बेंगलुरू के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी मनाने की अनुमति नहीं...कोर्ट ने दिया यथास्थिति बनाए रखने का फैसला, क्या है पूरा विवाद? समझिए

बेंगलुरु के ईदगाह मैदान में गणेश उत्सव मनाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. अदालत ने बेंगलुरु के चामराजपेट ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह मनाने की अनुमति नहीं दी और यथास्थिति बनाए रखने का फैसला सुनाया.

Idgah Maidan (PTI/File)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 31 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 11:16 AM IST
  • ईदगाह मैदान पर BBMP ने लिया यू-टर्न
  • नहीं मिली गणेश पूजा की अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 30 अगस्त को बेंगलुरु के विवादित ईदगाह मैदान में गणेश प्रतिमा स्थापित करने और गणेश चतुर्थी उत्सव मनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को पलट दिया और मैदान पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया. इसके अलावा, एससी न्यायाधीशों ने पक्षों को आगे के समाधान के लिए कर्नाटक एचसी से संपर्क करने का भी निर्देश दिया है.

ईदगाह मैदान में कब और क्या-क्या हुआ?

बीबीएमपी और कर्नाटक वक्फ बोर्ड के बीच विवाद
सालों से बेंगलुरू के सबसे पुराने इलाकों में से एक चामराजपेट के बीच में 2.1 एकड़ भूमि को वक्फ संपत्ति के रूप में गजेटेड किया गया है. मैदान का उपयोग सभी के लिए खेल के मैदान के रूप में किया जाता है. हालांकि, ईद अल-फितर और ईद अल-अधा के त्योहारों पर नमाज के लिए एक ईदगाह भी मौजूद है. बेंगलुरू का नक्शा और 1871 और 1938 के दस्तावेज भी भूमि को एक ईदगाह और कब्रगाह के रूप में दिखाते हैं.

हालांकि जमीन को लेकर दो पक्षों में मालिकाना हक को लेकर विवाद चल रहा है. दो महीने पहले शहर के नगर निगम, बृहत बेंगलुरु महानगर पालिक (बीबीएमपी) ने खेल के मैदान को अपनी संपत्ति होने का दावा किया था. इस बीच, मुस्लिम संगठनों ने दावा किया है कि जमीन वास्तव में कर्नाटक राज्य वक्फ बोर्ड की थी.

ईदगाह मैदान पर BBMP ने लिया यू-टर्न
लंबे समय तक यह दावा करने के बाद कि मैदान उनके कब्जे में था, बेंगलुरु नागरिक निकाय ने अचानक एक उल्टा मोड़ लिया और इस साल जून में अपना दावा छोड़ दिया.बीबीएमपी के मुख्य आयुक्त तुषार गिरि नाथ ने कहा, "हमारे पास जमीन नहीं है, लेकिन हमारे पास मैदान था." इसके अलावा, बीबीएमपी ने कर्नाटक वक्फ बोर्ड से स्वामित्व दस्तावेज को बदलने की प्रक्रिया शुरू करने और रिकॉर्ड को सत्यापित करने के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करने के लिए भी कहा है.

ईदगाह मैदान के लिए हिंदुत्व समूह
बीबीएमपी के दावा छोड़ने के बाद, हिंदू जनजागृति समिति, विश्व सनातन परिषद, श्री राम सेना, बजरंग दल, हिंदू जागरण समिति और विश्व हिंदू परिषद जैसे कई हिंदुत्व समूहों ने कांग्रेस विधायक BZ ज़मीर अहमद खान और वक्फ बोर्ड को कथित रूप से जमीन पर कब्जा करने की साजिश रचने के लिए निशाना बनाया. 

स्वामित्व पर बीबीएमपी के रुख का विरोध करते हुए हिंदुत्व संगठनों ने घर-घर जाकर अभियान शुरू किया और मांग की कि जमीन को खेल के मैदान के रूप में रखा जाए. इस बीच, हिंदुत्व समूहों के सदस्य भी सड़कों पर उतर आए. यह सुनिश्चित किया गया कि दुकानदार अपनी दुकानें न खोलें और 12 जुलाई को जबरदस्ती मैदान में प्रवेश ना करें. ऐसा करने पर पुलिस द्वारा हिरासत में भी लिया जा सकता है. संगठनों ने मैसूर के अंतिम राजा जयचमराजा वाडियार के नाम पर मैदान का नाम बदलने की अपनी इच्छा भी व्यक्त की है.

कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख
26 अगस्त को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बेंगलुरु के चामराजपेट के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह आयोजित करने की अनुमति दी. अदालत ने यह मंजूरी तब दी जब बीजेपी नीत राज्य सरकार ने यथास्थिति बनाए रखने के 25 अगस्त के अंतरिम आदेश के खिलाफ अपील दायर की. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सरकार इस उत्सव को जमीन पर अनुमति देने के लिए फैसला ले सकती है, जो लगातार अटका हुआ है.

3 दिन रहेगी गणपति की मूर्ति
लेटेस्ट अपडेट में हुबली-धारवाड़ नगर निगम (HDMC)ने इदाघ मैदान में तीन दिनों के लिए गणपति की मूर्ति की स्थापना की अनुमति देने का निर्णय लिया है. हुबली-धारवाड़ के मेयर इरेश अंचतागेरी ने निर्वाचित प्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ लंबी बैठक करने के बाद इस फैसले की घोषणा की. इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए एचडीएमसी द्वारा गठित एक हाउस कमेटी की सिफारिशों के आधार पर निर्णय लिया गया था.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 30 अगस्त को बेंगलुरु के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह की अनुमति देने से इनकार कर दिया और दोनों पक्षों द्वारा भूमि पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने पक्षों से विवाद के समाधान के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा.

फैसले के दौरान कोर्ट में कहा गया, "विशेष अनुमति याचिका में उठाए गए मुद्दों को उच्च न्यायालय के समक्ष दोनों पक्षों द्वारा परेशान किया जा सकता है. इस बीच, आज की स्थिति दोनों पक्षों द्वारा बनाए रखी जाएगी. एसएलपी का निपटारा किया जाता है." बेंच में जस्टिस अभय एस ओका और एम एम सुंदरेश भी शामिल थे.


 

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