पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ 17 सितंबर को सऊदी अरब के दौरे पर गए. इस दौरान एक खास रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इस रक्षा समझौते को लेकर देशभर में चर्चा हो रही है. खासतौर पर भारत में. इस समझौते का नाम है, 'स्ट्रैटेजिक म्चुच्युल डिफेंस एग्रीमेंट'.
क्या है रक्षा समझौते का अर्थ?
इस रक्षा समझौते का अर्थ है कि यदि दोनों में से किसी भी एक देश के ऊपर हमला होता है. तो उसे माना जाएगा कि दोनों देशों के ऊपर हमला हुआ. और जाहिर सी बात है कि ऐसी स्थिति में दोनों देश जवाब देंगे. पाकिस्तान की तरफ से हाल ही में 'पहलगाम हमला' हुआ था, जिसके जवाब में भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' से जवाब दिया था.
भारत पहले ही घोषणा कर चुका है कि पाकिस्तान समर्थित किसी भी आतंकी घटना को 'एक्ट ऑफ वॉर' माना जाएगा और युद्ध की कार्रवाई की जाएगी. ऐसे में इस रक्षा समझौते के बाद अगर पाकिस्तान किसी आतंकी हमले का दुस्साहस करता है, तो क्या सऊदी बीच में आएगा, जब भारत पाक के हमले का जवाब देगा तो?
एक बयान में कहा गया है कि यह समझौता, जो दोनों देशों की अपनी सुरक्षा बढ़ाने और क्षेत्र व विश्व में सुरक्षा एवं शांति स्थापित करने की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है, दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के पहलुओं को विकसित करने और किसी भी आक्रमण के विरुद्ध संयुक्त प्रतिरोध को मजबूत करने का लक्ष्य रखता है.
कितनी है सऊदी अरब की मिलिट्री ताकत?
सऊदी अरब की मिलिट्री ताकत मध्य पूर्व में सबसे मजबूत मानी जाती है. इसका रक्षा बजट 2025 में करीब 78 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है, जो इसे दुनिया के शीर्ष रक्षा खर्च करने वाले देशों में शामिल करता है.
सऊदी सेना में करीब 2.5 से 2.8 लाख सक्रिय सैनिक मौजूद हैं, जिनमें थल सेना, वायु सेना, नौसेना और एयर डिफेंस फोर्स शामिल हैं. आधुनिक युद्धक विमान, मिसाइल डिफेंस सिस्टम, टैंक और नौसैनिक जहाज़ इसके पास बड़ी संख्या में मौजूद हैं.
सऊदी अरब के पास दुनिया के सबसे आधुनिक और महंगे हथियारों का भंडार है. इसकी वायुसेना में अमेरिकी F-15SA ईगल, यूरोपीय Eurofighter Typhoon और Apache AH-64 अटैक हेलीकॉप्टर शामिल हैं, जो इसे क्षेत्र की सबसे ताकतवर वायु सेनाओं में गिनाते हैं. मिसाइल डिफेंस के लिए सऊदी के पास Patriot PAC-3 और THAAD सिस्टम मौजूद हैं, जो दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइलों और हवाई हमलों को रोकने में सक्षम हैं.
थल सेना में अमेरिकी M1A2 Abrams टैंक, बख्तरबंद वाहन और आधुनिक Javelin तथा TOW एंटी-टैंक मिसाइलें शामिल हैं. नौसेना में फ्रांस से मिले Al Riyadh-class फ्रिगेट्स और स्पेन के Avante 2200 corvettes इसकी समुद्री शक्ति को मजबूत करते हैं. इसके अलावा, सऊदी अरब के पास अमेरिकी MQ-9 Reaper और चीनी Wing Loong ड्रोन जैसे उन्नत UAVs भी हैं, जो निगरानी और हमले दोनों में सक्षम हैं.
कितनी है पाकिस्तान की मिलिट्री ताकत?
पाकिस्तान की मिलिट्री ताकत दक्षिण एशिया में सबसे बड़ी और संगठित सेनाओं में से एक मानी जाती है. इसमें करीब 6.5 लाख सक्रिय सैनिक और लगभग 5 लाख रिज़र्व सैनिक शामिल हैं, जो थल सेना, वायु सेना और नौसेना में बंटे हुए हैं.
पाकिस्तान के पास आधुनिक हथियारों और तकनीकों का अच्छा मिश्रण है, जिनमें JF-17 थंडर फाइटर जेट, अमेरिकी F-16 विमान, विभिन्न प्रकार के बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइलें तथा टैंक और बख़्तरबंद वाहन शामिल हैं. देश के पास परमाणु हथियारों का भंडार भी है, जो इसे क्षेत्रीय स्तर पर एक परमाणु शक्ति बनाता है.
पाकिस्तान की नौसेना में फ्रिगेट्स, पनडुब्बियां और पैट्रोल बोट्स मौजूद हैं, जबकि वायु सेना अपने तेज और प्रभावी लड़ाकू विमानों के लिए जानी जाती है. रक्षा बजट के लिहाज़ से पाकिस्तान हर साल लगभग 10–11 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च करता है, जो उसकी जीडीपी का 3–4 प्रतिशत होता है. कुल मिलाकर, पाकिस्तान की सेना संख्या, परमाणु हथियारों और पारंपरिक हथियारों के संयोजन के कारण एक मजबूत क्षेत्रीय शक्ति है.
कितनी मजबूत है भारत की मिलिट्री बांहे दोनों देशों से?
भारत, सऊदी अरब और पाकिस्तान की तुलना में मिलिट्री शक्ति के मामले में सबसे मजबूत देश है. भारत के पास लगभग 14 लाख सक्रिय सैनिक और करीब 12 लाख रिज़र्व बल मौजूद हैं, जो इसे दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में शामिल करते हैं.
इसके पास परमाणु हथियारों का बड़ा भंडार, आधुनिक फाइटर जेट्स जैसे Rafale, Su-30MKI, शक्तिशाली Agni और Prithvi मिसाइल सिस्टम, और एक मजबूत नौसेना है जिसमें एयरक्राफ्ट कैरियर और न्यूक्लियर सबमरीन तक शामिल हैं. रक्षा बजट की बात करें तो भारत हर साल लगभग 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक खर्च करता है, जो इसे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रक्षा खर्च करने वाला देश बनाता है.
इसके मुकाबले सऊदी अरब का रक्षा बजट भले ही बहुत बड़ा है (78 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आसपास), लेकिन इसकी सेना की संख्या कम है. करीब 2.5 से 2.8 लाख सैनिक. सऊदी की ताकत मुख्य रूप से आयातित आधुनिक हथियारों और मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स पर निर्भर करती है. वहीं पाकिस्तान के पास करीब 6.5 लाख सक्रिय सैनिक और परमाणु हथियार हैं, लेकिन उसका रक्षा बजट काफी छोटा है (10–11 बिलियन अमेरिकी डॉलर) और हथियारों के मामले में वह ज्यादातर चीन और अमेरिका पर निर्भर है.