यूके में रहने वाले भारतीय मूल के गुरुशरम लाल अवस्थी ने अपनी पत्नी के खिलाफ 1.80 करोड़ रुपये का हर्जाना (damages suit) दाखिल किया है. उनका आरोप है कि पत्नी ने उन पर झूठा दहेज केस किया था, जिसकी वजह से उन्हें 16 साल तक कोर्ट-कचहरी और जेल की यातना झेलनी पड़ी.
क्या रहा कोर्ट का फैसला?
13 अगस्त 2025 को गुड़गांव जिला अदालत के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) मनीष कुमार ने इस केस को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया.अब मामला 20 नवंबर 2025 तक टल गया है, जब पत्नी को अपना लिखित जवाब देना होगा।.
क्या था मामला?
अवस्थी पर 498A (क्रूरता), 406 (विश्वासघात) और 506 (धमकी) जैसे गंभीर आरोप लगे थे. हालांकि, 2016 में निचली अदालत और 2018 में सेशन कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया. इसके बाद 2020 में यूके की अदालत से तलाक मिला, लेकिन भारत की अदालतों में इसका पंजीकरण नहीं कराया गया. इसलिए भारतीय कानून के अनुसार शादी अभी भी वैध मानी जाती है.
7 दिन की शादी... 16 साल की परेशानी
अवस्थी ने अपनी तकलीफ बताते हुए कहा, “शादी सिर्फ सात दिन चली, लेकिन मैं 40 दिन जेल में रहा और 16 साल तक मुकदमे झेले. पासपोर्ट तीन साल तक जब्त रहा, नौकरी और यात्रा नहीं कर पाया, परिवार भी परेशान हुआ.”
उनका कहना है कि उनके पिता का निधन लगातार पुलिस उत्पीड़न के कारण हो गया. उनकी पत्नी ने 1.20 करोड़ रुपये में समझौता करने की मांग की, लेकिन उन्होंने लड़ाई जारी रखी और 2017 में उन पर लगे आरोपों से उन्हें बरी कर दिया गया. अब उन्होंने अपनी पूर्व पत्नी के खिलाफ मुआवजे का केस दायर किया है.
पत्नी की आपत्ति
हालांकि, उनकी पूर्व पत्नी का कहना है कि यह केस चल ही नहीं सकता क्योंकि अपीलीय अदालत में अभी रिविजन पेंडिंग है. उन्होंने यह भी कहा कि अवस्थी ने जरूरी कोर्ट फीस जमा नहीं की. लेकिन अदालत ने दोनों आपत्तियों को खारिज कर दिया और पूर्व पत्नी के खिलाफ हर्जाने के केस को स्वीकार कर लिया है.
लोगों का क्या कहना है
महिला अधिकार कार्यकर्ता और डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर दीपिका नारायण भारद्वाज ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया. उनका कहना है कि इससे झूठे दहेज मामलों में फंसे हजारों पुरुषों को उम्मीद मिलेगी. वरिष्ठ वकील अंबिका यादव ने कहा कि अदालत का यह कदम बड़ा कानूनी उदाहरण बनेगा. इससे साफ हुआ कि बरी होने के बाद पति हर्जाने का दावा कर सकते हैं, चाहे अपील लंबित ही क्यों न हो.
यह फैसला उन पुरुषों के लिए नया रास्ता खोल सकता है जो झूठे दहेज मामलों से पीड़ित हैं. अदालत ने साफ कर दिया कि कानून का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और निर्दोष व्यक्तियों को अपने नुकसान की भरपाई मांगने का हक है.
----------End---------------