उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने बागपत जिले के ऐतिहासिक स्थल लाक्षागृह को धार्मिक व विरासत पर्यटन के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना को मंजूरी दे दी है. महाभारत से जुड़ा यह स्थल बड़नावा (वराणावत) गांव में हिंडन और कृष्णा नदियों के किनारे स्थित है. यही वह जगह मानी जाती है जहां कौरवों ने पांडवों को मारने के लिए लाक्षागृह (लाख का महल) बनवाया था और उसमें आग लगाने की साजिश रची थी.
इस परियोजना को महाभारत सर्किट के तहत स्वीकृत किया गया है और इसके लिए 1 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है. विकास कार्यों में सौंदर्यीकरण, आधुनिक लाइटिंग, पेयजल, शौचालय, विश्राम स्थल और विज़िटर सूचना केंद्र जैसी सुविधाएं शामिल होंगी. इससे यह स्थल तीर्थयात्रियों और इतिहास प्रेमियों दोनों के लिए और भी आकर्षक और सुविधाजनक बनेगा.
महाभारत का महत्वपूर्ण अध्याय
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा, “लाक्षागृह महाभारत के सबसे महत्वपूर्ण प्रसंगों में से एक है, जो षड्यंत्र और धैर्य का प्रतीक है. इस स्थल का विकास न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित करेगा, बल्कि पर्यटन और स्थानीय समृद्धि के नए अवसर भी खोलेगा.”
लाक्षागृह बागपत नगर से 35 किलोमीटर की दूरी पर और दिल्ली–मेरठ हाइवे के पास स्थित है. यहां आज भी एक टीले पर बने प्राचीन अवशेष मौजूद हैं, जिनकी देखरेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) करता है. स्थानीय लोग मानते हैं कि यही वह जगह है जहां से पांडव और कुंती कौरवों की साजिश से बच निकले थे.
इतिहास और आस्था का संगम
महाभारत में लाक्षागृह की कहानी कई बार वर्णित है और इसे कौरव–पांडवों की लड़ाई का बड़ा मोड़ माना जाता है. लाख और ज्वलनशील पदार्थों से बना यह महल सदियों से विद्वानों, पुरातत्वविदों और भक्तों को आकर्षित करता रहा है. आज भी बरनावा गांव आने वाले लोग उन निशानों को देखते हैं, जो इस महाकाव्य से जुड़ी यादों को जीवित रखते हैं.
पर्यटन हब बनता बागपत
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बागपत जिला तेजी से पर्यटन केंद्र के रूप में उभर रहा है. साल 2024 में यहां लगभग 17 लाख पर्यटक आए थे और 2025 में यह संख्या 20 लाख पार करने की उम्मीद है. दिल्ली और मेरठ के नजदीक होने के कारण यह घरेलू और विदेशी पर्यटकों दोनों के लिए सुविधाजनक पड़ाव बन गया है.
लाक्षागृह के अलावा यहां पुरा महादेव मंदिर और त्रिलोक तीर्थ धाम जैसे धार्मिक स्थल भी मौजूद हैं, जिससे बागपत धार्मिक पर्यटन गंतव्य बनता जा रहा है. पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेहरोत्रा ने कहा, “लाक्षागृह सिर्फ एक ऐतिहासिक स्थल नहीं है, बल्कि हमारी महाकाव्य परंपरा का जीवंत प्रतीक है. आधुनिक सुविधाओं को जोड़ते हुए हम इसकी पवित्रता भी बनाए रखेंगे, ताकि यहां आने वाले हर यात्री को हमारी विरासत से गहरा जुड़ाव महसूस हो.”
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