Parliament Monsoon Session 2025: क्या होता है संसद का मॉनसून सत्र... इसे कौन बुलाता है... इस बार 21 जुलाई से कब तक चलेगा यह सत्र... यहां जानिए

Monsoon Session 2025: संसद का मॉनसून सत्र इसी महीने शुरू होने वाला है. इस बार मॉनसून सत्र काफी हंगामेदार होने की संभावना है. विपक्ष जहां कई मुद्दों को उठा सकता है, वहीं मोदी सरकार भी हर सवालों का जवाब देने को तैयार है. आइए जानते हैं क्या होता है मॉनसून सत्र और इसे कौन बुलाता है?

Parliament (File Photo: PTI)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 03 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 8:48 PM IST
  • संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने मॉनसून सत्र को लेकर दी जानकारी
  • 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त 2025 तक चलेगा संसद का मॉनसून सत्र

संसद (Parliament) के मॉनसून सत्र (Monsoon Session) की तारीख आ गई है. इस बार संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त 2025 तक चलेगा. यह जानकारी संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने दी.

यह मॉनसून सत्र ऑपरेशन सिंदूर के बाद का संसद का पहला सत्र होगा. आपको मालूम हो कि पहले यह सत्र 12 अगस्त 2025 को समाप्त होना था, लेकिन अब इसे एक सप्ताह के लिए बढ़ा दिया गया है.

क्या होता है संसद का मॉनसून सत्र
आपको मालूम हो कि हमारी संसद के तीन प्रमुख सत्र बजट सत्र, मॉनसून सत्र और शीतकालीन सत्र होते हैं. मॉनसून सत्र जुलाई से सितंबर के बीच चलता है. इस दौरान देश में मॉनसूनी बारिश हो रही होती है इसीलिए इसे मॉनसून सत्र कहा जाता है. आमतौर पर मॉनसून के सीजन का सत्र सबसे छोटा होता है.

संसद सत्र बुलाने को लेकर कौन लेता है फैसला
संसद का कोई सत्र शुरू करने से पहले कैबिनेट कमेटी ऑन पार्लियामेंट्री अफेयर्स इसके लिए एक कैलेंडर तैयार करती है. इसके बाद इस कैलेंडर को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. राष्ट्रपति आर्टिकल 85 के तहत संसद सत्र को लेकर फैसला लेते हैं.

सांसदों को सत्र की सूचना एक समन के जरिए राष्ट्रपति की ओर से भेजी जाती है. संसद की कार्यवाही सुबह 11:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक चलती है. इसमें दोपहर 1:00 बजे से 2:00 बजे तक का समय लंच का होता है. शनिवार और रविवार को संसद सत्र कार्यवाही नहीं होती है.संसद सत्र के दौरान कोई त्योहार या अन्य जयंती हो तो उसका भी अवकाश हो सकता है. 

हर मिनट इतने लाख रुपए होते हैं खर्च 
संसद की कार्यवाही पर हर मिनट करीब ढाई लाख रुपए खर्च होते हैं. यदि हर घंटे से हिसाब से देखे तो यह रकम 1.5 करोड़ रुपए होती है. यह खर्चा सांसदों को मिलने वाले वेतन, भत्ते, संसद सचिवालय पर आने वाले खर्च, सचिवालय के कर्मचारियों के वेतन और सांसदों की सुविधाओं पर खर्च होता है. ऐसे में जब हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही स्थगित होती है तो आम जनता को टैक्स के रूप में लाखों का नुकसान होता है.

13 और 14 अगस्त को नहीं होगी कोई बैठक 
संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 21 जुलाई से 21 अगस्त 2025 तक मॉनसून सत्र आहूत करने के सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.  किरेन रिजिजू ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि स्वतंत्रता दिवस समारोह के मद्देनजर 13 और 14 अगस्त को कोई बैठक नहीं होगी.  

सरकार इन विधेयकों को कर सकती है प्रस्तुत 
मॉनसून सत्र में सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयकों को प्रस्तुत कर सकती है. इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, डिजिटल मीडिया, आंतरिक सुरक्षा और न्यायिक सुधारों से जुड़े प्रस्ताव प्रमुख हो सकते हैं. सरकार परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को आसान बनाने के लिए विधेयक लाएगी.

मॉनसून सत्र के दौरान सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की भी तैयारी में है. सरकार राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक पेश करने की तैयारी में है. यह विधेयक देश में पहली बार एक खेल नियामक संस्था के गठन का प्रावधान करता है, जो राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर खेल संगठनों के कामकाज की निगरानी करेगी.

विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी में 
आपको मालूम हो कि यह मॉनसून सत्र ऑपरेशन सिंदूर के बाद का संसद का पहला सत्र होगा. विपक्षी पार्टियां मॉनसून सत्र के दौरान पहलगाम अटैक और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी कर रही हैं.

विपक्षी पार्टियां भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान परमाणु युद्ध को टालने के लिए मध्यस्थता के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दावों पर सरकार से जवाब मांग रही हैं. इसके अलावा विपक्षी दल महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर भी सरकार को घेरने के मूड में है. 

 

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