प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को पोलैंड और यूक्रेन के आधिकारिक दौरे पर रवाना होंगे. वह 21-22 अगस्त पोलैंड में बिताएंगे. यह पिछले 45 सालों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला पोलैंड दौरा होगा. भारत और पोलैंड के राजनियक रिश्ते तो सिर्फ सात दशक पुराने हैं लेकिन दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंध इससे कई गुणा ज्यादा घनिष्ठ हैं. आइए जानते हैं भारत के लिए पोलैंड क्यों खास है और दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों का इतिहास क्या है.
क्या है पोलैंड दौरे का एजेंडा?
पोलैंड के दो दिन के दौरे पर पीएम मोदी का राजधानी वारसॉ में औपचारिक स्वागत होगा. यहां पीएम मोदी सबसे पहले पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेज सेबैस्टियन डूडा से मुलाकात करेंगे. इसके बाद वह प्रधानमंत्री डॉनल्ड टस्क के साथ द्विपक्षीय वार्ता में शामिल होंगे. आधिकारिक बैठकें खत्म करने के बाद पीएम मोदी पोलैंड में रह रहे हिन्दुस्तानी लोगों, व्यवसायियों और बड़े विद्वानों से मुलाकात करेंगे. पीएम मोदी उन स्मारकों का भी दौरा करेंगे जो जामनगर और कोल्हापुर के साथ पोलैंड के विशेष संबंधों की याद दिलाते हैं.
भारत के लिए क्यों खास है पोलैंड?
भारत और पोलैंड के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना 1954 में हुई थी. भारत ने वारसॉ में अपना दूतावास 1957 में खोला. उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद और रंगभेद को लेकर दोनों देशों की मान्यताएं समान होने के कारण विचारधाराएं भी समान रहीं. पोलैंड के कम्यूनिस्ट काल में भारत-पोलैंड के द्विपक्षीय रिश्ते सौहार्दपूर्ण रहे जहां पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1955 में पोलैंड दौरे से आधिकारिक दौरों की शुरुआत की. पोलैंड की ओर से भी कई वीवीआईपी दौरे हुए.
साल 1989 में पोलैंड में लोकतांत्रिक सरकार बनने के बाद भी भारत से उसके रिश्ते अच्छे ही रहे. भारत और पोलैंड ने जल्द ही ठोस मुद्रा व्यापार व्यवस्था अपना ली. व्यापार के बढ़ते स्तर के कारण यह व्यवस्था कायम भी रही क्योंकि दोनों देशों की अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ता गया. बात करें 21वीं सदी की तो दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण राजनीतिक संबंध देखने को मिले हैं.
कैसे हैं सांस्कृतिक संबंध?
भारत और पोलैंड के सांस्कृतिक संबंध राजनीतिक संबंधों से भी पुराने हैं. पोलैंड के विद्वानों ने 19वीं शताब्दी की शुरुआत में ही संस्कृत का पोलिश में अनुवाद करना शुरू कर दिया था. पोलैंड के सबसे पुराने विश्वविद्यालय जगियेलोनियन यूनिवर्सिटी (पोलैंड में सबसे पुराना) में सन् 1860-61 में संस्कृत की पढ़ाई शुरू हो गई थी.
पोलैंड की राजधानी में मौजूद वारसॉ यूनिवर्सिटी के ओरिएंटल इंस्टीट्यूट का इंडोलॉजी विभाग (1932 में स्थापित) मध्य यूरोप में भारतीय अध्ययन का सबसे बड़ा केंद्र है. भारतीय भाषाओं, साहित्य, संस्कृति और इंडोलॉजी का अध्ययन पॉज़्नान में एडम मिकीविक्ज़ विश्वविद्यालय और व्रोकला विश्वविद्यालय में भी किया जाता है.
भारत में पोलैंड की पूर्व राजदूत (1993-96) और पोलिश संस्कृत विद्वान प्रोफेसर मारिया क्रिस्टोफर बायर्स्की मनुस्मृति सहित कई किताबें अपनी भाषा में लिख चुकी हैं. उन्हें साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए मार्च 2022 में भारत के राष्ट्रपति से पद्म श्री पुरस्कार भी मिला था.
मजबूत है आर्थिक साझेदारी
पोलैंड मध्य और पूर्वी यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापार और निवेश भागीदार बना हुआ है. साल 2013 से 2023 के बीच पोलैंड के साथ कुल द्विपक्षीय व्यापार में 192% की वृद्धि देखी गई है. यानी दोनों देशों के बीच व्यापार 2013 में 195 करोड़ अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023 में 572 करोड़ अमेरिकी डॉलर हो गया है. साल 2023 में व्यापार संतुलन काफी हद तक भारत के पक्ष में बना हुआ है. भारत इस समय कपड़ा, मशीनरी और यांत्रिक उपकरण, बिजली से चलने वाले उपकरण और परिवहन उपकरण सहित कई अहम चीजों का पोलैंड निर्यात कर रहा है.