Lucknow: माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की कोठी से लेकर आम आदमी के फ्लैट तक की कहानी

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में माफिया मुख्तार अंसारी की आलीशान कोठी को जमींदोज कर दिया और उसकी जगह गरीबों के लिए 72 फ्लैट बनाए गए हैं. लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) द्वारा बनाए गए ये फ्लैट 35 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में हैं और इनकी कीमत 9 लाख से 9.5 लाख रुपये के बीच तय की गई है. चार मंज़िला इन इमारतों में दो कमरे, बालकनी, अलग शौचालय और बाथरूम की सुविधा होगी.

Mafia Don Mukhtar Ansari (Photo/PTI File)
gnttv.com
  • लखनऊ,
  • 10 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:57 PM IST

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के बुल्डोजर की कार्रवाई देशभर में चर्चित रही है. यह बुल्डोजर न सिर्फ माफियाओं की अवैध संपत्तियों पर चला, बल्कि अब उन संपत्तियों का उपयोग गरीबों के कल्याण के लिए भी किया जा रहा है. ऐसी ही एक कहानी लखनऊ के पॉश इलाके डालीबाग की है, जहां माफिया मुख्तार अंसारी की आलीशान कोठी को जमींदोज कर अब उसी जगह गरीबों के लिए 72 फ्लैट बनाए गए हैं.

माफिया की कोठी से लेकर आम आदमी के फ्लैट तक-
यह सिर्फ एक पुनर्निर्माण नहीं, बल्कि एक प्रतीकात्मक संदेश है कि कानून से ऊपर कोई नहीं. सूत्रों के मुताबिक, यह सब उस समय शुरू हुआ जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक कार्यक्रम के दौरान डालीबाग पहुंचे थे. वह उत्तर प्रदेश के तत्कालीन डीजीपी के विदाई समारोह में शामिल हो रहे थे, जो इसी इलाके में आयोजित था.

समारोह के दौरान योगी आदित्यनाथ की नजर पास की एक भव्य कोठी पर पड़ी, जो रोशनी से जगमगा रही थी और चारों ओर ऊंची-ऊंची दीवारों से घिरी थी. जब उन्होंने कौतूहलवश डीजीपी से पूछा कि यह कोठी किसकी है, तो उन्हें बताया गया कि यह कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी की है.

इसके बाद मुख्यमंत्री ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन लौटने के तुरंत बाद मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से इस संपत्ति की पूरी जानकारी मांगी. जांच में सामने आया कि यह एक शत्रु संपत्ति है, जिस पर मुख्तार अंसारी ने फर्जी कागजात के आधार पर कब्जा कर रखा था.

सिस्टम में डर और सीएम का अल्टीमेटम-
शुरुआत में जब इस कोठी को गिराने की बात हुई, तो कई वरिष्ठ अधिकारी असहज हो उठे. लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट निर्देश दिए कि यदि यह कोठी नहीं गिराई गई, तो वह स्वयं त्यागपत्र दे देंगे. यह सुनकर अधिकारियों की नींद उड़ गई और उन्होंने तत्काल कानूनी दस्तावेज़ों की जांच शुरू कर दी.

जांच में यह भी सामने आया कि कोठी की बाहरी दीवारें और ढांचा बहुत मजबूत आरसीसी से बना है, जिसे सामान्य बुल्डोजर से गिराना आसान नहीं होगा. जब प्रशासनिक स्तर पर ढिलाई दिखने लगी, तो मुख्यमंत्री ने फिर से स्पष्ट निर्देश दिए कि चाहे नोएडा की तरह आधुनिक तकनीक या डायनामाइट का उपयोग करना पड़े, लेकिन इस कोठी को हर हाल में गिराया जाए.

कोर्ट की सुनवाई और बुल्डोजर की कार्रवाई-
इसी बीच मुख्तार अंसारी ने हाईकोर्ट की शरण ली. कोविड महामारी के प्रोटोकॉल के बीच लखनऊ बेंच में देर रात सुनवाई शुरू हो गई. लेकिन मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि कोर्ट में विधिक प्रक्रिया का पालन करते हुए जवाब दिया जाए, लेकिन बुल्डोजर की कार्रवाई भी जारी रखी जाए.

कई घंटे की मशक्कत के बाद आखिरकार देर रात कोठी को ध्वस्त कर दिया गया. जब सुनवाई के दौरान जज ने पूछा गया कि अब क्या स्थिति है, तो जवाब मिला कि वहां अब सिर्फ मलबा है. इस तरह, डालीबाग की वो कोठी, जो कभी माफिया का गढ़ मानी जाती थी, अब पूरी तरह मिट्टी में मिल चुकी थी.

72 फ्लैट तैयार, रजिस्ट्रेशन जल्द शुरू-
आज वही जमीन, जहां कभी आम आदमी की एंट्री तक नहीं होती थी, अब गरीबों के लिए आवास बन चुकी है. लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) द्वारा बनाए गए ये फ्लैट 35 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में हैं और इनकी कीमत 9 लाख से 9.5 लाख रुपये के बीच तय की गई है. चार मंज़िला इन इमारतों में दो कमरे, बालकनी, अलग शौचालय और बाथरूम की सुविधा होगी. दो ब्लॉकों में कुल 72 फ्लैट बनाए जा रहे हैं, जिनमें से 56 फ्लैट तैयार हो चुके हैं और बाकी पर काम तेजी से चल रहा है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह कार्रवाई न केवल एक माफिया के साम्राज्य को खत्म करने का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि उत्तर प्रदेश में माफियाओं की नहीं, आम जनता की चलेगी.

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