जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार (24 नवंबर 2025) को राष्ट्रपति भवन में भारत के 53वें सीजेआई के रूप में शपथ ली. उनको भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपद दिलवाई, जिसे उन्होंने हिंदी में लिया. सीजेआई के रूप में उनका कार्यकाल 15 महीनों का होगा. वो भूषण आर गवई की जगह लेंगे. सीजेआई भूषण आर गवई ने संविधान के अनुच्छेद 124 की धारा 2 के तहत अगले सीजेआई के लिए जस्टिस सूर्यकांत का नाम सामने रखा था. राष्ट्रपति ने इसपर मुहर लगाते हुए जस्टिस सूर्यकांत को देश का 53वां सीजेआई नियुक्त कर दिया है.
कहां से ली शिक्षा
गांव के स्कूल से शुरुआती शिक्षा पाने के बाद उन्होंने 1984 में महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय (MDU), रोहतक से एलएलबी की डिग्री ली. उनके बड़े भाई रविकांत, जो एक रिटायर्ड शिक्षक हैं, बताते हैं कि सूर्यकांत बचपन से ही वकील बनने का सपना देखा करते थे.
एलएलबी पूरी करने के बाद जस्टिस सूर्यकांत ने हिसार की जिला अदालत में एक साल तक वकालत की. 1985 में वे पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट, चंडीगढ़ में प्रैक्टिस करने पहुंचे. बाद में, जज रहते हुए भी उन्होंने शिक्षा जारी रखी और 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एलएलएम की डिग्री हासिल की.
सबसे युवा एडवोकेट जनरल और जज
सिर्फ 38 साल की उम्र में वे हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल (AG) बने. साल 2004 में, 42 वर्ष की उम्र में, उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया. 14 साल से अधिक समय तक उन्होंने न्यायाधीश के रूप में कार्य किया और फिर 5 अक्टूबर 2018 को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने. इसके बाद, 24 मई 2019 को वे सुप्रीम कोर्ट के जज बने.
लिए कई ऐतिहासिक फैसले
हाई कोर्ट में रहते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कई अहम फैसले दिए. उन्होंने कैदियों को अपने जीवनसाथी से मिलने का अधिकार देने वाले ऐतिहासिक आदेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वे उस बेंच का हिस्सा थे जिसने 2017 में डेरा सच्चा सौदा परिसर की सैनेटाइजेशन प्रक्रिया का आदेश दिया था, जब डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के बाद हिंसा भड़की थी. उन्होंने पंजाब के भोला ड्रग रैकेट मामले की सुनवाई की और पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ में नशे के खिलाफ कई सख्त निर्देश जारी किए.