कुछ वक्त से साइबर क्राइम के मामले में काफी तेज़ी आई है. साथ ही एक नहीं कई तरीकों से साइबर ठगी को अंजाम दिया जा रहा है. किसी आम आदमी के साइबर ठगी के जाल में फंस जाने की उम्मीद थोड़ी ज्यादा होती है. लेकिन नागपुर में एक ऐसा मामला सामने आया जहां शिकार के बारे में जान यकीन कर पाना थोड़ा मुश्किल है.
दरअसल इस बार साइबर ठगों ने नागपुर में एक रिटार्यड बैंक अधिकारी को साइबर अपराध के जरिए अपने जाल में फांसने की कोशिश की. हैरत की बात तो यह है कि ठग इस कोशिश में कामयाब भी हो गए. किसी बैंक अधिकारी का जाल में फंसना इसलिए थोड़ा मुश्किल समझा जा सकता है क्योंकि वह इस तरीकों को जानते हैं. लेकिन यह रिटार्यड बैंक अधिकारी फंस गया.
कैसे घटा मामला?
दरअसल नागपुर के रहने वाले रिटार्यड बैंक अधिकारियों को साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट के जरिए ठगा. उन्होंने खुद को एटीएस अधिकारी बताया और कहा कि उनके नाम पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सामने आया है. जिसके बाद ठगों ने विभिन्न जांच एजेंसियों के नाम से बनाए गए दस्तावेज पीड़ित बैंक अधिकारी को भेजे और वॉट्सऐप व वीडियो कॉल के जरिए धमकाया.
कितने की हुई ठगी?
एक बार बैंक अधिकारी को जब उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग के नाम पर डरा दिया, उसके बाद उससे अलग-अलग खातों में पैसे पड़वाए गए. लेकिन इस दौरान अधिकारी को बिलकुल अहसास नहीं हुआ कि वह ठगी का शिकार हो रहा है. ठगों ने बैंक के रिटायर्ड ऑफिसर के साथ 55 लाख 20 हजार रुपए ऐंठे. उन्हें बताया गया था कुछ पैसे उन्हे वापस मिल जाएंगे.
पीड़ित पहुंचा पुलिस के पास
पीड़ित ने जब ठगों से पैसे वापस मांगे तो ठगों ने मना कर दिया. जिसके बाद अधिकारी ने अपने परिजनों को मामले के बारे में बताया. बाद में मामला साइबर पुलिस में दर्ज करवाया गया. साइबर पुलिस ने आगे की कार्रवाई करते हुए आईपीसी और आईटी एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. अब पुलिस आरोपियों की तलाश की जा रही है.
- योगेश वसंत पांडे की रिपोर्ट