लड़कियां अब लड़को से कम नही है, लड़कियां बड़े शहरों में नही बल्कि अब छोटे छोटे शहर ओर गांवो में भी पढ़ाई के साथ साथ स्पोर्ट्स में अपना भाग्य आजमा रही है, आगर मालवा जिले के गांवो की लड़कियां अब क्रिकेट के मैदान में खूब चौके छक्के लगा रही है. खासकर लड़कियों के वर्ल्ड कब जितने के बाद इनके हौसले सातवें आसमान पर है.
आगर मालवा जिले के गांवों की लड़कियां हाथों में बल्ला, शानदार फुट वर्क ओर हाथो में गेंद घुमाकर क्रिकेट में अपना हुनर दिखाती हैं. आगर मालवा जिले के ग्राम खेराना के स्कूली मैदान में इन दिनों माहौल क्रिकेट मई दिखाई देता है. यहां पूरे मैदान में लड़कियां क्रिकेट खेलती दिखाई देती है. जब से भारतीय महिला टीम ने वर्ल्ड कप अपने नाम किया है इन स्कूली बालिकाओं के हौसले ओर भी बड़ गए हैं. ये लड़कियां भी अब अपने गांवो से निकलकर अपने नगर ओर देश के लिए खेलना चाहती है.
नंगे पैर दौड़ती हैं मैदान में
खैराना के पूरे स्कूल में काफी लड़कियां पढ़ाई करती है, अधिकांश समय ये लड़कियां क्लास रूम में पड़ती है मगर पढ़ाई के साथ कई लड़कियां अब मैदान में क्रिकेट खेलती दिखाई देती हैं. स्कूली ड्रेस भी अब इन लड़कियों के अभ्यास में बाधा नही बनती, ये लड़कियां अपनी स्कूली ड्रेस के दुपट्टे से कमर कसकर अब कड़ी मेहनत कर रही है. इनका जूनून इस बात का गवाह है की अब सुविधाओं के आभाव में जूते ना हो तो ना सही, नंगे पेर ही ये चौके छक्के लगा रही है.
बालिकाओं का मनोबल साथी छात्राएं बढ़ाती है. अपनी दोस्त के शानदार शॉट पर ये साथी छात्राएं तालिया बजाकर बल्लेबाज ओर गेंदबाज का हौसला बढ़ाते दिखाई देती है. इन बालिकाओं के स्मृति ओर रिचा जैसे फेवरेट खिलाड़ी भी हैं ओर वे उन्ही की तरह खेलना चाहती है.
प्रोफेशन तरीका अपनाने में किसी से कम नहीं
क्रिकेट खेलने से पहले लड़कियां थोड़ा शारीरिक व्यायाम भी करती हैं. खिलाड़ियों में व्यायाम में परिपूर्ण साथी सभी लड़कियों को खेलने से पहले थोड़ा एक्सरसाइज जरूर करवाती हैं. इस प्रारंभिक व्यायाम के बाद ये लड़कियां दो टीम बनाकर बल्लेबाजी, गेंदबाजी ओर क्षेत्र रक्षण में अपने जोहर दिखाती हैं. पिच के ऊपर नंगे पेर सरपट रन दौड़ती हैंय स्टम्प अगर गिर जाय तो प्रोफेशनल तरीके से बालिकाओं को स्टम्प पुनः लगाना भी आता है. हालांकि बालिकाओं को समय कम मिलता है फिर भी है समय निकालकर खेलती जरूर है ओर उनके इस जूनून को देखकर स्कूल के प्राचार्य भी बेहद खुश हैं.
बच्चियों के इस जूनून ओर लगन की चर्चा अब चारो तरफ है. स्कूल में लड़के भी पढ़ाई करते है मगर सबको पीछे छोड़ ये बच्चियां सारी शर्म छोड़कर क्रिकेट के मैदान में अपनी चाहती क्रिकेट स्टार की तरह खुदका परचम लहराने में कोई कसर छोड़ना नही चाहती है.
- प्रमोद कारपेंटर की रिपोर्ट