देश के बड़े उद्योगपति साइरस मिस्त्री की सड़क हादसे में हुई मौत के बाद कई सवाल उठ रहे हैं. जैसे कार में बैठे हुए उन्होंने पिछली सीट पर सीट बेल्ट का इस्तेमाल क्यों नहीं किया? सीट बेल्ट का इस्तेमाल करना जरूरी है या नहीं? इससे जुड़े नियम क्या हैं? ऐसा न करने पर सजा का क्या प्रावधान है? तो चलिए जानते हैं कि पिछली सीट पर बैठने के क्या नियम हैं? कितना चालान है और किस तरह से पीछे बैठा हुआ शख्स अपनी जान की हिफाजत कर सकता है.
पीछे के यात्रियों के लिए सीट बेल्ट पहनना अनिवार्य
दरअसल, केंद्रीय मोटर वाहन नियमों की धारा 138 (3) में पीछे के यात्रियों के लिए सीट बेल्ट पहनना अनिवार्य है. ऐसा न करने पर एक हजार रुपये का चालान हो सकता है. हालांकि, जागरूकता की कमी की वजह से पीछे बैठने वाले करीब 90 प्रतिशत लोग सीट बेल्ट नहीं लगाते हैं. लोगों में शायद ये गलतफहमी है कि किसी दुर्घटना के मामले में आगे बैठने वाले यात्रियों की तुलना में पीछे वाले यात्री अधिक सुरक्षित हैं. हालांकि, तमाम क्रैश टैस्ट ने यह साबित कर दिया है कि रियर सीट बेल्ट पहनना उतना ही जरूरी है जितना कि आगे की सीट पर बैठे लोगों को पहनना जरूरी है. यानी आगे सीट पर बैठे हुए लोगों को जितना खतरा है, उतना ही जान का खतरा पीछे बैठने वालों को भी है.
बिना सीट बेल्ट ड्राइविंग करना दंडनीय अपराध
यातायात नियमों के मुताबिक, बिना सीट बेल्ट ड्राइविंग करना दंडनीय अपराध है. इसके साथ ही यह सीट बेल्ट दुर्घटना के दौरान आपकी जान की हिफाजत भी करती है. मोटर वाहन अधिनियम की धारा 138 (3) सीएमवीआर 177 एमवी एक्ट में सीट बेल्ट न लगाने पर विशिष्ट जुर्माना निर्धारित किया गया है. सच ये भी है कि भारत में ज्यादातर लोग अपनी जान की हिफाजत के लिए नहीं बल्कि पुलिस चालान के डर से सीट बेल्ट लगाते हैं.
देशभर में हर साल होती हैं लाखों दुर्घटनाएं
ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, भारत में 90% से ज्यादा लोग पिछली सीट पर बैठने के बावजूद सीट बेल्ट नहीं लगाते. जबकि सीट बेल्ट लगाने से उनकी जान बच सकती है. ज्यादातर मामलों देखा गया है कि पीछे बैठी सवारियों को ज्यादा नुकसान होता है.
हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन से पता चलता है कि पीछे सीट बेल्ट उपयोग करने से मारे जाने या घायल होने की संभावना क्रमश: 25 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक कम कर देती है. देशभर में हर साल होने वाली करीब पांच लाख दुर्घटनाओं में करीब 1.5 लाख लोगों की मौत हो जाती है.
दुर्घटना की स्थिति में पीछे की सीटों पर बिना बेल्ट पहने बैठे यात्रियों को आगे की सीट से टकराने का खतरा रहता है. अगली सीट का हेडरेस्ट सिर की चोट का कारण बन सकता है. अक्सर रीढ़ की हड्डियां टूटने का खतरा भी होता है. दुर्घटना के कई मामलों में मस्तिष्क को ऑक्सीजन की पूरी मात्रा नहीं मिल पाती.
सरकार ने थ्री-पॉइंट सीट बेल्ट अनिवार्य की है
इसी साल फरवरी में भारत सरकार ने गाड़ी में बैठने वाले सभी यात्रियों के लिए ‘थ्री-पॉइंट’ सीट बेल्ट मुहैया कराना अनिवार्य कर दिया है. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बाकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की थी. दरअसल थ्री-प्वाइंट सीट बेल्ट वैज्ञानिक रूप से टू-प्वाइंट बेल्ट की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षित साबित हुआ है क्योंकि यह टक्कर के समय छाती, कंधों शरीर की ऊर्जा को समान रूप से फैलाता है जिसके चलते कम चोटें आने की सम्भावना होती है.
इससे पहले भी हो चुकी है ऐसी ही घटना
बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे की 2014 में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. वह मारुति सुजुकी SX4 के पीछे की सीट पर बिना सीट बेल्ड पहने यात्रा कर रहे थे. मुंडे की मौत इंटरनल ब्लीडिंग और कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुई थी. इस दुर्घटना में ड्राइवर और सामने वाले यात्री को किसी तरह की चोट नहीं आई थी क्योंकि वे सीट बेल्ट पहने हुए थे.