भारत की पर्वातरोही मिलाशा जोसेफ ने दुनिया की 7 सबसे ऊंचे ज्वालामुखी के शिखर पर चढ़ने का सपना देखा है. इस सपने को पूरा करने के लिए वो आगे भी बढ़ रही हैं. जोसेफ ने अब तक 3 शिखरों को फतह कर लिया है. जबकि 4 को फतह करना बाकी है. जोसेफ ने 8 अगस्त के यूरोप के सबसे ऊंचे माउंट एल्ब्रस को फतह किया.
साल 2021 में शुरू किया सफर-
मिलाशा जोसेफ ने नवंबर 2021 में अफ्रीका के सबसे ऊंचे माउंट किलिमंजारो को फतह किया था. इसके बाद जून 2022 में उन्होंने ईरान के माउंट दमावंद के शिखर पर तिरंगा फहराया था, जो एशिया का सबसे ऊंचा ज्वालामुखी शिखर है. मिलाशा माउंट दमावंद पर चढ़ने वाली पहली मलयाली बन गईं.
माउंट एल्ब्रस की चढ़ाई थी कठिन- जोसेफ
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 30 साल की मिलाशा बताती है कि माउंट एल्ब्रस को फतह करना सबसे कठिन था. रिपोर्ट के मुताबिक मिलाशा ने फोन पर बताया कि कम ऑक्सीजन लेवल, खड़ी बर्फ से ढकी चट्टानों ने काम को कठिन बना दिया था. उन्होंने बताया कि मुझे चढ़ाई की सेल्फ-अरेस्ट टेक्निक की ट्रेनिंग दी गई हैं. इससे मुझे अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिली. उन्होंने बताया कि शुरू में हमने 9 दिन की चढ़ाई की योजा बनाई थी. हालांकि क्लाइमेट कंडीशन खराब हो गई, जिसकी वजह से हमने अपनी यात्रा को 5 दिन में पूरा किया. मैंने 8 अगस्त को सुबह 8 बजकर 20 मिनट पर माउंट पर तिरंगा फहराया.
मिलाशा जोफेस की माउंट एल्ब्रेस अभियान की पूरी व्यवस्था मकालू एक्ट्रीम ट्रेक्स एंड एक्सपीडिशन ने की थी. मिलाशा ने बताया कि मैं 7 ज्वालामुखी शिखर अभियान चैलेंज का हिस्सा हूं, जिसे 50 से कम लोगों ने पूरा किया है. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि मैं इसमें सफल होने वाली पहली भारतीय महिला बनूंगी.
अलाप्पुझा की रहने वाली हैं मिलाशा-
मिलाशा जोसेफ केरल में अलाप्पुझा के मरारीकुलम की रहने वाली हैं. उनके पिता जोसेफ मरारीकुलम के आईटीआई के प्रिंसिपल रह चुके हैं. उनकी मां का नाम बीबी जोसेफ है. मिलाशा पिछले 10 साल से आयरलैंड की एक फिनटेक कंपनी में काम कर रही हैं. मिलाशा जोसेफ ने 12वीं की पढ़ाई कोल्लम टीकेएम सेंटेनरी पब्लिक स्कूल से की है. उन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई अलाप्पुझा के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से की.
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