Second Hand Car: दिल्ली ब्लास्ट से लें सीख.. जानें आखिर क्यों है कार की ओनरशिप बदलवाना जरूरी?

सेकंड हैंड कार खरीदना या बेचना मुश्किल नहीं, लेकिन कानूनी प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है. 0सही दस्तावेज़ और समय पर ओनरशिप ट्रांसफर न केवल आपको भविष्य की परेशानी से बचाते हैं, बल्कि किसी भी घटना की स्थिति में आपको कानूनी सुरक्षा भी प्रदान करते हैं.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 13 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:00 AM IST

अक्सर लोग पुरानी कार खरीदने या बेचने के दौरान कागज़ों को लेकर थोड़ी लापरवाही बरत जाते हैं, जो आगे चलकर उनके लिए नुकसान का सबब बन सकती है. अधूरे दस्तावेज़ों के साथ किसी गाड़ी के सौदे को निपटा देना आम बात है, लेकिन यही गलती आगे चलकर बड़ा कानूनी झंझट खड़ा कर सकती है. हाल ही में दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट मामले ने यही बात सामने निकल कर आ रही है.

दिल्ली धमाके की जांच में पता चला कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई कार कई बार खरीदी-बेची गई, लेकिन हर बार नाम ट्रांसफर की प्रक्रिया अधूरी रह गई. अब जांच एजेंसियां उसी चेन को खंगाल रही हैं, जिससे यह सवाल फिर उठ खड़ा हुआ है कि ओनरशिप ट्रांसफर करना आखिर कितना जरूरी है.

ओनरशिप ट्रांसफर न कराना क्यों है जोखिम भरा?
बहुत से लोग कार बेचने के बाद मान लेते हैं कि उनकी जिम्मेदारी खत्म हो गई, जबकि कानूनी रूप से ऐसा नहीं होता. RTO रिकॉर्ड में गाड़ी का नाम बदलने तक पुराना मालिक ही जिम्मेदार माना जाता है. यदि गाड़ी किसी दुर्घटना या आपराधिक घटना में शामिल पाई जाती है, तो सबसे पहले पुलिस पुराने मालिक तक पहुंचती है. कई मामलों में कोर्ट-कचहरी के चक्कर और मुआवजे का बोझ भी उठाना पड़ सकता है. ट्रैफिक चालान, पार्किंग फाइन आदि भी पुराने मालिक के नाम पर ही जनरेट होते रहते हैं.

सेकंड हैंड कार खरीदते समय किन बातों पर दें ध्यान?
पुरानी कार खरीदते वक्त सिर्फ गाड़ी की हालत देख लेना काफी नहीं, उसके कागज़ों की जांच और भी जरूरी है. बेचने वाले की पहचान करें. खरीदारी से पहले सेलर की ID, एड्रेस प्रूफ और पैन कार्ड की अटेस्टेड कॉपी अवश्य लें. यह फ्यूचर में प्रमाण और सुरक्षा दोनों का काम करेगा. RC में पेंडिंग चालान या टैक्स जांचें, कई बार पुराना मालिक जुर्माने या टैक्स नहीं भरता और बाद में यह बोझ नए मालिक पर आ जाता है. लोन वाली गाड़ी पर NOC ज़रूरी, अगर कार फाइनेंस पर थी, तो बैंक या फाइनेंस कंपनी से NOC लिए बिना सौदा न करें.

गाड़ी बेचते समय क्या करें और क्या न करें?
कार को सीधे खरीदार से ही डील करें क्योंकि बिचौलियों के कारण कार कई बार हाथ बदलती रहती है, लेकिन नाम ट्रांसफर नहीं होता. इससे भविष्य में परेशानी पुराने मालिक पर ही आती है. पूरी तरह भरे हुए RTO फॉर्म ही साइन करें, खाली या अधूरे फॉर्म पर हस्ताक्षर करना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. इंश्योरेंस तुरंत कैंसिल करें, NCB समेत अपनी पॉलिसी कैंसिल कर दें और नए ओनर को तुरंत नई पॉलिसी लेने की सलाह दें. खरीदार के दस्तावेज़ रखें, उसके ड्राइविंग लाइसेंस और पते की कॉपी सुरक्षित रखें

डिलीवरी नोट बनवाना न भूलें
जब भी आप गाड़ी सौंपें, एक डिलीवरी नोट तैयार करें जिसमें गाड़ी देने की तारीख, समय और कब तक ट्रांसफर करवाना है, यह साफ लिखा हो. इस पर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर और दो गवाहों के नाम व पते जरूर होने चाहिए.

 

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