801 किलो का केक काटकर मनाया गया कालभैरव का जन्मदिन, अलग-अलग थीम पर बना था बर्थडे केक

इस बार 801 किलो का केक 'आजादी के अमृत महोत्सव' को समर्पित था. इसके अलावा भी अलग-अलग थीम थी कहीं आजादी का अमृत महोत्सव तो कहीं ज्ञानवापी मस्जिद में बाबा मिल गए और तो और बाबा को चढ़ाई जाने वाली मदिरा की बोतल भी केक केक आकार में थी.

कालभैरव का जन्मदिन
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी,
  • 16 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:07 PM IST

भैरव अष्टमी यानी वो दिन जब शिव के रौद्र रूप बाबा कालभैरव की उत्पत्ति हुई थी. इस दिन को काशीवासी भैरव भक्त बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते चले आ रहे हैं. इसी उपलक्ष्य में बाबा कालभैरव के दरबार में भक्तों ने 801 किलों का केक काटकर उनका जन्मदिन मनाया. इस बार भारी भरकम केक की अलग-अलग थीम थी. कहीं आजादी का अमृत महोत्सव तो कहीं ज्ञानवापी मस्जिद में बाबा मिल गए और तो और बाबा को चढ़ाई जाने वाली मदिरा की बोतल भी केक केक आकार में थी.

डमरूओं की डमडम और पूरे वातावरण में लगता कालभैरव बाबा की जय-जयकार का उद्घोष. शिव की नगरी काशी में शिव के रौद्र रूप कालभैरव मंदिर का ऐसा नजारा पूरे वर्ष में सिर्फ एक दिन भैरव अष्टमी के पर्व पर ही देखने को मिलता है. जब दिनभर एक ओर मंदिर के पुजारियों की ओर से बाबा कालभैरव के जन्मदिन पर विशेष पूजन और अनुष्ठान चलता रहता है और मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है तो वहीं ऐसे भी श्रद्धालु है जो हर वर्ष ड्राई फ्रूट और फ्रेश फ्रूट से बने केक भारी-भरकम केक के वजन में वृद्धि करते चले आ रहे हैं. जहां पिछली बार कोविड वैक्सीन के 100 करोड़ के लक्ष्य पर बना 'थैंक्स टू पीएम मोदी' 701 किलो का केक काटा गया था तो वहीं इस बार 801 किलो का केक 'आजादी के अमृत महोत्सव' को समर्पित था. इसके अलावा भी अलग-अलग थीम थी कहीं आजादी का अमृत महोत्सव तो कहीं ज्ञानवापी मस्जिद में बाबा मिल गए और तो और बाबा को चढ़ाई जाने वाली मदिरा की बोतल भी केक केक आकार में थी.

केक निर्माता और बाबा कालभैरव के भक्त प्रिंस गुप्ता ने बताया कि पिछले 17 साल से भैरव अष्टमी के दिन बाबा को आधा किलो के केक चढ़ाने की परंपरा आज 801 किलो तक पहुंच चुकी है. केक को विशेष तौर पर ड्राई फ्रूट और फ्रेश फ्रूट और बगैर अंडा से बनाया गया है. आज कालभैरव के जन्मदिन पर विशेषकर भक्त केक, टाॅफी, बिस्किट और पाॅपकाॅन प्रसाद के रूप में ग्रहण करने के लिए मंदिर आते है. उन्होंने बताया कि बाबा का आर्शीवाद बना रहा तो जल्द अगली बार केक के वजन पर कीर्तिमान हासिल होगा.

 
तो वहीं मंदिर के पुजारी सुनिल दुबे ने बताया कि भैरव अष्टमी के दिन ही बाबा कालभैरव का अलंकार दर्शन होता है जो रात्रि 12 बजे से 2 बजे तक दो घंटो तक चलता है. जिसके दर्शन मात्र से सारी दुख बाधाएं खत्म हो जाती है और मनोकामनाएं पूरी होती है और फिर सवा लाख बाती से बाबा की भव्य आरती भी होगी. 

 

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