जल्द आप भी अपने फ़ोन पर सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही देख और सुन पाएंगे. अधिक पारदर्शिता लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट अदालती कार्यवाही को लाइव स्ट्रीम करने की योजना पर काम कर रहा है. हालांकि, देश के छह हाई कोर्ट पहले से ही यूट्यूब कोर्ट में चल रही कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग कर रहे हैं. इनमें गुजरात, उड़ीसा, कर्नाटक, झारखंड, पटना और मध्य प्रदेश शामिल हैं. इन सभी के अपने-अपने यूट्यूब चैनल हैं, जिनकी मदद से आमजन भी आसानी से अपने फोन पर कोर्ट में क्या चल रहा है देख सकते हैं.
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ हैं ई-कमिटी के प्रमुख
दरअसल, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, ई-कमिटी को लीड कर रहे हैं. इस साल की शुरुआत में उन्होंने कोर्ट की ई-स्ट्रीमिंग को लेकर कहा था, "हम बहुत जल्द ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के तीसरे चरण को लॉन्च करने वाले हैं. हमने इसे लोगों के सुझावों के लिए अपलोड किया है. जनता और बार के सदस्य इसपर अपनी रे दे सके हैं. अब हम बजट वाले चरण पर हैं. एक बार डॉक्यूमेंट्स स्वीकार हो जाने के बाद, हम इसे बजट के लिए सरकार के सामने पेश करेंगे.”
देश भर में है लाइव स्ट्रीमिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा, “देश भर में लाइव स्ट्रीमिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है. हम केवल यह नहीं कह सकते हैं कि 'चलो हम लाइव स्ट्रीमिंग शुरू करते हैं'. हमारे पास क्लाउड के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा होना चाहिए जहां हम लाइव स्ट्रीमिंग शुरू कर पाएं. हम इसे किसी तीसरी पार्टी को देने के बजाय खुद होस्ट करना चाहते हैं.”
बता दें, प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, प्रोजेक्ट अभी टेस्टिंग स्टेज में है और टीम लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान आने वाली गड़बड़ियों को ठीक करने पर काम कर रही है.
कुछ मामलों की नहीं होगी लाइव ट्रीमिंग
हालांकि, कुछ ऐसे मामले भी होंगे जिनकी लाइव स्ट्रीमिंग नहीं की जाएगी. इसमें वैवाहिक मामले, भारतीय दंड संहिता की धारा 376 यानि बलात्कार के मामले, यौन अपराधों से जुड़े मामले, महिलाओं के खिलाफ लिंग आधारित हिंसा को लाइव-स्ट्रीमिंग से बाहर रखा जाएगा.
कोर्ट रूम में लगेंगे कैमरे
लाइव स्ट्रीमिंग के लिए कोर्ट रूम में कम से कम पांच कार्नर को कवर करते हुए कैमरे लगाए जाएंगे, एक बेंच की ओर, दूसरा और तीसरा संबंधित मामले में लगे अधिवक्ताओं की ओर, चौथा आरोपी और पांचवां आवश्यकता अनुसार या गवाह पर.
सूत्रों के अनुसार, भारत के चीफ जस्टिस एन वी रमना अगले 2 महीनों में लाइव-स्ट्रीमिंग शुरू करने के इच्छुक हैं. वह इसी साल अगस्त में रिटायर हो रहे हैं.
गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के बाद भी से ही कुछ मामलों की सुनवाई वर्चुअल तरीके से जारी रखने की सिफारिश की गई थी. इसमें कहा गया था कि यह एक अदालत के रूप में न्याय के सस्ते और तेज साधन का मार्ग प्रशस्त करेगा.
(कनु सारदा की रिपोर्ट)