राजस्थान के अलवर जिले के खेड़ली कस्बे का एक मामला इस समय सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. यहां बेटियों ने रूढ़िवादी परंपरा को तोड़ते हुए अपने पिता की अर्थी को कान्धा दिया. उसके बाद अपने पिता को मुखाग्नि दी. गांव के लोगों ने बेटियों के इस कदम की जमकर तारीफ की.
बेटा नहीं, तो बेटियों ने निभाया फर्ज
रामनिवास शुक्ला का खेड़ली से नदबई जाते समय रास्ते में भयंकर एक्सीडेंट हो गया था. उसके बाद रामनिवास एक महीने 19 दिन तक जयपुर स्थित सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती रहे. रामनिवास के कोई बेटा नहीं है. इसलिए उनकी दोनों बेटियों ने अपनी मां के साथ घायल पिता की देखभाल की.
इलाज के दौरान रामनिवास की मौत हो गई. रामनिवास का खेड़ली में अंतिम संस्कार हुआ. इस पर बड़ी बेटी दीक्षा शुक्ला, छोटी बेटी उर्वशी शुक्ला ने बेटे का फर्ज निभाते हुए अपने पिता की अर्थी को कन्धा दिया.
बेटियों ने लोगों की आखें की नम
उसके बाद दोनों बेटियों ने अपने पिता का अंतिम संस्कार किया व उनको मुखाग्नि दी. इस दौरान शमशान में मौजूद सैकड़ों लोगों की आंखें नम हो गई. बेटीयों के इस कदम पर परिवार व समाज के लोगों ने गर्व महसूस किया. बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाया.
आर्थिक कमजोरी नहीं आने दी आड़े
रामनिवास का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है. दोनों बेटियां कंधे से कंधा मिलाकर अपनी मां के साथ परिवार का भरण पोषण कर रही हैं. तो रामनिवास के अंतिम संस्कार में मौजूद लोगों ने पूरे मामले के वीडियो बनाए और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए. यह मामला सोशल मीडिया पर अब चर्चा का विषय बना हुआ है. साथ ही बेटियों के इस कदम की लोग तारीफ कर रहे हैं.
-हिमांशु शर्मा की रिपोर्ट