जल्द ही पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव (Assembly elections)होने हैं. इससे पहले केंद्र सरकार ने अन्य पिछड़े वर्ग (OBC)के हित में फैसला लिया है. केंद्र सरकार आरक्षण के लिए ओबीसी क्रीमीलेयर लिमिट (OBC creamy layer limit)को बढ़ाने की तैयारी में है. आरक्षण के लिए ओबीसी क्रीमीलेयर की लिमिट को 8 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख करने की तैयारी है. इसके लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय जल्द ही परामर्श शुरू करेगा.
फिर से परामर्श शुरू करेंगे - वरिष्ठ अधिकारी
बता दें कि, केंद्र द्वारा ओबीसी के क्रीमी लेयर के लिए आय सीमा बढ़ाने के कदम की पहल के तीन साल बाद, यह मुद्दा एक बार फिर जांच के लिए ड्राइंग बोर्ड में वापस चला गया है. मंत्रालय इसे लेकर एक बार फिर से जांच करेगा कि वार्षिक आय गणना में वेतन और कृषि आय को शामिल किया जाना चाहिए या नहीं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि "मंत्रालय को इस मुद्दे की फिर से जांच करने के लिए कहा गया है, जो कैबिनेट नोट रखा गया था उसे वापस कर दिया गया है. हम फिर से परामर्श शुरू करेंगे."
OBC को मिलता है 27 प्रतिशत आरक्षण
वर्तमान में ओबीसी (OBC)उच्च शिक्षण संस्थानों और सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार में 27 प्रतिशत कोटा के हकदार हैं, केवल तब जब माता-पिता की ग्रॉस एनुअल इनकम 8 लाख रुपये से अधिक नहीं है. 8 लाख और उससे अधिक की वार्षिक आय वाले व्यक्ति को "क्रीमी लेयर" के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता है.
इससे पहले कब-कब बढ़ाई गई थी लिमिट ?
इनकम क्राइटेरिया की आमतौर पर हर तीन साल में समीक्षा की जाती है. पिछली समीक्षा 2017 में हुई थी जब बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने इसे 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख कर दिया था. 2013 में, कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के तहत ग्रॉस एनुअल इनकम 4.5 लाख से बढ़ाकर 6 लाख कर दिया गया था. हालांकि, 2020 की समीक्षा से पहले, मंत्रालय ने मार्च 2019 में सेवानिवृत्त सचिव बीपी शर्मा के तहत एक पैनल का गठन किया. पैनल का गठन न केवल सकल वार्षिक आय सीमा की समीक्षा करने के लिए किया गया था, बल्कि क्रीमी लेयर की कसौटी निर्धारित करने के लिए "मानदंडों पर फिर से विचार" करने के लिए भी किया गया था.
अब सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय सलाना आय की अधिकतम सीमा को वर्तमान आठ लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख करने पर विचार किया जाएगा. इसके साथ ही मंत्रालय इस बात पर भी विचार विमर्श करेगा कि वार्षिक आय गणना में वेतन और कृषि आय को शामिल किया जाना चाहिए या नहीं.
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