तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी राज्य में नए समीकरण साधने में जुट गई है. पार्टी का फोकस छोटे क्षेत्रीय दलों से गठबंधन कर एनडीए को मजबूत करने पर है. चुनाव प्रभारी जय पांडा और सह प्रभारी मुरलीधर मोहोल ने हाल ही में तमिलनाडु का दौरा कर राज्य बीजेपी नेतृत्व और एआईएडीएमके नेताओं के साथ विस्तृत रणनीतिक चर्चा की.
छोटे दलों में संभावनाएं तलाश रही बीजेपी-
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी का लक्ष्य राज्य में मौजूद एंटी-डीएमके माहौल को एनडीए के पक्ष में मोड़ना है. इसी दिशा में पार्टी छोटे-छोटे दलों के साथ संभावित गठबंधनों की तलाश कर रही है.
विजय को लेकर बीजेपी का आंकलन-
बीजेपी के आंतरिक आकलन में माना गया है कि थलापथी विजय की पार्टी टीवीके का वोट शेयर करीब 20 प्रतिशत है, लेकिन उसमें से लगभग 60 प्रतिशत वोट एनडीए विरोधी हैं. ऐसे में पार्टी विजय की बढ़ती लोकप्रियता को काउंटर करने की रणनीति पर भी काम कर रही है.
एनडीए से पीएमके का मतभेद-
इस बीच, एनडीए के एक महत्वपूर्ण घटक पीएमके में मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं. संकेत हैं कि वरिष्ठ नेता एस. रामदॉस एनडीए के साथ बने रह सकते हैं, जबकि उनके बेटे ए. रामदॉस न्यूट्रल रहने या फिर टीवीके का रुख अपनाने पर विचार कर रहे हैं.
सूत्रों का कहना है कि नवंबर में तमिलनाडु की राजनीति में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है. अगले महीने एआईएडीएमके के तीन गुट ओ. पन्नीरसेल्वम (ओपीएस), वी.के. शशिकला और टीटीवी दिनाकरन अपने भविष्य की रणनीति और रुख को लेकर बड़ा फैसला ले सकते हैं.
बीजेपी की क्या है रणनीति?
बीजेपी की रणनीति डीएमके विरोधी वोटों का बिखराव रोकने की है. इसके लिए पार्टी छोटे दलों को एनडीए में शामिल करने की दिशा में सक्रिय है. हालांकि, एआईएडीएमके से निष्कासित नेताओं को साथ लेने पर एनडीए में मतभेद बरकरार हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, ई. पलनीस्वामी ने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के दौरान साफ किया था कि ऐसे नेताओं को साथ लेने से एनडीए की एकता पर असर पड़ सकता है.
AIADMK और BJP का संयुक्त अभियान-
अगले महीने से बीजेपी और एआईएडीएमके संयुक्त अभियान की शुरुआत करेंगे. दोनों दल राज्य की डीएमके सरकार के खिलाफ जनता के बीच मुद्दे उठाने की योजना बना रहे हैं.
बीजेपी रणनीतिकारों का मानना है कि छोटे दलों को साथ लाने से न केवल सत्ता विरोधी वोटों के बिखराव को रोका जा सकेगा, बल्कि एनडीए की राजनीतिक ताकत भी बढ़ेगी. हालांकि, इसके लिए पहले एआईएडीएमके को राज़ी करना पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है.
(हिमांशु मिश्रा की रिपोर्ट)
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