Largest Solar Powered Kitchen: न CNG की जरूरत... न बिजली की... सूरज की रोशनी से 50 हजार लोगों को खाना खिलाता है यह किचन

यह किचन ब्रह्मा कुमारी संस्था के हेडक्वाटर्स का हिस्सा है. यहां खाना पकाने के लिए सोलर पैनल नहीं, बल्कि विशाल आकार के अंडाकार दर्पण (मिरर) लगाए गए हैं.

gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 01 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

राजस्थान के माउंट आबू में, सुंदर अरावली पहाड़ियों के बीच, शांतिवन परिसर में बना है दुनिया का एक सबसे बड़ा सोलर किचन. यहां रोज़ाना लगभग 50,000 लोगों का खाना सिर्फ सूरज की रोशनी से पकाया जाता है, बिना बिजली या कोयले के इस्तेमाल के.

सूरज बना है यहां का हेड शेफ
यह किचन ब्रह्मा कुमारी संस्था के हेडक्वाटर्स का हिस्सा है. यहां खाना पकाने के लिए सोलर पैनल नहीं, बल्कि विशाल आकार के अंडाकार दर्पण (मिरर) लगाए गए हैं, जो सूरज की गर्मी को इकट्ठा करके बर्तनों पर फोकस करते हैं. ये बर्तन गर्मी को सोखकर पानी को भाप में बदल देते हैं और हर दिन 3,500 किलोग्राम से भी ज़्यादा भाप तैयार करते हैं.

यह भाप छह इन्सुलेटेड हैडर पाइप्स के ज़रिए एक सेंट्रल स्टीम ड्रम (केंद्रीय भाप टंकी) में इकट्ठा की जाती है. वहां से यह भाप बड़े-बड़े बर्तनों में भेजी जाती है, जहां उसी भाप से खाना पकाया जाता है. ये मिरर सूरज की दिशा के साथ घूमते रहते हैं, जिससे लगातार गर्मी मिलती रहती है. यहां पर खाना सूरज की सीधी गर्मी से पकाया जाता है- न आग की ज़रूरत, न बिजली की. 

आत्मनिर्भर और सस्टेनेबल लाइफस्टाइल का उदाहरण
यह पूरा परिसर एक स्वस्थ, आत्मनिर्भर और पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली को अपनाता है. 1998 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट को पहले 20,000 लोगों के लिए बनाया गया था, लेकिन आज यह संख्या बढ़कर 50,000 तक पहुंच चुकी है. यहां हर दिन चावल, दाल, सब्ज़ी, चाय और कई तरह के स्वादिष्ट भारतीय व्यंजन पकाए जाते हैं और वह भी बिना किसी प्रदूषण के.

दुनियाभर में है तारीफ
इस सोलर किचन को भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) का समर्थन मिला है. इतना ही नहीं, इसे BBC वर्ल्ड सर्विस ने दुनिया के सबसे बड़े सोलर किचन के रूप में दिखाया है. दुनियाभर से लोग यहां आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए आते हैं. लेकिन इस केंद्र का सोलर किचन न सिर्फ पेट भरता है, बल्कि ये पर्यावरण संरक्षण और सस्टेनेबल डेवलपमेंट का एक बेहतरीन उदाहरण भी है. यह सोलर किचन दिखाता है कि अगर इच्छा हो, तो सूरज की रोशनी से भी लाखों लोगों का पेट भरा जा सकता है वह भी बिना प्रदूषण किए. 

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