दिल्ली में मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में साहित्य आजतक के 8वें संस्करण में मशहूर एक्टर और सिंगर पीयूष मिश्रा ने शिरकत की. पीयूष मिश्रा ने कहा कि मेरे जीवन में बहुत सारे लोग टकराए, जिन्होंने मेरी जिंदगी बदल दी. लेकिन जैसे ही वो मेरे गुरु बने, उन्होंने कीमत मांगनी शुरू कर दी. पीयूष मिश्रा ने अपनी किताब 'तुम्हारी औकात क्या है, पीयूष मिश्रा' पर भी बात की.
जिंदगी बहुत कुत्ती चीज है, कुत्ता चीज नहीं हो सकती- पीयूष
पीयूष मिश्रा ने अपनी किताब के एक किस्से का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि किताब में एक लाइन है- जिंदगी बहुत कुत्ती चीज होती है, क्योंकि वो कुत्ता चीज नहीं हो सकता. इसका ट्रांसलेशन करना बहुत मुश्किल था. जो भी उनको बेस्ट मिला, उन्होने ट्रांसलेट कर दिया. उन्होंने बताया कि जब वो बच्चे थे तो कोई भी उनको मारकर चला जाता था, पीटकर चला जाता था. ये बहुत समय तक चलता रहा. उन्होंने बताया कि इस नॉवेल में मैंने ये दिखाने की कोशिश की है कि बच्चे से लेकर अब तक क्या बदलाव हुए हैं?
Gen Z को पीयूष मिश्रा की सलाह-
पीयूष मिश्रा ने कहा कि Gen Z जनरेशन बहुत प्यारे हैं. नौजवान हैं. क्या लाइक्स लगा रखे हो. लाइक्स से जिंदगी बनती है क्या? कर्म करो, तब जाकर कुछ बनोगे. लाइक्स से काम नहीं मिलता है, मिलता है तो चला जाता है. लगातार काम करोगे तो कुछ मिलेगा. उन्होंने कहा कि जो लोग कहते हैं, वो करोगे क्या, जो बाप कहता है, वो करोगे क्या? वो करो, जो खुद करना चाहते हो.
पीयूष मिश्रा ने कहा कि एक बार किया गया कर्म, बिना फल दिए नष्ट नहीं होता. मैंने दिल्ली में 30 साल तक इतना काम किया था. 40 साल की उम्र में अपनी मां के साथ, बेटे के साथ, बीवी के साथ मुंबई जाना, अभिशाप है... मैं गया, काम किया, आज आपके सामने हूं. मैं लगातार काम करता गया. उन्होंने कहा कि काम करके देखो, जब मिलेगा तो मजा आ जाएगा.
शुरुआत में दिक्कतें आएंगी, लेकिन नतीजे जबरदस्त होंगे- पीयूष
पीयूष मिश्रा ने कहा कि नकलीपन छोड़ दीजिए, आप जैसे हो, वैसे रहो. दिल की सुनो यार, दिमाग की नहीं. दिमाग की सुनने के लिए मेरे पिताजी ने मुझसे बहुत कहा, लेकिन मैंने नहीं सुना. मैंने दिल की सुनी. आप जो करना चाहते हैं, वो कर जाओ. मैं वही काम करूंगा, जिसको करने के लिए मेरा दिल कहेगा, मैं फिजूल काम नहीं करूंगा. शुरुआत में बहुत दिक्कतें आती हैं, लेकिन जब रिजल्ट मिलता है तो जबरदस्त. उन्होंने कहा कि मैं पेरेंट्स के खिलाफ जाने की बात नहीं कह रहा, लेकिन मैं पेरेंट्स के खिलाफ ही जाने की बात कह रहा है.
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