India's First Nuclear Test: 75 साइंटिस्ट और 7 साल... जब भारत ने पहली बार किया न्यूक्लियर टेस्ट, क्यों दिया गया स्माइलिंग बुद्धा नाम? जानिए पूरी कहानी

18 मई 1974 को भारत ने पोखरण में पहला परमाणु टेस्ट किया. इस सीक्रेट ऑपरेशन को स्माइलिंग बुद्धा के नाम से जाना जाता है. भारत का पहला न्यूक्लियर टेस्ट एक जीप की वजह से 5 मिनट लेट हो गया था.

Pokharan India's First Nuclear Test (Photo Credit: Getty/X)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 18 मई 2025,
  • अपडेटेड 6:01 PM IST
  • 1974 में हुआ था भारत का पहला परमाणु परीक्षण
  • इस ऑपरेशन का कोडनेम स्माइलिंग बुद्धा था

आज से 51 साल पहले भारत ने कमाल कर दिया था. 18 मई 1974 को भारत ने पहली बार न्यूक्लियर टेस्ट किया. राजस्थान के पोखरण में हुए परमाणु परीक्षण से अमेरिका, पाकिस्तान समेत कई देश दंग रह गए थे. इस एक धमाके ने भारत को पहला ऐसा देश बना दिया जिसके पास यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) के पांच स्थायी सदस्यों के अलावा परमाणु क्षमता हो.

इस परमाणु शक्ति की देश में काफी तारीफ हुई. 18 मई 1974 को सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर पोखरण में न्यूक्लियर टेस्ट हुआ. इस ऑपरेशन को स्माइलिंग बुद्धा नाम दिया गया. आज इस परमाणु परीक्षण को पोखरण-1 न्यूक्लियर टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है. उस समय भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी. इंदिरा गांधी ने भारत के पहले न्यूक्लियर टेस्ट को शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षण कहा था.

भारत का ये न्यूक्लियर टेस्ट देश के लिए काफी निर्णायक साबित हुआ. भारत को पहले न्यूक्लियर टेस्ट के लिए काफी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा. इस परमाणु परीक्षण से कई किस्से भी जुड़े हैं. भारत के पहले परमाणु परीक्षण पर नजर डाल लेते हैं.

75 साइंटिस्ट और 7 साल
भारत का पहला परमाणु परीक्षण 18 मई 1974 को हुआ था लेकिन इसकी शुरूआत 1967 में ही हो गई थी. इस प्रोजेक्ट की कमान भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) के डायरेक्टर डॉ. राजा रमन्ना को दी गई. स्माइलिंग बुद्धा प्रोजेक्ट में 74 वैज्ञानिक और इंजीनियर थी. इस टीम में एपीजे अब्दुल कलाम भी शामिल थे.

1972 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने न्यूक्लियर टेस्ट के लिए संयंत्र बनाने की मंजूरी दी थी. भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर का दौरान करते हुए इंदिरा गांधी ने इजाजत दी थी. इस पूरे ऑपरेशन को सीक्रेट रखा गया. अमेरिका को भी इसकी भनक नहीं लगी. राजस्थान के पोखरण को न्यूक्लियर टेस्ट के लिए चुना गया.

स्माइलिंग बुद्धा क्यों?
भारत के पहले परमाणु परीक्षण का कोडनेम स्माइलिंग बुद्धा रखा गया. ये नाम महात्मा बुद्ध से लिया गया था. इत्तफाक से 18 मई 1974 को बुद्ध पूर्णिमा थी. परमाणु परीक्षण के पांच दिन पहले से ही तैयारी शुरू कर दी गई. 17 मई 1974 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने  डॉ. राजा रमन्ना से कहा, ''डॉ. रमन्ना प्लीज आगे बढ़ो. ये देश के लिए अच्छा होगा''

18 मई 1974 को सुबह 8.05 बजे पोखरण में देश का पहला परमाणु परीक्षण किया. न्यूक्लियर टेस्ट के लिए वैज्ञानिक डॉ. प्रणब रेबतिरंजन दस्तीदार ने बटन दबाया. डॉ. प्रणब के बटन दबाते ही पोखरण में जबरदस्त धमाका हुआ. इस धमाके की गूंज पाकिस्तान की नहीं पूरी दुनिया ने सुनी.

परमाणु परीक्षण के लिए बटन कौन दबाएगा? इसको लेकर भी काफी बहस हुई थी. डॉ. रमन्ना ने अपनी आत्मकथा में इसका जिक्र किया. डॉ. रमन्ना लिखते हैं, 'मैंने ये सुझाव देकर इस बहस को खत्म कर दिया कि जिस शख्स ने ट्रिगर को बनाया है, उसे ही इसे दबाना चाहिए'. इस तरह से भारत के पहले न्यूक्लियर टेस्ट के ट्रिगर का बटन डॉ. प्रणब रेबतिरंजन दस्तीदार ने दबाया.

5 मिनट की देरी
18 मई 1974 को भारत का पहला न्यूक्लियर टेस्ट सुबह 8 बजे होना था. सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं. धमाके पर नजर रखने के लिए मचान को 5 किमी. दूर बनाया गया था. यहीं पर कई अधिकारी और वैज्ञानिक थे. न्यूज 18 के अनुसार, परीक्षण से पहले आखिरी जांच के लिए साइंटिस्ट वीरेन्द्र सेठी परीक्षण वाली जगह पर गए. जांच के बाद वो जीप से वापस लौटने लगे लेकिन जीप स्टार्ट ही नहीं हो रही थी.

काफी प्रयास के बाद भी जीप स्टार्ट नहीं हुई. वहीं परमाणु परीक्षण का समय बीतता जा रहा था. तब वैज्ञानिक वीरेन्द्र सेठी पैदल चलकर वापस लौटे. इस वजह से न्यूक्लियर टेस्ट का समय 5 मिनट बढ़ा दिया गया. जीप खराब होने की वजह से भारत का पहला परमाणु परीक्षण 5 मिनट देरी से हुआ. आखिर में परमाणु परीक्षण 8 बजकर 5 मिनट पर हुआ.

परमाणु परीक्षण के बाद डॉ. राजा रमन्ना ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को एक सीक्रेट मैसेज भेजा. इस मैसेज में राजा रमन्ना ने कहा, आखिरकार बुद्धा मुस्कुराए. इस परमाणु परीक्षण के 24 साल बाद 1998 में इसी जगह पर दो दिन के अंदर पांच न्यूक्लियर टेस्ट किए. सफल परमाणु परीक्षण के बाद भारत न्यूक्लियर टेस्ट करने वाला छठवां देश बन गया. भारत के इस परमाणु परीक्षण को पोखरण-II के नाम से जाना जाता है. ये इत्तेफाक ही है दोनों बार परमाणु परीक्षण मई के महीने में ही हुए.

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