गौ प्रेम की अनोखी म‍िसाल! गाय की शवयात्रा निकाली, ग्रामीणों ने कराया विशाल भंडारा

घटना मध्य प्रदेश में रायसेन जिले के उदयपुरा तहसील के इमझिरी गांव की है. यहां एक ब्रह्मचारिणी गाय की मृत्यु के बाद ग्रामीणों ने गाय की ढोल बाजे के साथ शव यात्रा निकाली जिसमें महिला पुरुष बच्चे एवं बुजुर्ग शामिल थे.

Cow (Symbolic Image)
gnttv.com
  • रायसेन,
  • 10 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:01 AM IST
  • रायसेन जिले में गौ भक्ति की अनोखी परम्परा देखने को म‍िली
  • गाय की उम्र 18 वर्ष की थी और यह ब्रह्मचारिणी थी

रायसेन जिले में गौ भक्ति की अनोखी परम्परा देखने को म‍िली है. यहां एक ब्रह्मचार‍िणी गाय की मृत्यु के बाद उसकी शव यात्रा निकाली गई. इसके बाद समाधि बनाने का कार्य शुरू किया गया. यहीं नहीं, गाय को श्रद्धांजलि देकर नगर भंडारे का आयोजन भी क‍िया गया. इस तरह स्थानीय लोगों ने गौ प्रेम की अनोखी परम्परा का आगाज किया. ग्रामीणों ने इस मौके पर सैकड़ों कन्याओं को भोज कराकर नगर भंडारा किया गया हैं. प्रधानमंत्री आवास के लाभार्थियों को एक गौ रखने की प्रशासन शासन से मांग भी की गई.

ये घटना मध्य प्रदेश में रायसेन जिले के उदयपुरा तहसील के इमझिरी गांव की है. यहां एक ब्रह्मचारिणी गाय की मृत्यु के बाद ग्रामीणों ने गाय की ढोल बाजे के साथ शव यात्रा निकाली जिसमें महिला पुरुष बच्चे एवं बुजुर्ग शामिल थे. गाय को मिट्टी समाधि दी गई. ग्रामीणों ने समाधि स्थल बनाने के साथ साथ नगर एवं ग्रामीण इलाकों की कन्याओं को भोज कराकर नगर भंडारा करने की अनोखी पहल की. 

ग्रामीणों ने बताया कि गाय की उम्र 18 वर्ष की थी और यह ब्रह्मचारिणी थी यानी अभी तक जनी नहीं थी. गाय की विशेषता थी कि आज तक किसी का गाय ने गांव में क‍िसी का कोई नुकसान नहीं किया था. गांव वाले बताते हैं यह गाय रोज 5 से 7 घर पहुँचकर भोजन लेती थी. किसी के खेत में भी गाय ने कोई नुकसान नहीं किया था. खेतों की मेड़ पर चरकर ही वापस आ जाती थी. 

ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार के द्वारा ही गायों की दुर्दशा हुई हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना के चलते घरों को पक्का बनाकर गायों को भगा दिया है जो सड़कों पर मारी मारी फिर रही हैं. ग्रामीणों ने सरकार से निवेदन किया है कि प्रधानमंत्री आवास का लाभ उन्हें ही दिया जाए जिनके पास कम से कम एक गाय हो. गांववाले यह भी कहते हैं क‍ि गायों की दुर्दशा के कारण ही लोग और सरकार संकट से जूझ रहे हैं.

(राजेश रजक की र‍िपोर्ट)

 

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