भारत ने पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Attack) के मद्देनज़र कूटनीतिक एक्शन लेते हुए पाकिस्तान-समर्थित आतंकवाद को दुनिया के सामने बेनकाब करने का फैसला लिया है. ऐसा करने के लिए भारत ब्रिटेन और अमेरिका जैसे अपने प्रमुख पार्टनर देशों में एक ऑल-पार्टी डेलिगेशन भेजेगा. भारत ऐसे कुल सात डेलिगेशन भेजेगा. इनमें कांग्रेस के शशि थरूर से लेकर मजलिस के असदुद्दीन ओवैसी तक कई बड़े चेहरे शामिल होंगे.
खास बात यह है कि देशहित में सभी बड़ी पार्टियों के चेहरे इन प्रतिनिधिमंडलों में एक साथ आने वाले हैं. भारत सरकार यह कदम आतंक के खिलाफ देश के रुख को साफ करने के लिए उठा रही है. हाल ही में भारतीय सेना और वायु सेना ने मिलकर आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर को भी अंजाम दिया था. आइए जानते हैं कि विदेशों का दौरा करने वाले नेताओं में किन-किन का नाम शामिल है और ये डेलिगेशन कौन-कौनसे देशों में जाएगी.
कब रवाना होगा प्रतिनिधिमंडल?
सरकार ने सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सांसदों समेत वरिष्ठ नेताओं से इस बारे में बात की है. कुछ पार्टियों ने इस कूटनीतिक पहल के लिए अपने सदस्यों की मौजूदगी को भी मंजूरी दे दी है. समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि कुछ पूर्व मंत्री दुनिया भर के कई देशों में विभिन्न पार्टियों के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे.
रिपोर्ट में कहा गया कि हर डेलिगेशन में सात से आठ सदस्य होने की संभावना है. हर प्रतिनिधिमंडल चार से पांच देशों का दौरा कर सकता है. कुछ नेताओं ने कहा कि इस आउटरीच अभ्यास में 30 से अधिक सांसदों को शामिल किया जा सकता है. ये प्रतिनिधिमंडल 10 दिनों की अवधि के लिए विभिन्न देशों का दौरा करेंगे. सांसद सरकार द्वारा निर्धारित देशों के विभिन्न ब्लॉकों का दौरा करेंगे.
सूत्रों की मानें तो विदेश मंत्रालय (MEA) सांसदों के रवाना होने से पहले उनके साथ जरूरी जानकारी साझा करेगा. डेलिगेशन में जिन पार्टियों के सांसद शामिल होंगे उनमें भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल, द्रमुक, एनसीपी (शरद पवार), जेडीयू, बीजेडी, शिवसेना (उद्धव), सीपीआई (मार्क्सवादी) और कुछ अन्य पार्टियां शामिल हैं. रिपोर्ट में एक पार्टी लीडर के हवाले से कहा गया कि उन्हें 22-23 मई तक 10 दिनों के लिए रवाना होने के लिए तैयार रहने को कहा गया है. विदेश मंत्रालय यात्रा कार्यक्रम सहित जरूरी विवरण उपलब्ध कराने के लिए उनसे संपर्क करेगा.
डेलिगेशन में कौन-कौन?
संसदीय मामलों के मंत्री किरन रिजिजू ने शनिवार को एक ट्वीट के ज़रिए पुष्टि की कि सात ऑल-पार्टी डेलिगेशन आतंकवाद के खिलाफ भारत का 'ज़ीरो-टॉलरेंस' संदेश लेकर प्रमुख साझेदार देशों का दौरा करेंगे. उन्होंने बताया कि शशि थरूर, रवि शंकर प्रसाद, संजय झा, बैज्यनाथ पांडा, कनिमोज़ी करुणानिधि, सुप्रिया सुले और श्रीकांत शिंदे इन डेलिगेशन्स की अगुवाई करेंगे.
इसके अलावा पीटीआई की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी सत्तापक्ष की ओर से डेलिगेशन का हिस्सा होंगे. तृणमूल कांग्रेस से सुदीप बंद्योपाध्याय, जनता दल यूनाइटेड से संजय झा, बीजू जनता दल से सस्मित पात्रा, कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से जॉन ब्रिटास, शिव सेना (उद्धव ठाकरे) से प्रियंका चतुर्वेदी को इस काम के लिए चुना गया है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) से सुप्रिया सुले, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) से के कनिमोज़ी, मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन से असदुद्दीन ओवैसी और आम आदमी पार्टी से विक्रमजीत साहनी को डेलिगेशन में शामिल होने के लिए चुना गया है. कांग्रेस से अमर सिंह और मनीष तिवारी को भी डेलिगेशन के लिए चुना गया है.
कौन कहां जाएगा?
रिपोर्ट की मानें तो पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद दक्षिण और दक्षिण पूर्वी एशिया में सात सांसदों के एक डेलिगेशन का हिस्सा हो सकते हैं. इन देशों में साउथ कोरिया, जापान और सिंगापुर शामिल हैं. बारामती सांसद सुले को ओमान, मिस्र, कीन्या और साउथ अफ्रीका जैसे पश्चिमी एशियाई और अफ्रीका देशों में एक डेलिगेशन की अगुवाई करनी होगी.
थरूर अमेरिका जाने वाले प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर सकते हैं. अनुराग ठाकुर जहां अफ्रीका और पश्चिमी एशिया जाने वाले डेलिगेशन का हिस्सा होंगे, वहीं ओडिशा की सांसद सारंगी और साहनी दक्षिण पूर्वी एशिया जा सकते हैं. प्रियंका चतुर्वेदी सऊदी अरब, अल्जीरिया, कुवैत और बहरीन जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगी. इस डेलिगेशन में कांग्रेस के अमर सिंह भी शामिल होंगे.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ग़ुलाम नबी आज़ाद भी ऐसे ही एक डेलिगेशन का हिस्सा हो सकते हैं. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पीटीआई से कहा कि केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इस संबंध में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से बात की है. रमेश ने दावा किया कि विपक्षी पार्टी द्वारा एकता और एकजुटता का आह्वान किए जाने के बावजूद प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी लगातार कांग्रेस को बदनाम कर रही है.
उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "अब अचानक प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान से आतंकवाद पर भारत के रुख को समझाने के लिए विदेश में बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस हमेशा सर्वोच्च राष्ट्रीय हित में रुख अपनाती है और भाजपा की तरह राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों का कभी राजनीतिकरण नहीं करती है. इसलिए, कांग्रेस निश्चित रूप से इन प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा होगी."