधियों को ट्रैक करता है. भारत के पास स्वॉर्डफिश और LRTR (लॉन्ग रेंज ट्रैकिंग रडार) जैसे एडवांस रडार हैं, जो 600 किमी तक की दूरी से खतरे को भांप लेते हैं. उदाहरण के लिए, S-400 सिस्टम 600 किमी दूर तक हवाई खतरे को ट्रैक कर सकता है.
7-8 मई की रात, जब पाकिस्तान ने अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, लुधियाना जैसे 15 शहरों को निशाना बनाने की कोशिश की, तो भारत के रडार ने इन ड्रोन और मिसाइलों को तुरंत पकड़ लिया.
स्टेप 2: खतरे का विश्लेषण (ट्रैकिंग और आइडेंटिफिकेशन)
रडार खतरे को पकड़ने के बाद कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम उसकी स्पीड, दिशा और प्रकार का विश्लेषण करता है. क्या ये ड्रोन है, मिसाइल है, या लड़ाकू विमान? भारत का इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) इस काम को बखूबी करता है. ये सिस्टम तय करता है कि खतरे को कैसे निपटाना है.
स्टेप 3: इंटरसेप्शन (हमला और नष्ट करना)
खतरा पक्का होने के बाद वायु रक्षा प्रणाली अपनी मिसाइल या इंटरसेप्टर लॉन्च करती है. ये इंटरसेप्टर दुश्मन की मिसाइल या ड्रोन को हवा में ही नष्ट कर देते हैं. भारत के S-400 सिस्टम में ऐसी मिसाइलें हैं, जो 400 किमी की रेंज में किसी भी खतरे को खत्म कर सकती हैं. वहीं, आकाश मिसाइल सिस्टम 45 किमी तक की दूरी और 25 किमी की ऊंचाई पर टारगेट को भेद सकता है.
पाकिस्तान के हमले में भारत ने इंटीग्रेटेड काउंटर UAS ग्रिड और S-400 का इस्तेमाल कर ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही उड़ा दिया.
स्टेप 4: नुकसान का आकलन
हमले के बाद सिस्टम यह जांचता है कि खतरा पूरी तरह खत्म हुआ या नहीं. मलबे की जांच की जाती है, जैसा कि अमृतसर में पाकिस्तानी मिसाइल के मलबे के साथ हुआ.
क्या भारत का सिस्टम ड्रोन और मिसाइल को हवा में ही उड़ा देता है?
हां, बिल्कुल! भारत की वायु रक्षा प्रणाली ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही नष्ट करने के लिए डिजाइन की गई है. इसका मकसद है कि दुश्मन का हथियार जमीन पर पहुंचने से पहले ही खत्म हो जाए, ताकि जान-माल का नुकसान न हो. लेकिन ये कैसे होता है?
भारत का बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) सिस्टम दो स्तरों पर काम करता है:
एक्सो-एटमॉस्फेरिक (वायुमंडल के बाहर): पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) मिसाइल 50-80 किमी की ऊंचाई पर, यानी अंतरिक्ष में, मिसाइलों को नष्ट करती है.
एंडो-एटमॉस्फेरिक (वायुमंडल के अंदर): एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD) मिसाइल 15-30 किमी की ऊंचाई पर लक्ष्य को भेदती है.
पाकिस्तान के ड्रोन, जो कम ऊंचाई पर उड़ रहे थे, को भारत ने S-400 और भर्गवास्त्र जैसे सिस्टम से हवा में ही नष्ट किया. भर्गवास्त्र एक स्वदेशी माइक्रो-मिसाइल सिस्टम है, जो 6 किमी दूर से छोटे ड्रोन को पकड़कर 2.5 किमी की रेंज में उन्हें उड़ा देता है.
हिट-टू-किल या ब्लास्ट?
कुछ सिस्टम, जैसे PAD, हिट-टू-किल तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जहां इंटरसेप्टर सीधे टारगेट से टकराकर उसे खत्म करता है. वहीं, S-400 और आकाश जैसी प्रणालियां ब्लास्ट फ्रैगमेंटेशन का इस्तेमाल करती हैं, यानी इंटरसेप्टर के विस्फोट से टारगेट टुकड़े-टुकड़े हो जाता है. 7-8 मई को भारत ने दोनों तकनीकों का इस्तेमाल कर पाकिस्तान के 25 ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही खत्म किया.
क्या ये सिस्टम ऑटोमैटिक है?
ये सवाल हर किसी के मन में है क्या भारत का एयर डिफेंस सिस्टम पूरी तरह ऑटोमैटिक है, या इसके पीछे इंसानी दिमाग काम करता है? जवाब है- दोनों! भारत की वायु रक्षा प्रणाली सेमी-ऑटोमैटिक है, यानी कुछ काम मशीनें खुद करती हैं, लेकिन अहम फैसले इंसान लेते हैं.