JD(U)-BJP Split: बीजेपी कोटे के मंत्रियों पर नियंत्रण चाहते थे नीतीश...क्या यही कारण बने तकरार की वजह?

बीजेपी कोटे से विधानसभा अध्यक्ष बने विजय कुमार सिन्हा को सीएम नीतीश कुमार पसंद नहीं हैं. कई बार नीतीश कुमार और विजय सिन्हा के बीच सदन के अंदर और बाहर तकरार हो चुकी है. ऐसे ही कई अन्य कारण हैं जिनकी वजह से जेडीयू को बीजेपी से अलग होना पड़ा.

BJP-JDU Split
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 10 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 12:41 PM IST
  • अग्निपथ योजना के बाद जदयू पर संजय जायसवाल का हमला
  • अलग-अलग नीतियों को लेकर बीजेपी और जदयू में मतभेद

हर साल की तरह इस बार भी अप्रैल में राबड़ी देवी के घर इफ्तार पार्टी रखी गई थी. इस पार्टी में सीएम नीतीश कुमार की मौजूदगी ने सबका ध्यान खींचा. पांच साल बाद वह राबड़ी देवी के घर पहुंचे थे. इसके बाद अफवाहें शुरू हुईं कि नीतीश एक बार फिर बीजेपी से नाता तोड़ सकते हैं. कुछ महीने बाद कल यानी 9 अगस्त को नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया. सीएम नीतीश कुमार ने मंगलवार शाम 4 बजे राज्यपाल फागू चौहान को अपना इस्तीफा सौंपा और फौरन नई सरकार बनाने का दावा पेश किया. उन्होंने राज्यपाल को 164 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा.

आज हम उन कारणों पर चर्चा करेंगे जिसकी वजह से जदयू और भाजपा अलग हुए.

1. जदयू को सांसदों की संख्या के अनुपात में मंत्री पद नहीं मिले
रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के सीएम नीतीश कुमार केंद्रीय मंत्रिमंडल में बराबर का प्रतिनिधित्व चाहते थे. बिहार में फिलहाल दोनों पार्टियों के 16-16 लोकसभा सांसद हैं.ऐसे में जदयू चाहती थी कि जितने मंत्री बिहार कोटे से केंद्र में बीजेपी से बने हैं, उतने ही मंत्री जेडीयू से भी बनाए जाएं. जबकि, 2019 के बाद बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में जदयू को केवल एक मंत्री पद की पेशकश की गई थी. यही वजह है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी रविवार को कहा था कि जनता दल यूनाइटेड एक बार फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होगी. इसके साथ ही जदयू ने बीजेपी पर आरसीपी सिंह की मदद से पार्टी तोड़ने की साजिश का भी आरोप लगाया है.

2. बीजेपी कोटे से स्पीकर बने विजय कुमार सिन्हा और सीएम नीतीश के बीच तकरार
बीजेपी कोटे से विधानसभा अध्यक्ष बने विजय कुमार सिन्हा को सीएम नीतीश कुमार पसंद नहीं हैं. कई बार नीतीश कुमार और विजय सिन्हा के बीच सदन के अंदर और बाहर तकरार हो चुकी है.

3. अग्निपथ योजना के बाद जदयू पर संजय जायसवाल का हमला
इसके अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने बिहार में अग्निपथ योजना लागू होने के बाद हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था, ''केवल भाजपा को निशाना बनाया जा रहा है. इसे जल्द ही बंद कर देना चाहिए, नहीं तो यह किसी के लिए भी अच्छा नहीं होगा.”

4. अलग-अलग नीतियों को लेकर बीजेपी और जदयू में मतभेद
भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर और राज्यों में एक साथ चुनाव कराने पर विचार कर रही है जबकि जदयू ने इसका खुलकर विरोध किया है. जदयू ने कहा है कि 'एक देश एक चुनाव' की नीति व्यावहारिक नहीं है. इतना ही नहीं अग्निपथ योजना पर जदयू का रुख भी बीजेपी से अलग रहा है. इस फैसले को लेकर जब बिहार में काफी बवाल हुआ तो सीएम नीतीश कुमार इस मामले पर चुप्पी साधे रहे. इसके अलावा समान नागरिक संहिता जो बीजेपी का मुख्य एजेंडा है, के मामले में भी जदयू का रुख अलग है.

5. बीजेपी कोटे के मंत्रियों पर भी नियंत्रण चाहते थे सीएम नीतीश!
खबरों के मुताबिक नीतीश कुमार चाहते थे कि उनकी सरकार में बीजेपी कोटे से बनाए गए मंत्रियों पर उनका नियंत्रण हो. इतना ही नहीं सीएम नीतीश चाहते थे कि इन मंत्रियों के चयन में उनकी राय ली जाए, जबकि ऐसा नहीं हुआ. अमित शाह मुख्यमंत्री से राय लिए बिना अपने पसंदीदा लोगों को कैबिनेट में शामिल कर रहे.


 

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