जब भी पॉन्डिचेरी (पुडुचेरी) की बात होती है तो हमारे दिमाग में हमेशा एक ऐसी जगह की तस्वीर बनती है जो अपने पर्यटन के लिए जानी जाती है. लेकिन इस बीच हम ये भूल जाते हैं कि दुनिया भर की खूबसूरती लिए ये शहर कभी फ्रांसीसी साम्राज्यवाद का एक महत्त्वपूर्ण अंग था. यहां की जनता ने भी आजाद होने के लिए उतना ही संघर्ष और उतना ही बलिदान दिया है जितना भारतीयों ने अंग्रेजों से आजादी के लिए दी थी. हर साल 1 नवंबर को ये अपना आजादी दिवस यानि लिबरेशन डे मनाता है.
फ्रांसीसी भारत में पुडुचेरी और अन्य फ्रांसीसी उपनिवेश जैसे चंद्रनगर, माहे, यनम, कराईकल और मसूलीपट्टम शामिल थे. ये दिन 1954 में फ्रांसीसी भारत के भारत गणराज्य में स्थानांतरण की याद में मनाया जाता है.
भारत गणराज्य में कब हुआ विलय?
बताते चलें कि पुडुचेरी 17वीं शताब्दी के आसपास फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन में आ गया था. फ्रांसीसी भारत में पुडुचेरी और अन्य फ्रांसीसी उपनिवेश जैसे चंद्रनगर, माहे, यनम, कराईकल और मसूलीपट्टम शामिल थे. वैसे तो फ्रांसीसी ने 1 नवंबर, 1954 को पुडुचेरी का नियंत्रण भारत में स्थानांतरित कर दिया था, लेकिन यहां यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत गणराज्य में राज्य का विलय कानूनी रूप से 16 अगस्त 1962 को हुआ था.
एक छोटे से गांव से बना एक समृद्ध पोर्ट शहर
दरअसल, पांडिचेरी की नींव साल 1673 में रखी गई थी जब बीजापुर के सुल्तान के तहत "ला कॉम्पैनी फ्रैन्साइज डेस इंडेस ओरिएंटल" को वलीकोंडापुरम के किलादार से सफलतापूर्वक प्राप्त किया गया था. 4 फरवरी 1673 को बेलांगेर नाम की एक फ्रांसीसी कंपनी के अधिकारी ने पांडिचेरी में डेनिश लॉज में निवास किया. जिसके बाद 1674 में, फ्रांसीसी कंपनी ने फ्रैंकोइस मार्टिन को पहले गवर्नर के रूप में रखा गया. ये वही शख्स हैं जिन्होंने पांडिचेरी को एक छोटे से मछली पकड़ने वाले गांव से एक समृद्ध बंदरगाह शहर (Port Town) में बदलने के लिए महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत की.
1674 में "ला कॉम्पैनी फ़्रैन्काइज़ डेस इंडेस ओरिएंटल" (फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी) के गवर्नर फ्रैंकोइस मार्टिन ने पांडिचेरी में एक व्यापारिक केंद्र की स्थापना की. 1720-1738 की अवधि के दौरान फ्रांसीसी कंपनी ने माहे, यनम और कराईकल का अधिग्रहण किया. 1742 से 1763 तक एंग्लो-फ्रांसीसी युद्ध चला जिसके बाद पुडुचेरी पर 1761 में ब्रिटिश "ईस्ट इंडिया कंपनी" ने कब्जा कर लिया और 1763 में पेरिस की संधि द्वारा फ्रांसीसी कंपनी प्रशासन को बहाल कर दिया गया.
फ्रांसीसी औपनिवेशिक से ब्रिटिश साम्राज्य
बताते चलें कि साल 1793 में फ्रांसीसी क्रांति के दौरान ब्रिटिश "ईस्ट इंडिया कंपनी" ने इस क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया था. इसके बाद 1948 में फ्रांसीसी सरकार और भारत सरकार के बीच एक समझौते में यह निर्धारित किया गया कि वहां के निवासी अपने राजनीतिक भविष्य का चयन करेंगे. जिसके बाद 1 नवंबर 1954 को ये सभी भारत के साथ एकजुट हो गए और भारतीय संघ के साथ फ्रांसीसी भारत का विलय 1963 में हो गया. इस प्रक्रिया में चंद्रोनगर ने पश्चिम बंगाल राज्य के साथ विलय का विकल्प चुना. और पांडिचेरी को कराईकल, माहे और यनम के साथ भारतीय संघ में एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में गठित किया गया.
मौजूदा समय का पुडुचेरी
गौरतलब है कि केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी भारत का एक छोटा सा क्षेत्र है जिसकी आबादी हाल की जनसंख्या अनुमान के अनुसार 1.6 मिलियन से अधिक है. 1 नवंबर को पुडुचेरी की जनता हर साल अवकाश मनाती है. और ये छुट्टी पुडुचेरी के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह उनके इतिहास का जश्न मनाने का दिन है. यही वजह है कि इस दिन को केंद्र शासित प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है. अपने खूबसूरत समुद्र तटों से लेकर अपनी स्वादिष्ट कॉफी तक, भारत के लिए पुडुचेरी उन जगहों में से एक है जिसके बगैर भारत अधूरा है.