वाराणसी के निवासियों ने हाल ही में ‘ऑपरेशन बेलपत्र’ नाम से एक अभियान की शुरुआत की है. यह आंदोलन काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन (टेंपल विज़िट) पर लगे नए प्रतिबंधों और शुल्क व्यवस्था के विरोध में किया जा रहा है. शिवजी को चढ़ाए जाने वाले पवित्र बेलपत्र के नाम पर रखा गया यह आंदोलन स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए निरंकुश और सहज दर्शन की मांग करता है.
नई व्यवस्था से असंतोष
मंदिर प्रशासन द्वारा हाल ही में लागू की गई नई व्यवस्था में श्रद्धालुओं को 250 रुपये का टिकट लेकर त्वरित प्रवेश दिया जा रहा है. वहीं मुफ्त दर्शन के लिए सीमित स्लॉट तय किए गए हैं, जिसमें भक्तों को घंटों लंबी कतार में खड़ा होना पड़ता है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले वे सुबह से देर रात तक अपनी सुविधा अनुसार मंदिर जाकर दर्शन कर सकते थे, लेकिन अब हर बार दर्शन के लिए टिकट लग गया है.
भक्तों की नाराज़गी
सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप सिंह इस आंदोलन के आयोजकों में से एक हैं. उन्होंने द टेलीग्राफ से कहा, “विश्वास अब बनारस में बिकाऊ हो गया है. VIP और संपन्न लोग अधिक शुल्क देकर सीधे गर्भगृह में प्रवेश पा रहे हैं और भगवान को छूकर पूजा कर रहे हैं. लेकिन गरीब या सामान्य भक्त घंटों कतार में खड़े होकर सिर्फ दूर से दर्शन कर पा रहे हैं.”
अभियान की रूपरेखा
‘ऑपरेशन बेलपत्रा’ के स्वयंसेवक प्रतिदिन शहर में घूम-घूमकर पर्चे और हैंडबिल्स बांटते हैं, जिससे लोगों को इस आंदोलन से जोड़ा जा सके. उनकी मुख्य मांग है कि स्थानीय लोगों को किसी भी समय मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जाए. सुरक्षा की चिंता हो तो प्रशासन आधार कार्ड देखकर पहचान सत्यापित कर सकता है, लेकिन स्थानीय भक्तों को उनके ईश्वर से दूर करना अनुचित है.
कानूनी लड़ाई की चेतावनी
आंदोलनकारियों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को जल्द नहीं माना गया, तो वे हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे. उनका कहना है कि अधिकारियों का ध्यान बेहतर प्रबंधन के बजाय पैसे कमाने पर केंद्रित है, जो धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ है.
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