National Investigation Agency Chief: 26/11 आतंकी हमले के हीरो सदानंद दाते बने NIA चीफ, जानिए इस IPS Officer के बारे में

महाराष्ट्र में Anti-Terrorism Squad या ATS के चीफ सदानंद वसंत दाते को National Investigation Agency (NIA) का महानिदेशक नियुक्त किया गया है. यह कदम कार्मिक मंत्रालय (Personnel Ministry) के आदेश के अनुसार उठाया गया है.

IPS Sadanand Date
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 28 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 2:48 PM IST

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के प्रमुख के रूप में नियुक्त किए गए 1990 बैच के IPS अधिकारी डॉ. सदानंद दाते को बेहद साफ-सुथरी छवि वाले एक ईमानदार अधिकारी के रूप में जाना जाता है. दाते उन अधिकारियों में से एक थे जिन्होंने मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमलों के दौरान आतंकवादियों से लोहा लिया था और यह उनकी बहादुरी और सूझबूझ का ही नतीजा था कि कामा और एल्बलेस अस्पताल में बंधकों को बचाया गया था. बाद में, उन्हें को वीरता के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था. 

दाते वर्तमान में महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) के प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं, और इससे पहले कई महत्वपूर्ण पदों पर उन्होंने काम किया है. वह साल 2020 में नवगठित मीरा भयंदर वसई विरार (MBVV) पुलिस कमिश्नरेट के पहले कमिश्नर रहे, कानून एवं व्यवस्था के जॉइंट कमिश्नर और बाद में मुंबई शहर में क्राइम ब्रांच के जॉइंट कमिश्नर. 

कौन हैं IPS सदानंद दाते 
सदानंद दाते मूल रूप से पुणे से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की. साथ ही, वह भारतीय लागत लेखाकार संस्थान (ICAI) से क्वालिफाइड कॉस्ट और मैनेजमेंट अकाउंटेंट हैं. 

दाते पिछले दो वर्षों से महाराष्ट्र के एटीएस के प्रमुख रहे हैं, जहां उन्होंने जासूसी के आरोप में पुणे के DRDO साइंटिस्ट प्रदीप कुरुलकर की गिरफ्तारी सहित कई हाई-प्रोफाइल मामलों को संभाला. उन्होंने ISI से जुड़े कई आतंकियों को भी पकड़ा. दाते का करियर उल्लेखनीय रहा है, उन्होंने कई साल पहले मुंबई क्राइम ब्रांच के प्रमुख के रूप में कार्य करते हुए रवि पुजारी गिरोह को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 

ईमानदार और मेहनती अफसर हैं दाते 
दाते अपना काम के प्रति समर्पित अधिकारी हैं. बताया जाता है कि जब वह इकोनॉमिक ऑफेंसेज विंग  में थे तब सुबह 9.30 बजे के बजाय एक घंटे पहले 8.30 बजे अपने ऑफिस पहुंच जाते थे. क्योंकि यहां पर उन्हें केस की बहुत सी फाइलें पढ़नी होती थीं और वह जल्दी आकर फाइल्स देख लेते थे ताकि उन्हें बाकी का दिन इस काम में न देना पड़े और वह लोगों से मिल सकें. 

उन्हें देखकर दूसरे अधिकार भी समय से पहले आकर सभी केस पढ़ते थे ताकि किसी तरह की परेशानी न हो. इसके अलावा जब MBVV पुलिस कमिश्नरेट की स्थापना की गई थी, तो कई आईपीएस अधिकारी वहां जाना नहीं चाहता था क्योंकि कमिश्नरेट बनाना बहुत मुश्किल काम है और बहुत सारा प्रशासनिक काम होता है. लेकिन दाते न सिर्फ वहां गए बल्कि उन्होंने वहां ई-ऑफिस जैसा सिस्टम स्थापित किया. दाते ने जो काम तीन-चार साल पहले किया था, वही महाराष्ट्र सरकार ने विभागों से अब करने को कहा है. ॉ

 

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