I-Star की 10 हजार करोड़ की डील! दुश्मन की रडार से दूर, दिन-रात हर मौसम में करेगा काम, भारत का आकाशी जासूस

I-STAR जैसे ISR विमानों का उपयोग कई देश अपनी रक्षा रणनीति को मजबूत करने के लिए करते हैं. भारत इस क्षेत्र में नया कदम रख रहा है, लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन, और इजरायल जैसे देश पहले से ही इस तरह की तकनीक का उपयोग कर रहे हैं.

I-Star's deal worth Rs 10,000 crore (Representative Image)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 09 जून 2025,
  • अपडेटेड 12:31 PM IST

क्या आपने कभी सोचा है कि कोई ऐसा हवाई जहाज हो, जो न सिर्फ दुश्मनों की हर हरकत पर नजर रखे, बल्कि सटीक हमले करके उन्हें पलभर में तबाह कर दे? भारत अब एक ऐसे ही हाई-टेक हथियार को अपनी ताकत बनाने जा रहा है – I-STAR (Intelligence, Surveillance, Target Acquisition, and Reconnaissance) विमान! यह नया 'आकाशी जासूस' भारत की रक्षा शक्ति को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा. लेकिन यह I-STAR आखिर है क्या? इसके फीचर्स क्या हैं? 

I-STAR क्या है? भारत का नया 'आकाशी हथियार'
I-STAR यानी Intelligence, Surveillance, Target Acquisition, and Reconnaissance विमान, भारत की रक्षा प्रणाली में एक गेम-चेंजर साबित होने जा रहा है. यह 10,000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला स्वदेशी प्रोजेक्ट है, जिसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) तैयार कर रहा है. यह विमान हाई-टेक सेंसर, रडार, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस है, जो इसे दुश्मन के इलाके में गहरी पैठ और सटीक हमले करने की ताकत देता है. यह न सिर्फ दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखता है, बल्कि रियल-टाइम में टारगेट को लॉक करके सटीक हमले की क्षमता रखता है.

I-STAR के हैरान करने वाले फीचर्स
I-STAR की खासियतें इसे एक साधारण विमान से कहीं ज्यादा खतरनाक बनाती हैं. इसके प्रमुख फीचर्स पर नजर डालें:

  • हाई-एल्टिट्यूड सर्विलांस: I-STAR हाई-एल्टिट्यूड पर उड़ान भरता है, जिससे यह दुश्मन के रडार से बच सकता है. यह स्टैंड-ऑफ रेंज से दुश्मन के इलाके में गहरी निगरानी करता है, जिससे जोखिम कम रहता है.
  • स्वदेशी सेंसर और डेटा प्रोसेसिंग: DRDO द्वारा विकसित सेंसर और डेटा प्रोसेसिंग सिस्टम इसे पूरी तरह स्वदेशी बनाते हैं. यह रियल-टाइम में डेटा इकट्ठा करके विश्लेषण करता है, जिससे तुरंत फैसले लिए जा सकते हैं.
  • मल्टी-स्पेक्ट्रल इमेजिंग: I-STAR दिन-रात, हर मौसम में काम कर सकता है. इसके मल्टी-स्पेक्ट्रल सेंसर दुश्मन के रडार साइट्स, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम (SAM), और मोबाइल यूनिट्स को आसानी से पकड़ लेते हैं.
  • AI और रियल-टाइम टारगेटिंग: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ यह विमान दुश्मन के ठिकानों को तुरंत पहचानता और टारगेट करता है. यह सटीक हमले सुनिश्चित करता है, जिससे कोलैटरल डैमेज (अनावश्यक नुकसान) कम होता है.
  • इंटीग्रेटेड ISR सिस्टम: I-STAR में इंटेलिजेंस, सर्विलांस, टारगेट एक्विजिशन, और रिकॉन्सेन्स की एकीकृत क्षमता है. यह न सिर्फ निगरानी करता है, बल्कि युद्ध के दौरान सटीक हमलों के लिए डेटा भी प्रदान करता है.
  • ड्रोन लॉन्च करने की क्षमता: कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, I-STAR ड्रोन लॉन्च करने की क्षमता रखता है, जो 1,000 मील तक की रेंज में काम कर सकते हैं. यह इसे और भी घातक बनाता है.
  • नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर: यह विमान भारतीय वायुसेना, थलसेना, और नौसेना के साथ समन्वय में काम करता है. यह रियल-टाइम डेटा को साझा करके युद्ध के मैदान में पारदर्शिता बढ़ाता है.

इन खूबियों के साथ, I-STAR भारत को रणनीतिक बढ़त देता है और क्षेत्रीय तनावों में तेज, नियंत्रित जवाब देने की क्षमता प्रदान करता है.

कौन-कौन से देश करते हैं I-STAR का इस्तेमाल?
I-STAR जैसे ISR विमानों का उपयोग कई देश अपनी रक्षा रणनीति को मजबूत करने के लिए करते हैं. भारत इस क्षेत्र में नया कदम रख रहा है, लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन, और इजरायल जैसे देश पहले से ही इस तरह की तकनीक का उपयोग कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, अमेरिका का Shadow R1 और ATHENA जैसे ISR विमान 2009 से वैश्विक स्तर पर तैनात हैं. ये विमान इराक, अफगानिस्तान, और अन्य युद्ध क्षेत्रों में इस्तेमाल हो चुके हैं. भारत का I-STAR प्रोजेक्ट स्वदेशी होने के कारण इसे अनोखा बनाता है, और यह जल्द ही भारतीय वायुसेना (IAF) की ताकत को कई गुना बढ़ा देगा.

भारत जैसे देश के लिए, जहां सीमाओं पर तनाव और आतंकवादी खतरे लगातार बने रहते हैं, I-STAR एक रणनीतिक हथियार है. यह न केवल दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखता है, बल्कि सटीक हमले सुनिश्चित करके युद्ध में भारत को बढ़त देगा. 
 

 

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