पंजाब के एडिशनल सेशन जज प्रेम कुमार की बर्खास्तगी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने ज्यूडिशियरी में जजों से जातीय पक्षपात को लेकर बेहद सख्त टिप्पणी की है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह जज परिस्थितियों और जातिगत पक्षपात का शिकार हुआ. सब पहले से फिक्स था. ऊंचे समुदाय के लोग बर्दाश्त ही नहीं कर पा रहे थे कि उपेक्षित समुदाय के व्यक्ति का लड़का कम उम्र में जज बन गया और उनके बीच आ गया.
क्या था मामला?
अमृतसर जिला कोर्ट के एडिशनल जिला एवं सत्र जज प्रेम कुमार को लेकर रेप के एक आरोपी ने हाई कोर्ट में शिकायत दी. जिसमें कहा गया कि प्रेम कुमार ने वकालत करने के दौरान रेप पीड़िता की ओर से समझौते के लिए संपर्क किया और पीड़िता को 1.50 लाख रुपए दिलवाए. इसके बाद हाई कोर्ट ने विजिलेंस जांच शुरू की. इसके आधार पर जज की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में ईमानदारी संदिग्ध दर्ज कर दी गई. इसके बाद साल 2022 में साल 2015 की इस रिपोर्ट के आधार पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की फुल बेंच ने प्रेम कुमार को बर्खास्त कर दिया.
इसके बाद प्रेम कुमार ने इसे पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी तो जनवरी 2025 में सबूतों की कमी का हवाला दिया गया और उनकी बर्खास्तगी रद्द कर दी गई. इसके बाद हाई कोर्ट ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. अब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने ये टिप्पणी की है.
कौन हैं प्रेम कुमार-
प्रेम कुमार 26 अप्रैल 2014 को एडिशनल जिला एवं सत्र जज नियुक्त किए गए थे. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि प्रेम कुमार के पिता मोची थे और मां मजदूरी करती थीं. वो एक उपेक्षित समुदाय से आते हैं. इसके बावजूद मेहनत करके जज बने. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि एसीआर रिपोर्ट बताती है कि मामलों को सुनने, फैसला देने और मामलों का निपटारा करने में वे बेहतर थे. लेकिन अचानक सबकुछ खराब हो गया.
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