कर्नाटक का नया कानून! Social Media पर नफरत फैलाने वालों की अब खैर नहीं… 3 साल की जेल और भारी जुर्माना, जानिए नया बिल?

अगर आपने नफरत भरे मैसेज को सपोर्ट किया, पैसे दिए, या किसी भी तरह मदद की, तो आप भी सजा के हकदार होंगे. यानी, नफरत फैलाने में छोटी-सी भूमिका भी आपको जेल पहुंचा सकती है. बिल में जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को खास ताकत दी गई है. अगर किसी इलाके में सांप्रदायिक तनाव का खतरा दिखे, तो डीएम 30 से 60 दिन तक सभाएं, जुलूस, या लाउडस्पीकर पर रोक लगा सकते हैं.

कर्नाटक हेट स्पीच बिल
gnttv.com
  • बेंगलुरु,
  • 23 जून 2025,
  • अपडेटेड 12:17 PM IST

सोशल मीडिया पर नफरत भरे पोस्ट, भड़काऊ मैसेज, या किसी की जाति-धर्म पर हमला करने वालों, अब सावधान हो जाइए! कर्नाटक सरकार ने एक ऐसा धमाकेदार कानून लाने की तैयारी कर ली है, जो नफरत फैलाने वालों को सीधे 3 साल की जेल भेज देगा. कर्नाटक हेट स्पीच एंड हेट क्राइम्स (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल) बिल, 2025 नाम का ये नया ड्राफ्ट बिल सोशल मीडिया से लेकर गली-नुक्कड़ तक हर जगह नफरत और हिंसा को रोकने का प्लान है. अगर आप इंटरनेट पर रोजाना समय बिताते हैं या सोशल मीडिया यूजर हैं, तो ये खबर आपके लिए जरूरी है. 

क्या है ये नया बिल?
कर्नाटक सरकार का कहना है कि धर्म, जाति, लिंग, भाषा, जनजाति, या दिव्यांगता जैसे मुद्दों पर नफरत फैलाने वाले मामले बढ़ रहे हैं. इसीलिए 2025 का हेट स्पीच बिल लाया जा रहा है, जो नफरत भरे अपराधों और भाषणों को गैर-जमानती और गंभीर अपराध बनाएगा. यानी, अगर आप दोषी पाए गए, तो 3 साल की जेल, 5,000 रुपये का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं. इस कानून का मकसद है कि हर इंसान की इज्जत, बराबरी, और आजादी बनी रहे, जैसा कि हमारे संविधान में लिखा है.

नफरत भरी बातें और अपराध अब नहीं चलेगा!
इस बिल में साफ बताया गया है कि हेट क्राइम यानी नफरत भरा अपराध वो है, जिसमें किसी की पहचान (जैसे धर्म, जाति, या लिंग) के आधार पर उसे नुकसान पहुंचाया जाए या हिंसा भड़काई जाए. वहीं, हेट स्पीच यानी नफरत भरी बातें वो हैं, जो बोलकर, लिखकर, तस्वीरों से, या ऑनलाइन पोस्ट के जरिए नफरत फैलाएं. चाहे आपने पब्लिक में ऐसा किया हो या प्राइवेट चैट में, अगर आपका मैसेज किसी को नुकसान पहुंचाने की नीयत से है, तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं.

फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप सावधान!
इस बिल की सबसे खास बात है कि ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी जिम्मेदार ठहराएगा. फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, या कोई भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अगर नफरत भरा कंटेंट होस्ट करता है, तो उसे भी 3 साल की जेल और जुर्माना हो सकता है. यानी, अगर आपने कोई भड़काऊ पोस्ट शेयर किया और प्लेटफॉर्म ने उसे नहीं हटाया, तो दोनों मुसीबत में होंगे. इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स और टेलीकॉम कंपनियां भी इसकी जद में आएंगी.

नफरत फैलाने वालों के मददगार भी नहीं बचेंगे!
अगर आपने नफरत भरे मैसेज को सपोर्ट किया, पैसे दिए, या किसी भी तरह मदद की, तो आप भी सजा के हकदार होंगे. यानी, नफरत फैलाने में छोटी-सी भूमिका भी आपको जेल पहुंचा सकती है.

बिल में जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को खास ताकत दी गई है. अगर किसी इलाके में सांप्रदायिक तनाव का खतरा दिखे, तो डीएम 30 से 60 दिन तक सभाएं, जुलूस, या लाउडस्पीकर पर रोक लगा सकते हैं. इससे पहले कि माहौल बिगड़े, प्रशासन पहले ही कदम उठाएगा.

इस बिल में पीड़ितों के लिए भी खास व्यवस्था है. अगर किसी को नफरत भरे अपराध से मानसिक, शारीरिक, या आर्थिक नुकसान हुआ, तो वे कोर्ट में विक्टिम इम्पैक्ट स्टेटमेंट दे सकते हैं. कोर्ट इस बयान को ध्यान में रखकर सजा तय करेगा.
 
सरकार इस बिल को लागू करने के लिए जागरूकता अभियान चलाएगी. पुलिस और सरकारी अफसरों को ट्रेनिंग दी जाएगी, और मानव अधिकार आयोग या महिला आयोग जैसे संगठनों को भी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. सरकार का कहना है कि ये कानून नफरत को खत्म कर समाज में शांति लाएगा.

(इनपुट- सगय राज)

 

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