क्या है Satellite-based Toll Collection सिस्टम, FASTag से है अलग, लोगों के लिए फायदेमंद

जल्द ही, भारत में कहीं भी ट्रेवल करने पर आप सिर्फ उतना ही टोल देंगे, जितना हाइवे आपने इस्तेमाल किया है. जी हां, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम लेकर आ रहे हैं.

Toll collection system
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 29 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 10:27 AM IST

हाल ही में एक घोषणा में, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भारत में मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर को बदलने के लिए एक नए सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम की योजना पेश की. इस सिस्टम का उद्देश्य टोल कलेक्शन प्रोसेस में बड़ा बदलाव लाना, यात्रियों के लिए ज्यादा एफिशिएंसी और सुविधा देना है. 

FASTag से कैसे है अलग है 
FASTag की तुलना में, सैटेलाइट-आधारित जीपीएस टोल कलेक्शन सिस्टम ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) पर काम करता है, जिससे एकदम लोकेशन ट्रैकिंग की सर्विस मिलती है. 

ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) और भारत के जीपीएस एडेड जीईओ ऑगमेंटेड नेविगेशन (जीएजीएएन) जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करके, यह सिस्टम डिस्टें या दूरी के आधार पर टोल कैल्क्यूलेट करता है. इसता मतलब है कि इस सिस्टम से आप सिर्फ उतना टोल देते हैं जितनी रोड या सड़क आपने इस्तेमाल की है.

सैटेलाइट-बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम
ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) या ट्रैकिंग डिवाइस से लैस वाहनों से राजमार्गों पर तय की गई दूरी के आधार पर पैसे लिए जाएंगे. जितनी दूरी वाहन ने हाईवे पर कवर की है, उसकी के हिसाब से यूजर को टोल भरना होगा. वर्तमान में, चाहे आप थोड़ी दूरी है हाइवे पर कवर करो लेकिन आपको टोल पूरा देना पड़ता है.

पर सैटेलाइट बेस्ड सिस्टम आने से यह प्रोसेस बदल जाएगी. डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग नेशनल हाइवेज के साथ कॉर्डिनेट्स रिकॉर्ड करेगी, जिससे सॉफ्टवेयर एल्गोरिदम टोल रेट्स निर्धारित करेंगे. टोल पेमेंट प्रोसेस को सुव्यवस्थित करते हुए पेमेंट ओबीयू से जुड़े डिजिटल वॉलेट से काटा जाएगा. सरकार ने इस GNSS-बेस्ड इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (ETS) सिस्टम की एफिशिएंसी का टेस्ट करने के लिएनेशनल हाइवेज के कुछ सेलेक्ट किए गए खंडों पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए हैं.

जैसे-जैसे भारत एड्वांस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम की ओर बढ़ रहा है, सैटेलाइट बेस्ड जीपीएस टोलिंग मैकेनिज्म ट्रांसपोर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण में एक महत्वपूर्ण कदम है. एफिशिएंसी बढ़ाने और ट्रैवल टाइम को कम करने की अपनी क्षमता के साथ, यह सिस्टम नेशनल हाइवेज पर यात्रियों के अनुभव को बदलने का वादा करता है. 

 

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