24 करोड़ से अधिक की आबादी वाले उत्तर प्रदेश ने आपातकालीन सेवाओं में पूरी दुनिया में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. उत्तर प्रदेश पुलिस की 112 आपातकालीन सेवा अब दुनिया की सबसे तेज़ और बेहतरीन पुलिस रिस्पॉन्स सेवा बन चुकी है. प्रदेश में किसी भी आपात स्थिति में मदद के लिए पुलिस औसतन सिर्फ 7 मिनट में घटनास्थल पर पहुंच रही है, चाहे वह दिन हो या रात, शहर की सड़क हो या दूरदराज की पगडंडी.
डायल 100 से 112 तक: तकनीक से बदली तस्वीर
19 नवंबर 2016 को जब सेवा की शुरुआत डायल 100 के रूप में हुई थी, तब आपातकालीन मदद पहुंचने में औसतन 40 मिनट लगते थे. समय घटाने के लिए आधुनिक तकनीक, जीपीएस ट्रैकिंग, एआई सिस्टम और मल्टी-प्लेटफ़ॉर्म सपोर्ट को जोड़ा गया.
आज 112 सेवा रियल-टाइम लोकेशन ट्रैकिंग और एआई-आधारित डिस्पैच सिस्टम के जरिए रिकॉर्ड समय में पुलिस मदद पहुंचा रही है.
कैसे काम करती है 112 आपातकालीन सेवा
- कॉल रूटिंग: 112 डायल करते ही कॉल लखनऊ मुख्यालय या फिर गाज़ियाबाद व प्रयागराज में बने क्षेत्रीय कंट्रोल सेंटर तक पहुंचती है.
- तेज़ डिस्पैच: कॉल रिसीव होते ही 90 सेकंड के भीतर एआई-पावर्ड सिस्टम अपने आप नज़दीकी पुलिस रिस्पॉन्स व्हीकल (PRV) को संदेश भेज देता है.
- मल्टी-प्लेटफ़ॉर्म मदद: 112 के अलावा नागरिक व्हाट्सऐप (7570000100), फेसबुक, X (पहले ट्विटर) और अन्य सोशल प्लेटफॉर्म्स पर भी मदद मांग सकते हैं. इसके लिए एक विशेष सोशल मीडिया डेस्क 24×7 सक्रिय रहती है.
- रीयल-टाइम ट्रैकिंग: हर पुलिस वाहन में मोबाइल डेटा टर्मिनल (MDT) लगा है, जिससे लाइव लोकेशन और घटनास्थल की स्थिति पर लगातार नज़र रखी जाती है.
बड़ा ऑपरेशनल सेटअप
- 825 कम्युनिकेशन ऑफिसर 24 घंटे तीन शिफ्टों में काम करते हैं.
- प्रतिदिन औसतन 80,000 से 1 लाख कॉल आती हैं, जिनमें से 40,000–45,000 कॉल्स में पुलिस की मदद की आवश्यकता होती है.
- पूरे प्रदेश में 6,278 पुलिस वाहन (4,278 चारपहिया + 2,000 बाइक PRVs) तैनात हैं.
- हर पीआरवी टीम में सब-इंस्पेक्टर, कांस्टेबल और ड्राइवर शामिल होते हैं, जिन्हें जीपीएस-सक्षम सिस्टम से जोड़ा गया है.
पुलिस से आगे: मल्टी-एजेंसी इंटीग्रेशन
112 सेवा सिर्फ पुलिस तक सीमित नहीं है. यह कई अन्य आपातकालीन सेवाओं से भी जुड़ी है:
- एम्बुलेंस
- फायर ब्रिगेड
- चाइल्ड हेल्पलाइन
- महिला सुरक्षा हेल्पलाइन
- साइबर क्राइम सेल
- जीआरपी, स्मार्ट सिटी और सेफ सिटी प्रोजेक्ट्स
- सीएम हेल्पलाइन
- सिर्फ अपराध नहीं, जान बचाने की कहानियां भी
कम्युनिकेशन हॉल की हेड नेहा गुप्ता बताती हैं कि 112 की टीम सिर्फ अपराध से संबंधित मदद ही नहीं करती, बल्कि कई बार लोगों की जान भी बचाती है:
- आत्महत्या की कोशिश करने वालों की समय पर काउंसलिंग और बचाव.
- हाईवे पर फंसे यात्रियों की तुरंत मदद.
- गलत एग्ज़ाम सेंटर पहुंचने पर छात्रों को सही सेंटर तक पहुंचाना.
- कोविड-19 महामारी के दौरान दवाइयां और खाना उपलब्ध कराना.
- एआई-पावर्ड मॉनिटरिंग और एक्शन रिपोर्टिंग
- हर घटना के लिए एक इवेंट नंबर जेनरेट होता है.
- 88% मामलों का निस्तारण पीआरवी टीम मौके पर ही कर देती है.
- शेष 12% मामले पुलिस स्टेशन भेजे जाते हैं, जहां एफआईआर, एनसीआर या आपसी समझौते से समाधान किया जाता है.
- लखनऊ मुख्यालय में तैनात अधिकारी हर पीआरवी को रीयल-टाइम में मॉनिटर करते हैं.
वार रूम: बड़े आयोजनों पर नज़र
- लखनऊ मुख्यालय में स्थित इमरजेंसी रिस्पॉन्स वार रूम बड़े आयोजनों और संकटों के दौरान बेहद अहम भूमिका निभाता है.
- अयोध्या राम मंदिर फैसले, भूमि पूजन और भव्य उद्घाटन के दौरान सुरक्षा.
- CAA-NRC विरोध प्रदर्शनों जैसी कानून-व्यवस्था चुनौतियों पर नियंत्रण.
- एनडीआरएफ, सेना और मेडिकल एजेंसियों के साथ तालमेल.
- लखनऊ और अन्य बड़े शहरों में सीसीटीवी व डेटा एनालिटिक्स से 24×7 निगरानी.
ग्लोबल लेवल पर पहचान
औसतन 7 मिनट के पुलिस रिस्पॉन्स टाइम के साथ, यूपी पुलिस की 112 सेवा दुनिया की सबसे तेज़ आपातकालीन सेवाओं में शामिल हो चुकी है. न्यूयॉर्क पुलिस और स्कॉटलैंड यार्ड जैसी सेवाओं के बराबर खड़ी यह प्रणाली भारत के लिए एक गर्व का विषय बन चुकी है.
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