UP Lok Sabha Bypolls 2022: Satish Chandra Mishra को स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल नहीं करने का क्या मतलब है

UP Loksabha Bypolls: लोकसभा उपचुनाव के लिए बीएसपी ने स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में पूर्व सीएम मायावती का नाम है. लेकिन पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले सतीश चंद्र मिश्रा का नाम नहीं है. ऐसे में सियासी गलियारे में सवाल उठने लगा है कि क्या बीएसपी में सतीश चंद्र मिश्रा को साइडलाइन कर दिया गया है.

सतीश चंद्र मिश्रा
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 08 जून 2022,
  • अपडेटेड 11:12 PM IST
  • लोकसभा उपचुनाव के लिए बीएसपी की स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी
  • स्टार प्रचारकों की लिस्ट में सतीश मिश्रा का नाम नहीं

लोकसभा उपचुनाव के लिए बीएसपी ने 40 स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की है. जिसमें बीएसपी मुख्या मायावती, भीम राजभर, मुनकाद अली, विजय प्रताप, राजकुमार गौतम और बीएसपी के एकमात्र विधायक उमाशंकर सिंह का नाम शामिल है. लेकिन इस लिस्ट में बीएसपी के दूसरे सबसे कदावर और प्रभावी नेता सतीश चंद्र मिश्रा का नाम शामिल नहीं है.

सतीश मिश्रा का नाम नहीं होने पर सवाल-
बहुजन समाज पार्टी में सतीश चंद्र मिश्रा सबसे बड़े ब्राह्मण चेहरा हैं. उनको पार्टी में महासचिव का पद दिया गया है. स्टार प्रचारकों की लिस्ट में उनका नाम नहीं होने से सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म है. हालांकि सतीश चंद्र मिश्रा ने खुद को अस्वस्थ बताकर इन सवालों का जवाब देने की कोशिश की है. लेकिन इसके बावजूद सियासी गलियारों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या सतीश चंद्र मिश्रा का बीएसपी की सियासत में अंत होने जा रहा है. जब से सतीश मिश्रा बीएसपी में शामिल हुए हैं. तब से लेकर अब तक मिश्रा पार्टी के स्टार प्रचारक रहे हैं. ऐसे में अगर इस बार उनका नाम लिस्ट में नहीं है तो सवाल उठना लाजिमी है.

विधानसभा चुनाव में की थी रैलियां-
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में पूरा मिश्रा परिवार सक्रिय था. सतीश चंद्र मिश्रा ने अकेले 160 रैलियां की थी. जबकि उनकी ने 6 रैलियां की थी. इतना ही नहीं, उनके बेटे ने भी पार्टी के लिए 8 जगहों पर प्रचार किया था. साल 2004 में सतीश मिश्रा ने बीएसपी ज्वॉइन की थी. उसके बाद से अब तक कभी भी उनको स्टार प्रचारकों की लिस्ट से बाहर नहीं किया गया था. ये पहली बार हुआ है जब मिश्रा को स्टार प्रचारकों की सूची में हटाया गया है.

करीब को पार्टी से निकाल दिया गया था-
जब सतीश चंद्र मिश्रा के करीबी नकुल दूबे को बीएसपी ने पार्टी से निकाल दिया था. तब से मिश्रा की सक्रियता कम हो गई थी. अब पार्टी ने उनको स्टार प्रचारकों की लिस्ट से हटा दिया है. इसी साल 7 जुलाई को सतीश चंद्र मिश्रा का राज्यसभा का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है.

आजमगढ़ और रामपुर में दिग्गजों की जंग-
बीएसपी ने आजमगढ़ सीट से गुड्डू जमाली को टिकट दिया है. जबकि रामपुर से पार्टी ने कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारा है. बीजेपी ने आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव और रामपुर से घनश्याम लोधी को उतारा है. जबकि समाजवादी पार्टी ने आजमगढ़ से धर्मेंद्र यादव और रामपुर में आसिम राजा को उम्मीदवार बनाया है.

सतीश मिश्रा का सियासी सफर-
सतीश मिश्रा साल 2004 में बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुए थे. पहली बार उनको राज्यसभा के लिए नामित किया गया था. साल 2004 में उनको पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव बनाया गया. साल 2006 में युवा संसदीय मंच का सदस्य भी चुना गया. साल 2010 में सतीश मिश्रा को दूसरी बार राज्यसभा भेजा गया. साल 2016 में तीसरी बार राज्यसभा के लिए चुने गए. सतीश मिश्रा यूपी में मायावती सरकार के दौरान कैबिनेट मंत्री भी रहे.

बीएसपी के सोशल इंजीनियरिंग के जनक-
साल 2007 में बीएसपी ने सोशल इंजीनियरिंग के जरिए यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. मायावती मुख्यमंत्री बनीं. सोशल इंजीनियरिंग के जरिए सत्ता पाने के पीछे सतीश चंद्र मिश्रा को दिमाग माना गया. उनको बीएसपी के सोशल इंजीनियरिंग (दलित+ब्राह्मण फॉर्मूला) का जनक बताया गया. मिश्रा ने बीएसपी के समर्थन में ब्राह्मणों को एकजुट करने के लिए पूरे प्रदेश में ब्राह्मण सम्मेलन किए. इसके बाद से सतीश चंद्र मिश्रा मायावती के सबसे करीबी हो गए. बीएसपी में सभी बड़े फैसलों में सतीश चंद्र मिश्रा की सहमति होती रही.

क्या पार्टी में मिश्रा के सियासी अंत के संकेत हैं-
स्टार प्रचारकों की लिस्ट में सतीश चंद्र मिश्रा का नाम नहीं होने से कई सवाल उठ रहे हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि सतीश मिश्रा का बीएसपी में साइडलाइन कर दिया गया है. क्या बीएसपी में उनके सियासी सफर का अंत हो गया है. इससे पहले भी मायावती ने इस तरह के कई फैसले ले चुकी है और बड़े नेताओं को एक झटके में पार्टी से निकाल चुकी है. जबकि कई नेताओं की पार्टी में अहमियत खत्म कर चुकी हैं.

ये भी पढ़ें:

Read more!

RECOMMENDED